उत्तराखंड में बारिश का कहर ,पूरे उत्तराखंड की अपडेट, ऋषिकेश, हरिद्वार, पिथौरागढ़, जोशीमठ, पीपल कोटी ,टिहरी देहरादून , उधम सिंह नगर Hindustan Global Times

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Hindustan Global Timesबारिश का कहर उधम सिंह नगर, पिथौरागढ़, हरिद्वार ,ऋषिकेश,पौड़ी, टिहरी ,पूरे उत्तराखंड की अपडेट त्राहिमाम त्राहिमाम नदिया उफान पर

 उत्तराखंड में पिछले दो दिन से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. पहाड़ों से लेकर मैदानों तक आसमान से बरस रही आफत के रूप में बारिश ने हर तरफ तबाही मचा रखी है. पहाड़ों में जगह-जगह भूस्खलन ने लोगों की परेशानियां को बढ़ा दिया है तो दूसरी तरफ मैदानों में जल तांडव से लोग त्राहिमाम-त्राहिमाम हैं. बारिश का असर अन्य इलाकों के साथ ही ऋषिकेश और उसके आस-पास के क्षेत्रों में खूब देखा जा रहा है.
शिवपुरी टनल से मजदूरों का रेस्क्यू: ऋषिकेश से ही सटे शिवपुरी में ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन की शिवपुरी रेलवे टनल के भीतर बारिश का पानी भरने से 100 से ज्यादा मजदूर फंस गए. सभी मजदूर टनल में काम कर रहे थे. मजदूरों के फंसने की जानकारी पुलिस को मिली, जिसके बाद मजदूरों का रेस्क्यू किया गया. जानकारी के तहत ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन की टनल का काम कर रही एल एडं टी कंपनी शिवपुरी के प्रबंधक अजय प्रताप सिंह द्वारा चौकी प्रभारी शिवपुरी को फोन से सूचना दी गई कि उनकी कंपनी के एडिट- 2 की टनल में मजदूर और इंजीनियर (कुल 114) करीब 300 मीटर अंदर फंस गए हैं. टनल में करीब 4 फीट पानी भर गया है.

मशीन से हटाया मलबा: सूचना पाकर चौकी प्रभारी शिवपुरी तत्काल मौके पर पोकलैंड मशीन व आपदा उपकरणों के साथ पहुंचे. इसके बाद पोकलैंड मशीन से टनल से बाहर मलबा निकाला गया और फिर रस्सी के सहारे 114 लोगों का सकुशल रेस्क्यू किया गया.
मलबे की चपेट में आया कैंप: ऋषिकेश से सटे पौड़ी जिले के यमकेश्वर ब्लॉक के मोहन चट्टी स्थित कैंप में बारिश के कारण मलबा घुस गया. जानकारी मिल रही है कि मलबे की चपेट में कैंप में मौजूद 3 से 5 लोग आ गए हैं. घटना रात लगभग 2 बजे की है. फिलहाल जिला आपदा प्रबंधन की टीम और एसडीआरएफ के जवानों द्वारा मलबा हटाया जा रहा है. मलबा हटने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो पाएगी.
डूबने की कगार पर

