उत्तराखंड पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने रविवार को कथित रूप से ‘डिजिटल अरेस्ट’ कर एक व्यक्ति से तीन करोड़ रुपये से अधिक की ठगी करने वाले एक अपराधी को उत्तर प्रदेश के बहराइच से गिरफ्तार किया है।
हिंदुस्तान Global Times/print media,शैल ग्लोबल टाइम्स,अवतार सिंह बिष्ट
एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नवनीत सिंह ने बताया कि एसटीएफ की साइबर अपराध शाखा ने 27 साल के आरोपी मनोज को बहराइच के सिलोटा रोड से गिरफ्तार किया। उसने व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए देहरादून निवासी पीड़ित व्यक्ति को 48 घंटे तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ करके रखा था और उसे डरा-धमकाकर अपने खाते में तीन करोड़ रुपये से अधिक ट्रांसफर करवा लिए थे।
उन्होंने बताया कि आरोपी द्वारा धोखाधड़ी में प्रयुक्त किए जा रहे बैंक खाते के विरुद्ध देश भर के विभिन्न राज्यों में 76 शिकायतें दर्ज हैं। उस खाते में छह करोड़ से अधिक का संदिग्ध लेन-देन पाया गया है।सिंह ने बताया कि राजपुर क्षेत्र के रहने वाले पीड़ित द्वारा दर्ज शिकायत के अनुसार, 20 मई को उसके मोबाइल फोन पर एक कॉल आई। इसमें उसे मुंबई हवाई अड्डे पर उसका एक पार्सल पकड़े जाने की जानकारी दी गई। उसे बताया गया कि उसके पार्सल में पांच-छह पासपोर्ट और नशीले पदार्थ मिले हैं।
पीड़ित द्वारा ऐसा कोई पार्सल नहीं भेजे जाने की बात कहने पर कॉल करने वाले ने कहा कि पार्सल पर उसका नाम है तो कार्रवाई उसके ही खिलाफ होगी। खुद को ग्रेटर मुंबई पुलिस का बड़ा अफसर बताने वाले उस व्यक्ति ने पीड़ित को बताया कि उसके खिलाफ मादक पदार्थों की तस्करी और धनशोधन का मामला दर्ज हो गया है। जांच के लिए उसे मुंबई आना होगा और संभवत: जेल भी जाना पड़ेगा।
शिकायतकर्ता ने बताया कि उस व्यक्ति की बातें सुनकर वह डर गया। इसके बाद उसने उसे बचाने के लिए अपने बड़े अफसरों से बात करने की बात कही। उस व्यक्ति ने पीड़ित से कहा कि वह अब उससे व्हॉट्सएप के माध्यम से वीडियो कॉल करेगा, लेकिन इस बीच वह उसके अलावा किसी और से न बात करे और न उसकी मर्जी के बिना घर से बाहर निकले।
शिकायतकर्ता ने बताया कि वह व्यक्ति 20 मई से लेकर 22 मई तक लगातार उससे व्हॉट्सएप वीडियो व वॉइस कॉल के माध्यम से जुड़ा रहा और तरह-तरह की बातें बता कर डराता रहा। शिकायत में कहा गया है कि उक्त व्यक्ति बीच-बीच में ऐसा प्रतीत करा रहा था कि वह उसके बारे में पुलिस के बड़े अफसरों से भी बात कर रहा है।
पीड़ित ने बताया कि इसके बाद उस व्यक्ति ने कहा कि अगर आपको मादक पदार्थों की तस्करी व धनशोधन के मुकदमे से बचना है तो अपने खाते में जमा पूरे पैसे की जांच करानी होगी। इसके लिए पैसे को उसके द्वारा बताए जा रहे खाते में डालना होगा। उस व्यक्ति ने पीड़ित को भरोसा दिलाया कि जांच के बाद पैसा उसे लौटा दिया जाएगा।
पीड़ित ने बताया कि भयभीत होकर उसने 21 मई को आरटीजीएस के माध्यम से दो करोड़ रुपए उस व्यक्ति के खाते में भेज दिए। इसके बाद 22 मई को उसने अपने अन्य दो खातों में जमा एक करोड़ से अधिक रुपए भी उसी खाते में भेजे।
शिकायतकर्ता ने कहा कि तीन करोड़ बारह हजार 678 रुपए भेजने के बाद उसे अपने साथ धोखाधड़ी होने का अहसास हुआ। इस घटना से वह सदमे में आ गया और पुलिस के पास तुरंत शिकायत भी नहीं दर्ज करा पाया।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए साइबर अपराध पुलिस ने संबंधित बैंकों, सेवा प्रदाता कंपनी, मेटा और गूगल से डेटा लिया। उसका विश्लेषण करते हुए तकनीकी और डिजिटल साक्ष्य जुटाए। इसके बाद घटना में शामिल मुख्य आरोपी को चिन्हित करते हुए उसकी तलाश में कई स्थानों पर दबिश दी गई।
उन्होंने बताया कि आरोपी काफी शातिर था। लगातार अपने ठिकाने बदल रहा था, लेकिन पुलिस टीम की मेहनत और तकनीकी संसाधनों के प्रयोग से उसे गिरफ्तार कर लिया गया। उसके कब्जे से घटना में प्रयुक्त सिम सहित मोबाइल हैंडसेट भी बरामद हुआ है।