नेपाल में प्रधानमंत्री सुशीला कार्की ने सोमवार को मंत्रिमंडल का विस्तार किया। मंत्री के रूप में रामेश्वर खनाल, ओमप्रकाश अर्याल और कुलमान घीसिंग को शपथ दिलाई गई। खनाल वित्त मंत्री, अर्याल गृह मंत्री और कुलमान घीसिंग ऊर्जा मंत्री बने।

Spread the love

अर्याल के पास कानून मंत्रालय की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी रहेगी। घीसिंग के पास भी ऊर्जा के अलावा भौतिक पूर्वाधार, यातायात व शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी है। खनाल आर्थिक सुधार सुझाव आयोग के अध्यक्ष रह चुके हैं। वह पूर्व सचिव भी रह चुके हैं। अर्याल पेशे से वकील हैं। घीसिंग नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व कार्यकारी निदेशक हैं। ओली सरकार में उन्हें बर्खास्त कर दिया गया था। उनका नाम पीएम पद को लेकर भी चर्चा में था।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

इससे पहले राष्ट्रपति राम चंद्र पौडेल ने शुक्रवार देर रात कार्की को अंतरिम सरकार का मुखिया नियुक्त किया और उन्होंने रविवार को औपचारिक रूप से पदभार ग्रहण कर लिया। मंत्रिमंडल विस्तार पहले रविवार को होने वाला था। उनके व्यस्त कार्यक्रम के कारण इसे स्थगित कर दिया। पूर्व मुख्य न्यायाधीश कार्की के पास 5 मार्च तक नए चुनाव कराने और प्रधानमंत्री के लिए पद खाली करने का समय है, जिसका चुनाव संसद द्वारा किया जाएगा।
पदभार ग्रहण करने के बाद अपने पहले संबोधन में उन्होंने विनम्रता और जवाबदेही का एक कड़ा संदेश दिया और कहा कि उनका प्रशासन सत्ता का स्वाद चखने के लिए नहीं, बल्कि देश को स्थिर करने, न्याय की मांगों को पूरा करने और छह महीने के भीतर नए चुनावों की तैयारी करने के लिए सत्ता में है। सिंह दरबार में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कार्की ने कहा, ‘मैं और मेरी टीम यहां सत्ता का स्वाद चखने नहीं आए हैं। हम छह महीने से ज्यादा नहीं रुकेंगे। हम नई संसद को जिम्मेदारी सौंप देंगे। आपके सहयोग के बिना हमें सफलता नहीं मिलेगी।’

कार्की ने परिवारों को यह भी आश्वासन दिया कि सरकार मृतकों के शवों को उनके गृह जिलों तक पहुंचाने में मदद करेगी। उन्होंने विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई तबाही, जिसमें निजी संपत्ति को नुकसान भी शामिल है, को स्वीकार किया और कहा कि सरकार मदद के लिए आगे आएगी। उन्होंने आगे कहा कि सरकार तोड़फोड़ और हिंसा की घटनाओं की जांच करेगी। एक अधिकारी ने बताया कि नेपाल की विभिन्न जेलों से भागे कुल 79 कैदियों को सशस्त्र सीमा बल (SSB) ने भारत-नेपाल सीमा पर विभिन्न चौकियों के माध्यम से भारतीय क्षेत्र में प्रवेश करने की कोशिश करते हुए गिरफ्तार किया है। इन कैदियों में से दो नाइजीरियाई, एक ब्राजीलियाई और एक बांग्लादेशी है। ये चारों विदेशी नागरिक 29 से 40 वर्ष की आयु वर्ग के हैं।
वहीं दूसरी तरफ पड़ोसी मुल्क के जेन-जी आंदोलन में अब तक 70 से अधिक लोग जान गंवा चुके हैं। हिंसा, आगजनी और उपद्रव के दौरान अपनों को खोने वाले परिवारों में 28 साल के सुभालाल बालमई के परिजन भी हैं। सुभाष के अंतिम संस्कार के दौरान रविवार को परिवार के लोग रोने लगे। नेपाल की अंतरिम पीएम सुशीला कार्की ने कहा, सरकार विरोधी प्रदर्शन के दौरान मारे गए लोगों को आधिकारिक तौर पर शहीद के रूप में मान्यता मिलेगी, जिसका उद्देश्य प्रदर्शनकारियों को सम्मानित करना है। उन्होंने यह भी कहा कि शहीद प्रदर्शनकारियों के परिवारों को 10 लाख रुपये का मुआवजा भी दिया जाएगा। उन्होंने मारे गए लोगों के शवों को उनके गृह जिले तक भिजवाने का आश्वासन दिया।


Spread the love