शिवमूर्ति: ऋषिकेश के नजदीक रामझूला के परमार्थ निकेतन घाट में गंगा नदी में लगाई भगवान शिव की मूर्ति डूबने की कगार पर है. भारी बारिश के कारण गंगा का जलस्तर बढ़ने से भगवान शिव की मूर्ति आधी डूब चुकी है. गौरतलब है कि 2013 में भी परमार्थ निकेतन घाट से इसी तरह की तस्वीरें सामने आई थी.
ऋषिकेश और कर्णप्रयाग के बीच बन रही रेल सुरंग में पानी भर गया. तेज धार होने की वजह से कर्मचारियों को सुरंग से बाहर निकलने का मौका नहीं मिला. सुरंग में काम कर रहे 114 इंजीनियर और मजदूर फंस गए. ऋषिकेश कर्णप्रयाग रेल परियोजना का काम कर रहे लोगों के सुरंग में फंसे होने की जानकारी से प्रशासन स्तर पर हड़ंकप मच गया.
रस्सियों के सहारे 114 कर्मचारियों का रेस्क्यू
मौके पर पहुंची मुनिकीरेती पुलिस ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ को सूचना दी. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम ने पुलिस के साथ रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया. रस्सियों के सहारे सुरंग में फंसे लोगों तक टीम ने पहुंचने की कोशिश की. घंटोंमशक्कत के बाद 114 लोगों को सुरक्षित निकाला गया. रेस्क्यू ऑपरेशन सफल होने पर प्रशासन ने राहत की सांस ली.
रुद्रप्रयाग के केदारनाथ मार्ग पर बादल फटने से हाय-तौबा मच गई और लोग किसी तरह से अपनी जान बचाकर सुरक्षित स्थान की तरफ दौड़े। मिली जानकारी के मुताबिक यहां कई लोग मलवे में दब गए है, लेकिन कोई अधिकारिक पुष्टि नही हो पाई है।
पीपलकोटी में बादल फटे : वीकेंड का दिन उत्तराखंडवासियों के लिए मुसीबत का सबब बन गया। यहां रविवार से चमोली जिले के पीपलकोटी में बरसात ने जमकर उत्पात मचाया हुआ है। तेज बारिश और बादल फटने के चलते चार पाहिया वाहन बह गए या मलवे के ढेर में दब गए हैं। पीपलकोटी में नगर पंचायत का दफ्तर भी बारिश की भेंट चढ़ गया है, कार्यालय की जगह मलवे का ढेर नजर आ रहा है। जिस समय नगर पंचायत कार्यालय मलवे में तब्दील हो रहा था, वहां पर सफाईकर्मी मौजूद थे और उन्होंने किसी तरह से अपनी जान भागकर बचाई। गनीमत रही की कोई जनहानि नही हुई है।
पिथौरागढ़ बैंक रोड, गंगा निवास, भाटकोट रोड और टनकपुर मार्ग पर हल्की सी बारिश में सड़कों पर गंदा पानी बहने लगता है। सबसे अधिक दिक्कतें रई क्षेत्र के लोगों को हो रही है। रई क्षेत्र में नालियों के बंद होने, नालियों की ऊंचाई सड़क से अधिक होने और नाली की ओर ढाल न होने से सड़कों पर गंदा पानी बहता है। कई बार सड़क किनारे डाली गई रेत और अन्य निर्माण सामग्री बह जाती है।

लोगों ने बंद नालियों को खोलने और सड़क और रास्तों के किनारे उगी घास को साफ करने की मांग की है। नगर पालिका के ईओ राजदेव जायसी का कहना है कि नालियों को खुलवाया जा रहा है। साथ ही झाड़ियों को भी कटवाया जा रहा है।

बद्रीनाथ धाम यात्रा पर फिलहाल रोक लगा दी गई है। बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पीपलकोटी, छिनका, नंदप्रयाग और हाथी पर्वत मारवाड़ी के पास अवरुद्ध है। यहां बारिश की वजह से सड़क पर मलबा और पत्थर आ गए हैं, जिसके चलते यातायात बाधित हो गया है। चमोली के डीएम हिमांशु खुराना ने सड़क के सुचारू होने तक की यात्रा पर पूर्णतया रोक लगाने के आदेश दे दिए हैं। डीएम ने तीर्थ यात्रियों से सुरक्षित स्थानों पर बने रहने का आग्रह किया है, बद्रीनाथ से जोशीमठ की तरफ आने वाले तीर्थ यात्रियों को बद्रीनाथ धाम में ही रोक दिया गया है।
बद्रीनाथ धाम के लिए जाने वाले तीर्थ यात्रियों को जोशीमठ और दूसरी सुरक्षित जगहों पर रोका गया है। कहा गया है कि जब तक राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह से सुचारू नहीं हो जाता, तब तक तीर्थ यात्रियों को आगे नहीं जाने दिया जाएगा।

