संपादकीय , स्वच्छता में रुद्रपुर की ऐतिहासिक छलांग: शिव अरोरा के नेतृत्व, प्रशासनिक निरंतरता और सामूहिक जनभागीदारी की जीत लेखक: अवतार सिंह बिष्ट

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रुद्रपुर,स्वच्छ भारत मिशन 2.0 के अंतर्गत आयोजित स्वच्छ सर्वेक्षण 2025 में उत्तराखंड के रुद्रपुर नगर निगम ने जो ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है, वह केवल एक आंकड़ों की छलांग नहीं, बल्कि प्रशासनिक इच्छाशक्ति, जनभागीदारी, और राजनीतिक समन्वय का अद्भुत उदाहरण है। राष्ट्रीय स्तर पर 68वीं रैंक और राज्य स्तर पर नगर निगमों में पहला स्थान, साथ ही सभी शहरों में दूसरा स्थान पाना, इस औद्योगिक शहर के लिए एक बड़ी छलांग है, विशेषकर तब जब पिछले वर्ष रुद्रपुर की राष्ट्रीय रैंकिंग 417 थी

विधायक शिव अरोड़ा: दृष्टि, दबाव और दिशा का नेतृत्व

रुद्रपुर की इस स्वच्छता क्रांति का यदि कोई राजनीतिक शिल्पकार है, तो वह हैं विधायक शिव अरोड़ा। विधानसभा स्तर पर निरंतर नगर निगम अधिकारियों को प्रेरित करना, फंडिंग सुनिश्चित कराना, और मुख्यमंत्री कार्यालय से संवाद बनाकर रखना – यह सब उन्होंने बखूबी निभाया। शिव अरोड़ा का प्रशासन से तालमेल और नगर निगम की योजनाओं में सीधे दखल देना कई बार आलोचना का विषय बना, लेकिन आज जो परिणाम सामने है, वह उनकी “माइक्रो मैनेजमेंट” शैली को वैधता देता है।

पूर्व जिलाधिकारी उदय राज सिंह: बुनियाद के इंजीनियर

यह रैंकिंग आकस्मिक नहीं है। जब पूर्व जिलाधिकारी उदयराज सिंह ने रुद्रपुर की कमान संभाली थी, तब बूढ़े का ढेर, खुले कूड़े के ढेर और अव्यवस्थित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम ने शहर को बदनाम कर रखा था। उदय राज सिंह ने कठोर निर्णय लेते हुए बूढ़े का ढेर निस्तारण की दिशा में कदम बढ़ाया और तकनीकी-प्रशासनिक रोडमैप तैयार कराया। वे स्वयं फील्ड में उतरे और “स्वच्छ रुद्रपुर, सुंदर रुद्रपुर” का सपना आकार लेने लगा।

पूर्व मेयर रामपाल सिंह: मेहनत की नींव

यह भी स्वीकार करना होगा कि जिन पुराने प्रयासों का आज फल मिला, उनकी नींव पूर्व मेयर रामपाल सिंह ने रखी थी। राजनीतिक अस्थिरता के बावजूद, रामपाल सिंह ने “स्वच्छता एप”, “डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण”, और “प्लास्टिक मुक्त वार्ड” जैसी पहलें कीं, जो शुरुआत में सुस्त रहीं लेकिन आज उनके दूरदर्शी फैसलों की अहमियत सामने आ रही है।

वर्तमान महापौर विकास शर्मा और नगर आयुक्त नरेश दुर्गापाल: जिम्मेदारी का सशक्त निर्वहन

महापौर विकास शर्मा और नगर आयुक्त नरेश दुर्गापाल इस उपलब्धि के साथ सशक्त रूप में उभरे हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण के दौरान उन्होंने न केवल पूर्ववर्ती योजनाओं को तेज गति दी, बल्कि कर्मचारियों को समयबद्ध कार्य करने के लिए प्रोत्साहित किया। उनके नेतृत्व में डोर-टू-डोर कलेक्शन, घरों में सैग्रिगेशन, और सफाईकर्मियों के लिए ट्रेनिंग प्रोग्राम जैसे मुद्दों पर ठोस काम हुआ।

सफाईकर्मियों और नागरिकों का योगदान: जमीनी नायक

आख़िर में किसी भी रैंकिंग का सबसे मजबूत आधार जनता होती है। रुद्रपुर के नागरिकों ने पिछले दो वर्षों में जिस तरह “कचरा नहीं फैलाना है”, “प्लास्टिक से बचना है” जैसे अभियानों में भागीदारी दिखाई, वह काबिल-ए-तारीफ है। वहीं नगर निगम के सफाईकर्मी, जिनकी सुबहें अंधेरे में शुरू होती हैं और दोपहरें धूप में बीतती हैं, उनकी निष्ठा और श्रम इस पुरस्कार के असली भागीदार हैं।

जीत किसी एक की नहीं, पर नेतृत्व की दिशा से तय होती है

रुद्रपुर की यह जीत किसी एक व्यक्ति की बपौती नहीं है, लेकिन यह भी सच है कि अगर नेतृत्व सही दिशा में हो, और प्रशासनिक दृष्टि व जन सहभागिता को साथ लेकर चला जाए – तो कोई भी शहर पीछे नहीं रह सकता।

विधायक शिव अरोड़ा ने जो शुरुआत की, उसे पूर्व जिलाधिकारी उदयराज सिंह और रामपाल सिंह जैसे प्रतिबद्ध अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने दिशा दी। अब इसे विकास शर्मा और नरेश दुर्गापाल की टीम ने अंतिम रूप देकर मुकाम तक पहुंचाया।

यदि आने वाले स्वच्छता सर्वेक्षण में रुद्रपुर टॉप 10 में शामिल होता है, तो इसका श्रेय स्वाभाविक रूप से वर्तमान नेतृत्व को जाएगा। लेकिन 2025 की इस ऐतिहासिक छलांग का सेहरा सामूहिक संघर्ष और निरंतरता को जाता है।

संपादक का संदेश:रुद्रपुर जैसे शहर का नाम जब स्वच्छ भारत मिशन के मानचित्र पर चमकता है, तो यह पूरे उत्तराखंड के लिए गर्व की बात होती है। उम्मीद है कि यह सफर केवल रैंकिंग तक सीमित न रहे, बल्कि शहर की जीवनशैली, पर्यावरण और नागरिक चेतना में स्थायी बदलाव लेकर आए।

संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!



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