
दर्शाया गया कि उसका शव बृहस्पतिवार को बरामद हुआ, जबकि आशीष रमोला नाम के इस युवक के शव का 27 अगस्त को ही पोस्टमार्टम कराया जा चुका था। बता दें कि केसरवाला के रहने वाले आशीष रमोला की 27 अगस्त को गाय गुम हो गई थी। वह एक साथी के साथ गाय को ढूंढने निकला।


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
इस दौरान पैर फिसलने से आशीष सौंग नदी में गिया। साथी ने पुलिस को सूचना दी और एसडीआरएफ ने आशीष को ढूंढ निकाला। अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया। पोस्टमार्टम के बाद इसी दिन पुलिस ने शव परिजनों के सुपुर्द भी कर दिया। इस बात को 22 दिन बीत चुके। अब घाटी में आई आपदा के बाद कई लोग लापता हुए। कुछ के शव बरामद हुए तो कई अब भी लापता हैं।
प्रशासन ने बृहस्पतिवार को एक सूची जारी की। इसमें आशीष रमोला का शव बृहस्पतिवार को बरामद होना दर्शाया। ऐसे में ये किसकी गलती है ये जांच का विषय है। जिस युवक का शव 22 दिन पहले मिल चुका उसकी जानकारी कैसे किसी अधिकारी के पास नहीं थी या फिर ये तरीका है पहले मरे लोगों के परिवार को आपदा का लाभ मिल सके, यह एक बड़ा सवाल है।
विभागों में सामंजस्य की कमी का नतीजा
दरअसल, आपदा में लोगों के लापता होने के आंकड़े बदलते रहते हैं। कोई जानकारी किसी प्रकार की देता है तो उसकी पुष्टि अलग तरह से होती है। अज्ञात शव मिलने पर आंकड़े मृतकों के बदल जाते हैं और फिर पहचान होने पर लापता के। कई विभाग इसमें सामंजस्य बनाकर काम करते हैं। इनमें राजस्व विभाग की भूमिका अहम होती है। दून घाटी में आई आपदा में इसी सामंजस्य की कमी दिखी। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से मिले आंकड़ों और जिले से जारी संख्या में अंतर दिखा। लापता लोगों में आंकड़े बदलते हैं मगर जिसका शव 22 दिन पहले मिला उसकी कोई पड़ताल नहीं, ये बड़ा सवाल है।
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गाय ढूंढने गया युवक नदी में बहा, मौत
रायपुर थानाक्षेत्र के मालदेवता में बुधवार को एक युवक सौंग नदी में बह गया। युवक का शव नधुवावाला में मिला। शव को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों के सुपुर्द कर दिया गया।