त्तराखंड में लगातार बारिश ने तबाही मचाई हुई है। जगह-जगह सड़कें बंद हैं। बारिश कहर बनकर बरस रही है। मौसम विभाग की ओर से प्रदेश में 15 अगस्त तक के लिए रेड अलर्ट जारी किया गया। कुछ जिलों में खासतौर पर अलर्ट रहने की अपील की है।

जोशीमठ तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित पगनों गांव में 120 परिवार निवास करते हैैं। गांव के ठीक पीछे स्थित पहाड़ी के शीर्ष भाग में एक प्राकृतिक झील थी। वर्ष 2021 में भारी बारिश के दौरान झील क्षतिग्रस्त हो गई और पानी का रिसाव होने लगा। जिससे बरसात में गांव में मलबा आना शुरू हुआ।

इस बार जुलाई माह में पहाड़ी से भारी भूस्खलन शुरू हो गया। लोगो ने
रिश्तेदारों के घर पर ली शरण
उनके घर पूरी तरह से भूस्खलन की चपेट में आ गए हैं। गोशाला और खेतों में टेंट लगाकर रह रहे हैंलोग। गांव का शिव मंदिर भी भूस्खलन से जमींदोज हो गया है। शनिवार को एसडीएम कुमकुम जोशी ने गांव में जाकर भूस्खलन की स्थिति का जायजा लिया।

राज्य आपदा परिचालन केंद्र की ओर से चार जिले हरिद्वार, पौड़ी, टिहरी और देहरादून जिले के जिलाधिकारियों को नदियों के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए सतर्क और चौकन्ना रहने को कहा गया है। प्रदेश में अलकनंदा, मंदाकिनी नदी (रुद्रप्रयाग), अलकनंदा नदी (श्रीनगर) गंगा नदी (देवप्रयाग) का जल स्तर खतरे के स्तर से ऊपर प्रवाहित हो रहा है। सौंग नदी देहरादून का जल स्तर अधिकतम बाढ़ स्तर से भी ऊपर प्रवाहित हो रहा है। जिलाधिकारी को अपने-अपने जनपद में आम जनों के बचाव के लिए सभी इकाइयों को सक्रिय करते हुए आवश्यक कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा गया है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके। साथ ही प्रत्येक घंटे की सूचना राज्य आपातकालीन परिचालन केन्द्र, देहरादून को जानकारी देने को कहा गया है।

हरिद्वार में सोमवार सुबह गंगा नदी का जलस्तर खतरे के निशान 294 मीटर से करीब एक मीटर ऊपर पहुंच गया। सुबह चार बजे गंगा नदी का बहाव 294.95 मीटर पर था। मूसलाधार वर्षा की चेतावनी के चलते जिलाधिकारी धीराज सिंह गर्ब्याल ने जनपद के सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में अवकाश घोषित किया है।

मौसम विज्ञान विभाग ने अगले 2 दिन के लिए बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इसमें कहा गया है कि हरिद्वार जनपद सहित आगे के मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ एवं जलभराव की आशंका बढ़ गई है। सिंचाई विभाग के एसडीओ शिव कुमार कौशिक ने बताया कि आधी रात के बाद गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। सोमवार सुबह चार बजे गंगा 294.95 मीटर पर बह रही थी। गंगा किनारे रहने वाले लोगों से सुरक्षित स्थान पर जाने का आग्रह किया गया है। एसडीओ कौशिक ने बताया कि अगस्त में अब तक हरिद्वार में गंगा नदी का जलस्तर कई बार चेतावनी स्तर को पार कर चुका है। इस जलस्तर पर गंगा पहली बार पहुंची है। सोमवार सुबह 10 बजे भीमगोडा बैराज पर गंगा का जलस्तर 294.85 मीटर रिकॉर्ड किया गया।

उधम सिंह नगर ढेला नदी के किनारे पर स्थित जहीन का मकान एकाएक नदी में गिर गया। गनीमत रही कि मकान के गिरने की आशंका होते ही परिजन बाहर आ गए थे। समाजसेवी परवाना ने बताया कि कटाव से जहीन का मकान नदी में समा गया है।

