
लोकतंत्र के रंगमंच पर ‘सपना’ की दस्तक
लोकतंत्र एक उत्सव है—एक ऐसा महोत्सव जो न केवल जन-जन की भागीदारी से सशक्त होता है, बल्कि समाज के हर वर्ग को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार देता है। उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जनपद में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के दौरान जिला पंचायत की ‘भंगा सीट’ एक ऐसा ही लोकतांत्रिक मंच बन गई जहाँ राजनीति, जनसंवाद और मनोरंजन का अद्भुत समन्वय देखने को मिला। इस सीट से चुनाव लड़ रही श्रीमती रेनू गंगवार के समर्थन में हरियाणा की सुप्रसिद्ध कलाकार सपना चौधरी ने जो ऊर्जा भरी, उसने न केवल जनता को झकझोरा, बल्कि लोकतंत्र के जमीनी मायनों को नए सिरे से परिभाषित किया।
रेनू गंगवार: जनविश्वास की अभिव्यक्ति
रेनू गंगवार का नाम सिर्फ एक प्रत्याशी नहीं बल्कि क्षेत्रीय जनविश्वास, सामाजिक पकड़ और एक लंबे समय से चल रही राजनीतिक विरासत का प्रतीक बन चुका है। भंगा क्षेत्र में गंगवार परिवार की प्रतिष्ठा और पकड़ को नजरअंदाज करना संभव नहीं। यह परिवार न केवल वर्षों से ग्रामीण समस्याओं को उठाता रहा है बल्कि शिक्षा, महिला सशक्तिकरण, सड़क विकास और स्वास्थ्य सेवाओं में भी अग्रणी रहा है। ऐसे में जब रेनू गंगवार ने चुनावी रणभूमि में कदम रखा, तो यह स्वाभाविक था कि उनके पक्ष में स्वाभाविक जनलहर उठे।
सपना चौधरी: जब मंच से गांव तक गूंजा तालियों का शोर
रेनू गंगवार की चुनावी मुहिम में सबसे रोचक और निर्णायक मोड़ तब आया जब हरियाणा की लोकप्रिय डांसर, कलाकार और जननेता बन चुकी सपना चौधरी उनके समर्थन में प्रचार के लिए पहुंचीं। 22 जुलाई की सुबह जब बरी फॉर्म गुरुद्वारे से रोड शो की शुरुआत हुई, तो किसी ने कल्पना नहीं की थी कि पूरे उधम सिंह नगर में चर्चा का केंद्र एक जिला पंचायत सीट बन जाएगी।
सपना चौधरी का रोड शो किसी राजनीतिक रैली से कम नहीं था—गांव की गलियों से लेकर सड़कों तक जनसैलाब उमड़ पड़ा। चाहे वो बरी हो, शहदौरा हो या आसपास के छोटे-बड़े गांव, हर जगह सपना के नाम की गूंज थी। ऐसा लग रहा था जैसे पूरा क्षेत्र एक कलाकार के सम्मान में सिर झुका रहा हो। लेकिन यह केवल ‘सेलिब्रिटी फैन फॉलोइंग’ नहीं थी—यह एक प्रतीक था कि अब आम जनता को अपने नेताओं में ईमानदारी के साथ-साथ आधुनिक संवाद और भरोसे का मिलाजुला रूप चाहिए।
शहदौरा की सभा: जब ‘गांव की चौपाल’ बनी जनजन का मंच
शहदौरा में आयोजित सपना चौधरी की सभा ने तो जैसे माहौल ही बदल दिया। यह सभा एक साधारण चुनावी सभा नहीं थी, बल्कि जनभावनाओं की एक ऐसी झलक थी जिसमें रेनू गंगवार के प्रति उम्मीद और सपना चौधरी के प्रति प्रेम एकसाथ बह रहा था। मंच से सपना ने जब ग्रामवासियों से रेनू गंगवार के पक्ष में मतदान की अपील की, तो तालियों की गूंज ने यह स्पष्ट कर दिया कि हवा का रुख किस दिशा में है।
सपना का यह कहना कि – “अगर रेनू जी चुनाव जीतती हैं तो मैं इसी गांव में एक और शो करूंगी” – न केवल एक वादा था, बल्कि ग्रामीण संस्कृति के साथ एक भावनात्मक रिश्ता भी।
सपना का संदेश: ग्लैमर से ज्यादा ज़मीन की बात
