
रुद्रपुर। यह समय राजनीति में द्वेष, जाति और समुदाय की दीवारें खड़ी करने वालों का है — लेकिन ऐसे माहौल में यदि कोई नेता बिना भेदभाव इंसानियत का हाथ बढ़ाए, तो वह मिसाल बन जाता है। पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने एक बार फिर यह साबित किया है कि सच्ची राजनीति वोट की नहीं, बल्कि वोटर की पीड़ा को समझने की कला है।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
रम्पुरा निवासी दिवंगत राजेन्द्र कोली के परिवार की मदद कर ठुकराल ने सिर्फ एक निर्धन परिवार की सहायता नहीं की, बल्कि समाज को यह संदेश दिया कि धर्म, जाति या वर्ग से ऊपर उठकर मानवता सबसे बड़ा धर्म है। उन्होंने न तो किसी मंच का इंतजार किया, न किसी कैमरे का — बल्कि सीधे जरूरतमंद के घर जाकर राशन और जरूरी सामान सौंपा। यह कार्य किसी “राजनीतिक प्रचार” का हिस्सा नहीं, बल्कि एक संवेदनशील नागरिक के हृदय की पुकार थी।
रुद्रपुर जैसे बहुधार्मिक और बहुसांस्कृतिक शहर में ठुकराल की ऐसी पहलें सामाजिक एकता की डोर को मजबूत करती हैं। यही वह भाव है, जिसे उत्तराखंड की लोकआत्मा “भाईचारे की संस्कृति” कहती है। जब किसी नेता का झुकाव मानवता की ओर होता है, तो वह हिंदू या दलित, सिख या मुस्लिम नहीं, बल्कि एक सच्चा उत्तराखंडी बन जाता है।
इसी भाव को उन्होंने अपने जनता दरबार में भी जिया, जहां न किसी समुदाय का भेद था, न किसी वर्ग का। हर व्यक्ति को समान सम्मान और समाधान की आशा मिली। ठुकराल ने मौके पर ही अधिकारियों से वार्ता कर यह दिखा दिया कि “जनता की सेवा” केवल भाषण का हिस्सा नहीं, बल्कि उनके जीवन का उद्देश्य है।
आज जब समाज में सांप्रदायिकता की हवाएं चलाने वाले सक्रिय हैं, तब ठुकराल जैसे जनसेवक यह भरोसा दिलाते हैं कि अभी इंसानियत जिंदा है। उनके कार्यों से यह स्पष्ट झलकता है कि एकता और भाईचारा केवल नारे नहीं, बल्कि व्यवहार से निर्मित परंपरा हैं।
रुद्रपुर की जनता उनके इस सामाजिक सरोकार को देखकर गर्व महसूस करती है — क्योंकि यह शहर उन लोगों की पहचान से रोशन है, जो धर्म नहीं, धर्म का मर्म समझते हैं।
निश्चित रूप से, यहाँ समाचार के दोनों कार्यक्रमों — दिवंगत राजेन्द्र कोली के परिवार की सहायता और जनता दरबार — में मौजूद सभी व्यक्तियों के नामों को संपादकीय लेख में सुसंगत रूप से शामिल किया गया है, ताकि रिपोर्ट और अधिक पूर्ण और प्रमाणिक बने:
जब राजनीति जात-पात और धर्म की सीमाओं में उलझी हो, तब कोई नेता मानवता का हाथ थामे आगे बढ़े, तो वह समाज में नई उम्मीद जगाता है। पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने एक बार फिर यह मिसाल पेश की है। रम्पुरा निवासी दिवंगत राजेन्द्र कोली के निर्धन परिवार की मदद कर उन्होंने दिखा दिया कि असली सेवा राजनीति से नहीं, मानवीय संवेदना से जन्म लेती है।
ठुकराल ने मृतक की पत्नी रेखा कोली और उसके पाँच बच्चों को राशन सहित आवश्यक घरेलू सामग्री प्रदान की। इस अवसर पर उपस्थित रामवती कोली, पूनम कोरी, उषा कोली, माया कोली, रूबी कोली, हेमा कश्यप, पप्पू कश्यप, परमानंद कश्यप, जसवीर कोली, विष्णु कोली, अनिल कोली, राकेश कोली, सतीश कोली, हरिराम कोली और नंदनी कोली समेत अनेक स्थानीय नागरिकों ने इस मानवीय पहल की सराहना की।
ठुकराल ने कहा — “राजेन्द्र कोली के असमय निधन से उसका परिवार गहरे संकट में है। ऐसे समय में समाज का हर जिम्मेदार व्यक्ति उनके साथ खड़ा हो, यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी। मैं इस परिवार की हरसंभव सहायता के लिए आगे भी तत्पर रहूंगा।”
इसी मानवीयता की झलक उनके जनता दरबार में भी देखने को मिली, जहां बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याएं लेकर पहुंचे। ठुकराल ने हर एक को गंभीरता से सुना और मौके से ही अधिकारियों से बात कर त्वरित समाधान का भरोसा दिया।
जनता दरबार में हरीश चन्द्र राय, दीपा राय, सोबिता, आनन्द शर्मा, ललित बिष्ट, सतीश मिड्डा, आदेश गंगवार, केरू मण्डल, सोनू कुमार, विकास बंसल, जसवीर सिंह, हरीश पासवान, संजय कुमार और शंकर पासवान सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।
ठुकराल का यह प्रयास रुद्रपुर की सांप्रदायिक एकता का प्रतिबिंब है, जहां विभिन्न समुदायों के लोग बिना किसी भेदभाव के एक साथ खड़े दिखाई दिए। यह साबित करता है कि इंसानियत की भावना अब भी समाज के केंद्र में जीवित है।
आज जब विभाजन की राजनीति अपने चरम पर है, ऐसे में ठुकराल जैसे नेता यह संदेश दे रहे हैं कि धर्म से बड़ा धर्म मानवता है। रुद्रपुर की जनता ऐसे प्रयासों को देखकर न केवल गर्व महसूस करती है, बल्कि यह विश्वास भी पुख्ता होता है कि सेवा और सौहार्द ही उत्तराखंड की असली पहचान है।


