रुद्रपुर जल संरक्षण बैठक: बड़ी घोषणाएं, लेकिन ज़मीनी सच्चाई में फिर वही टालमटोल!रुद्रपुर, 21 अप्रैल 2025रिपोर्ट: अवतार सिंह बिष्ट

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जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया की अध्यक्षता में स्प्रिंग एंड रिवर रीजुवनेशन अथॉरिटी (SARA) की बैठक सोमवार को जिला सभागार में सम्पन्न हुई। बैठक में जनपद की जलधाराओं, सूखते स्रोतों और नदियों के संरक्षण को लेकर एक बार फिर उम्मीदों की बौछार की गई। जिलाधिकारी ने कहा कि विभागीय समन्वय और जनसहभागिता से जलधाराओं का चिन्हांकन कर उनका संरक्षण व संवर्धन किया जाएगा।

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

जमीनी सच्चाई: घोषणाओं के पीछे छिपा सिस्टम का दोहरा चेहरा

बैठक में दिए गए निर्देश तो सराहनीय हैं, परंतु क्या इनका धरातल पर कोई असर दिखेगा? इसका जवाब तलाशना रुद्रपुर की कल्याणी नदी के किनारे जाकर ही मिल जाता है। यह वही नदी है, जिसमें हजारों टन कचरा बहाया जा चुका है। नदी नहीं, अब नाला बन चुकी है। जल संरक्षण की बात करने वाले अधिकारी क्या कभी कल्याणी की सैर पर निकले हैं?

आवास विकास का ताजा मामला – जल संकट की जीवंत तस्वीर

रुद्रपुर के आवास विकास कॉलोनी (एमआईजी) की स्थिति जल विभाग की असफलता की जीती-जागती मिसाल है। करीब एक साल पहले सड़क निर्माण के चलते पेयजल पाइपलाइन डैमेज हो गई थी। स्थानीय नागरिकों ने जल संस्थान, नगर निगम, सिंचाई विभाग से लेकर जिलाधिकारी कार्यालय तक बार-बार दरवाजा खटखटाया, पर हर बार केवल “फॉरवर्ड” और “देखते हैं” की परिपाटी चली। एक साल बीत गया, पानी नहीं आया, लेकिन उपभोक्ता को पूरा साल का बिल जरूर थमा दिया गया – बिना पानी के!

शहर भर में ‘सूखे हैंडपंप’, ‘मौन नलकूप’ और ‘बंद स्कूल नल’

बैठक में हैंडपंप और नलकूपों के रिचार्ज की बात तो हुई, लेकिन क्या कभी अधिकारियों ने शहर के स्कूलों या सार्वजनिक स्थलों पर लगे नलों की असल स्थिति देखी है? ज़्यादातर हैंडपंप सूखे पड़े हैं, और जिनमें पानी आता है, वहां गंदगी का अंबार लगा होता है। क्या इनपर वॉल पेंटिंग से काम चल जाएगा?

जागरूकता शिविर या औपचारिकता का जलसा?

जागरूकता अभियानों की तारीखें तय कर दी गई हैं – 25 अप्रैल से 26 मई तक अलग-अलग ब्लॉकों में बैठकें होंगी। परंतु इन बैठकों से निकलकर क्या अधिकारी कभी कूड़ा ढोती कल्याणी नदी, गंदगी से पटे अमृत सरोवर या सूखे ट्यूबवेल की तरफ झांकेंगे?

मुख्य विकास अधिकारी मनीष कुमार ने भी बैठक में जलभराव से प्रभावित क्षेत्रों में रिवर ड्रेजिंग की बात उठाई। यह स्वागतयोग्य है – बशर्ते यह फाइलों से बाहर निकलकर धरातल पर उतरे।

कटाक्ष उन पर जो कुर्सी पर बैठे हैं, लेकिन नदियों की पीड़ा सुनने की फुर्सत नहीं

बैठक में अपर जिलाधिकारी अशोक कुमार जोशी, नगर आयुक्त नरेश चन्द्र दुर्गापाल, जिला विकास अधिकारी सुशील मोहन डोभाल, मुख्य शिक्षा अधिकारी केएस रावत, सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता भरत सिंह डांगी समेत कई अधिकारी मौजूद थे। इनमें से अधिकतर वही हैं जिनके विभागों की निष्क्रियता के कारण आज आम आदमी बूंद-बूंद को तरस रहा है।

उम्मीद की एक किरण या फिर घोषणाओं की पुनरावृत्ति?

उत्तराखंड राज्य गठन के 24 वर्षों में हमने जल संरक्षण को लेकर न जाने कितनी घोषणाएं सुनीं। अब समय है कि इनका लेखा-जोखा भी लिया जाए। क्या 2025 की ‘सारा’ बैठक उस स्थायी बदलाव की शुरुआत होगी, या यह भी पिछले आयोजनों की तरह महज एक “फोटो सेशन” बनकर रह जाएगी?

अंत में यही कहना उचित होगा – वॉल पेंटिंग, निबंध प्रतियोगिताएं और पौधारोपण महत्वपूर्ण हैं, लेकिन जब तक नदियों से कूड़ा नहीं हटेगा, नल में पानी नहीं आएगा, और हैंडपंपों में जीवन नहीं लौटेगा – तब तक ये सभी पहल ‘सूखे सपनों’ की तरह होंगी।


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