उसके बराबर के मकानों की बुनियाद भी खोखली हो गई हैं। दो-तीन मकानों को नुकसान होने की आशंका है। जहीन की माता नजमा ने बताया कि घर पर चार बच्चे थे। मकान झुकते ही सभी बाहर आ गए थे, लेकिन सामान नहीं बचा पाए।

घर के अंदर राशन, कपड़े, बिस्तर, बर्तन, बक्सा, डबल बेड सब नदी में बह गए। सूचना पर तहसीलदार युसूफ अली ने घटना स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने ढेला नदी की जद में आ रहे नाजमा, तोकीस, शमीम के मकान खाली करा दिए हैं। सभी को पड़ोसियों के यहां पर व्यवस्था कराई गई है।

आपदा के लिहाज से संवेदनशील उत्तराखंड में भूस्खलन सबसे बड़ी चुनौती है। गढ़वाल मंडल के 106 से अधिक गांवों में भी लगभग 2,500 परिवार भूस्खलन की जद में हैं। वर्षाकाल में पहाड़ दरकने और नदी-नालों में उफान आने से यह समस्या गहरा जाती है।

चार दिन से राजमार्ग बंद से क्षेत्रवासियों की दुश्वारियां बढ़ गई थी। हाईवे बंद होने से विकल्प के तौर ऋषिकेश, देहरादून से मसूरी होते हुए वाहन आ रहे थे।
जिले में वर्षा के चलते ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे पर बगड़धार, हिंडोलाखाल, फकोट आदि जगहों पर बोल्डर व मलबा आने के कारण पिछले चार दिनों से हाईवे बंद पड़ा था, जिस कारण वाहनों की आवाजाही ठप हो गई। बारिश के चलते पहाड़ी से बार-बार मलबा आने के कारण मार्ग खोलने में परेशानी आ रही थी।
सोमवार को दोपहर दो बजे मलबा हटाने के बाद मार्ग वाहनों के लिये खोल दिया गया। चार दिनों से हाईवे पर वाहन नहीं चलते से क्षेत्रवासियों को विकट समस्या से जूझना पड़ रहा था।
वैकल्पिक मार्ग भी बाधित
ऋषिकेश-गंगोत्री हाईवे बंद होने से वैकल्पिक मार्ग के रूप में ऋषिकेश, देहरादून से बाया मसूरी से जिले में वाहनों का संचालन हो रहा था लेकिन बीती रविवार रात्रि से लगातार हो रही वर्षा से मसूरी मार्ग में भी सोमवार को सुवाखली के पास सुबह 5 बजे मलबा आ गया, जिस कारण कुछ देर के लिए मार्ग पर आवागमन बंद रहा।
यहां पर किसी तरह मलबा हटाकर आवागमन सुचारु किया गया लेकिन सुबह धनोल्टी के पास मलबा आने से मार्ग बाधित हो गया। इसके बाद कद्दूखाल में भी करीब 6 बजे पहाड़ी से भारी मलबा आ गिरा, जिस कारण मार्ग दिन में कई बार बाधित होता रहा है और मार्ग पर सामग्री से भरे ट्रक भी फंसे रहे।


जिले में तीनों हाईवे बाधित
जिले में तीनों हाईवे बाधित होने से सुबह को सब्जी, दूध, फल सहित अन्य सामग्री की आपूर्ति नहीं हो पाई। वहीं ऋषिकेश-गंगोत्री राजमार्ग भी देवप्रयाग के समीप कई जगहों पर मलबा आने से दिन भर बाधित रहा जिससे क्षेत्रवासी परेशान रहे। वहीं काश्तकारों की नकदी फसल मंडियों तक नहीं पहुंचने वे उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है। यही बारिश इसी तरह जारी रहती है तो जनपदवासियों को विकट समस्या से जूझना पड़ेगा।
चंबा मार्ग पर लग रहा जाम
ऋषिकेश-गंगोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पिछले चार दिनों से बंद होने के चलते ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून से वाहन बाय मसूरी मार्ग से होते हुए आ रहे है। इस मार्ग पर वाहनों का दबाव बढ़ने से कई जगहों पर जाम लग रहा जाम के चलते समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंचने से लोग परेशान हैं।


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