प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन ने हमेशा हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया और अपने समर्पण, विनम्रता एवं बुद्धिमत्ता से एक अलग पहचान बनाई।

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मोदी ने कहा कि राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में जमीनी स्तर पर व्यापक काम किया और उन्हें खुशी है कि राजग परिवार ने उन्हें गठबंधन के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में नामित करने का फैसला किया है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

प्रधानमंत्री ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, “थिरु सीपी राधाकृष्णन ने अपने लंबे सार्वजनिक जीवन में समर्पण, विनम्रता और बुद्धिमत्ता के बलबूते खुद की अलग पहचान बनाई।” उन्होंने लिखा, “‘विभिन्न पदों पर रहते हुए उन्होंने हमेशा सामुदायिक सेवा और हाशिये पर पड़े लोगों को सशक्त बनाने पर ध्यान केंद्रित किया।”

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के संसदीय बोर्ड ने राधाकृष्णन को उपराष्ट्रपति पद के लिए राजग उम्मीदवार के रूप में रविवार को नामित किया। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने राधाकृष्णन के नामांकन की घोषणा करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में व्यापक विचार-विमर्श के बाद उनके नाम पर मुहर लगाई गई।

नड्डा ने उम्मीद जताई कि विपक्षी दल राजग उम्मीदवार का समर्थन करेंगे। जगदीप धनखड़ के पिछले महीने स्वास्थ्य कारणों से उपराष्ट्रपति पद से अचानक इस्तीफा देने के कारण इस पद चुनाव कराना पड़ रहा है। उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव नौ सितंबर को होगा। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 22 अगस्त है।

उपराष्ट्रपति पद के लिए भाजपा और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की पहली पसंद बने महाराष्ट्र के राज्यपाल चंद्रपुरम पोन्नुसामी राधाकृष्णन (67) किशोरावस्था में ही आरएसएस और जनसंघ से जुड़ गए थे। वह 1990 के दशक के अंत में कोयंबटूर से दो बार लोकसभा चुनाव जीते और उनके समर्थक उन्हें ‘तमिलनाडु का मोदी’ कहते हैं।

राधाकृष्णन 1998 और 1999 में दो बार जीत के बाद तमिलनाडु के कोयंबटूर से लगातार तीन लोकसभा चुनाव हार गए। हालांकि, कहा जाता है कि तमिलनाडु में सभी दलों में उनका बहुत सम्मान है, जिसके परिणामस्वरूप भाजपा ने उन्हें कई राज्यों का राज्यपाल बनाया। एक ओबीसी नेता होने के नाते, उनकी उम्मीदवारी विपक्ष के एक प्रमुख राजनीतिक विमर्श को ”निष्क्रिय” करने का भी प्रयास करती है।

उन्होंने 31 जुलाई, 2024 को महाराष्ट्र के राज्यपाल के रूप में शपथ ली। इससे पहले, उन्होंने लगभग डेढ़ साल तक झारखंड के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। झारखंड के राज्यपाल के रूप में, उन्हें तेलंगाना के राज्यपाल और पुडुचेरी के उपराज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी सौंपा गया था। विभिन्न राज्यों में राज्यपाल पद संभालने के बाद भी, वह अक्सर तमिलनाडु का दौरा करते रहे हैं।

अपने हालिया तमिलनाडु दौरे के दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों में भाग लिया और मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन से भी मुलाकात की थी। तमिलनाडु में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। तमिलनाडु के तिरुपुर में 20 अक्टूबर, 1957 को जन्मे राधाकृष्णन के पास व्यवसाय प्रबंधन में स्नातक की डिग्री है।

16 साल की उम्र में आरएसएस के स्वयंसेवक के रूप में शुरुआत करने वाले राधाकृष्णन 1974 में भारतीय जनसंघ की राज्य कार्यकारिणी के सदस्य बने। वर्ष 1996 में, राधाकृष्णन को भाजपा की तमिलनाडु इकाई का सचिव नियुक्त किया गया। वह 1998 में कोयंबटूर से पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए और 1999 में वह फिर से इस सीट से लोकसभा के लिए चुने गए।

सांसद के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, उन्होंने विभिन्न संसदीय समितियों के अध्यक्ष और सदस्य के रूप में कार्य किया। वर्ष 2004 से 2007 के बीच, राधाकृष्णन तमिलनाडु भाजपा प्रदेश अध्यक्ष रहे। इस पद पर रहते हुए, उन्होंने 19,000 किलोमीटर की ‘रथ यात्रा’ की, जो 93 दिनों तक चली।

एक उत्साही खिलाड़ी राधाकृष्णन टेबल टेनिस में कॉलेज चैंपियन और लंबी दूरी के धावक रहे हैं। ऐसा कहा जाता है कि 2004 में द्रमुक द्वारा राजग से संबंध समाप्त करने के बाद तमिलनाडु में भाजपा के लिए नया गठबंधन बनाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी।


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