2025 के त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में उधम सिंह नगर के जिला पंचायत क्षेत्र प्रतापपुर (ब्लॉक रुद्रपुर) ने जिस भरोसे के साथ प्रेम आर्य को रिकॉर्ड मतों से विजयी बनाया, वह केवल एक व्यक्ति की जीत नहीं बल्कि स्थानीय जनविश्वास, वर्षों की सेवाभावना और सधी हुई रणनीति की विजय गाथा है। ढाई हजार से अधिक मतों से मिली यह जीत बताती है कि जनता अब अनुभव, विश्वास और जमीनी कार्यों को ही असली मापदंड मानती है, न कि केवल वादों और नारों को।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और राजनीतिक निरंतरता?प्रेम आर्य की यह जीत यकायक नहीं आई। इससे पूर्व उनकी धर्मपत्नी दीपा आर्य इस क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य रह चुकी हैं। जनसेवा की यह निरंतरता और आम लोगों से सीधा संवाद उनके परिवार की पहचान रहा है। जब सीट महिला आरक्षण से बाहर आई, तो प्रेम आर्य ने खुद मैदान में उतर कर यह चुनाव लड़ा और क्षेत्र की जनता ने उन्हें भरपूर समर्थन देकर यह जता दिया कि आर्य परिवार जनता के दिलों में बसता है।
क्षेत्रीय समीकरणों पर असर?प्रतापपुर सीट पर लगातार जीत और शांतिपुरी, जवाहर नगर समेत समूचे पंचायत क्षेत्र की जनता का एकतरफा समर्थन, कांग्रेस संगठन की जमीनी मजबूती का संकेत भी देता है। क्षेत्रीय सियासत में बीजेपी की निष्क्रियता और जनसमर्थन से दूर होती छवि को यह परिणाम गहरा झटका दे सकता है।
जीत का जश्न—जनआशीर्वाद की झलक
चुनाव परिणामों के बाद शांतिपुरी गोल गेट से ढोल-नगाड़ों के साथ निकली विजय रैली, फूल मालाओं से लदते प्रेम आर्य, और क्षेत्रवासियों के उत्साह ने यह दिखा दिया कि यह जीत केवल राजनीतिक नहीं बल्कि भावनात्मक जुड़ाव की अभिव्यक्ति भी है। यह उस सामाजिक आस्था का उत्सव था, जो कई वर्षों से आर्य परिवार के साथ जुड़ी रही है।
प्रेम आर्य का वचन—”जो कमी रह गई थी, उसे पूरा करेंगे”प्रेम आर्य ने जीत के बाद जनता को संबोधित करते हुए बड़ी विनम्रता और दूरदर्शिता के साथ कहा कि पूर्व में जो विकासात्मक कमियां रह गईं थीं, उन्हें अब प्राथमिकता से दूर किया जाएगा। उनका यह वक्तव्य बताता है कि यह जीत उन्हें अहंकारी नहीं बल्कि अधिक ज़िम्मेदार और जवाबदेह बना रही है।
कांग्रेस की मौजूदगी—वरिष्ठ नेताओं की सक्रियता,इस विजय समारोह में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख रूप से—डॉ. गणेश उपाध्याय (पूर्व दर्जा राज्य मंत्री, प्रवक्ता—उत्तराखंड कांग्रेस)नारायण सिंह बिष्ट (पूर्व जिला अध्यक्ष कांग्रेस कमेटी)राजेन्द्र शर्मा एडवोकेट (पूर्व अध्यक्ष दुग्ध डेयरी संघ)पूर्व जिला पंचायत सदस्य विनोद कोरंगा/सहित अनेक प्रतिष्ठित चेहरे शामिल रहे। यह बताता है कि यह जीत केवल प्रेम आर्य की नहीं बल्कि पूरे कांग्रेस संगठन की संगठनात्मक दृढ़ता की जीत भी है।
सामाजिक प्रतिनिधित्व और युवाओं की भागीदारी?इस कार्यक्रम में शामिल प्रिंस कुंवर, चंचल कोरंगा, दीपक गड़िया, कपिल धोनी, उमेश वर्मा जैसे युवा कार्यकर्ताओं की भागीदारी दर्शाती है कि प्रेम आर्य और कांग्रेस नेतृत्व युवाओं को साथ लेकर चलने की नीति पर विश्वास रखते हैं, जो भविष्य की राजनीति के लिए एक शुभ संकेत है।
यह जीत क्या संकेत देती है?प्रतापपुर में प्रेम आर्य की जीत महज एक चुनावी परिणाम नहीं, बल्कि एक राजनीतिक संदेश है—जनता अब वादों से नहीं, सद्भाव और सेवा भावना से प्रभावित होती है।परिवारवाद तब तक स्वीकार्य है, जब तक वह जनसेवा और जवाबदेही से जुड़ा हो।कांग्रेस जैसे परंपरागत दल यदि स्थानीय स्तर पर ईमानदारी और संगठित रणनीति के साथ उतरें, तो वे भाजपा के प्रभाव को संतुलित कर सकते हैं।
प्रेम आर्य की जीत उस जनतंत्र की तस्वीर है, जहां जीत फूलों से लदी गाड़ी नहीं, बल्कि कंधे पर जनता की जिम्मेदारी है।”
यह जीत विकास की ओर बढ़ता एक नया कदम है, जिसकी ध्वनि शांतिपुरी से लेकर देहरादून तक सुनाई देनी चाहिए।


[अवतार सिंह बिष्ट, विशेष संवाददाता — हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स]