यहां यह बात विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि सपना चौधरी का प्रचार केवल ‘डांस और स्टारडम’ तक सीमित नहीं रहा। उन्होंने अपने भाषणों में नारी सशक्तिकरण, ग्रामीण शिक्षा, युवाओं के भविष्य और स्थानीय मुद्दों पर भी खुलकर बात की। सपना का यह अवतार ग्रामीण महिलाओं और युवाओं के बीच एक नई पहचान लेकर आया—एक ऐसी कलाकार जो मनोरंजन के साथ-साथ समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझती है।
चुनावी परिणाम से पूर्व ही जीत की आहट
28 जुलाई को जब मतदान हुआ, तो मीडिया रिपोर्ट्स से यह स्पष्ट हो गया कि रेनू गंगवार के पक्ष में जबरदस्त वोटिंग हुई है। गांवों से लेकर बस्तियों तक, युवाओं से लेकर बुजुर्गों तक—हर वर्ग ने रेनू को वोट देकर यह बता दिया कि उन्हें अपने क्षेत्र की विकास यात्रा को मजबूत हाथों में सौंपना है।
राजनीतिक समीकरणों को समझने वाले जानकारों का मानना है कि अगर यही रुझान बना रहा तो रेनू गंगवार उधम सिंह नगर की सर्वाधिक मतों से जीतने वाली जिला पंचायत सदस्य बन सकती हैं।
गंगवार परिवार: विश्वास और सेवा का संगम
रेनू गंगवार की यह संभावित जीत केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि गंगवार परिवार के दशकों के सामाजिक और राजनीतिक योगदान की मान्यता है। यह परिवार हमेशा ज़मीन से जुड़ा रहा है—चाहे वह किसानों की समस्याएं हों या महिला सुरक्षा के मसले, हर बार उन्होंने एक अग्रणी भूमिका निभाई है।
गांवों में गंगवार नाम केवल ‘राजनीति’ का प्रतीक नहीं बल्कि ‘विश्वास’ और ‘उपलब्धि’ का पर्याय बन चुका है।
सपना का वादा, जनता की अपेक्षा
अब जब सपना चौधरी ने यह वादा किया है कि रेनू की जीत पर वह फिर गांव में प्रस्तुति देंगी, तो जनता को इस ‘विजय उत्सव’ का इंतजार है। लेकिन यह केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं होगा—यह ग्रामीण भारत की उस छवि को दिखाएगा जिसमें कलाकार, राजनेता और आम नागरिक एकसाथ विकास और सौहार्द का सपना देखते हैं।
राजनीतिक प्रचार में बदलाव की बयार
रेनू गंगवार और सपना चौधरी की यह जोड़ी एक संदेश भी देती है—अब ग्रामीण राजनीति में केवल जातीय समीकरण और पुरानी धाराओं से काम नहीं चलेगा। जनता को संवाद चाहिए, सादगी चाहिए और एक नया विजन चाहिए। सपना चौधरी जैसी कलाकार जब आम जनता के मुद्दों को उठाती हैं, तो वह केवल प्रचारक नहीं रह जातीं—वह एक बदलाव की वाहक बन जाती हैं।
संपादकीय अवतार सिंह बिष्ट विशेष संवाददाता, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स एक ‘सपना’ जो साकार हो रहा है
पंचायत चुनाव 2025 का यह अध्याय यह दिखाता है कि जब जननेता और जनभावनाएं एक सुर में गूंजती हैं तो लोकतंत्र की शक्ति कितनी विशाल हो जाती है। भंगा सीट पर रेनू गंगवार की संभावित जीत न केवल गंगवार परिवार की सामाजिक प्रतिष्ठा की विजय है, बल्कि यह एक नई शैली की राजनीति की भी शुरुआत है।
सपना चौधरी ने मंच से जो संदेश दिया और जिस ऊर्जा से रेनू गंगवार के पक्ष में समर्थन जुटाया, वह अभूतपूर्व था। उनके नाम से ही गांवों के ग्राउंड तालियों से गूंज उठे—यह नज़ारा केवल किसी कलाकार का जलवा नहीं बल्कि उस ‘सपने’ का सच होना है जिसमें नेता, जनता और कलाकार एकजुट होकर विकास की ओर बढ़ते हैं।
यह जीत केवल रेनू गंगवार की नहीं, बल्कि उस नई राजनीति की है जिसमें गांवों की आवाज़ बनती है – गूंजती है और परिवर्तन लाती है।
हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स” संवाददाता अवतार सिंह बिष्ट/ “उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

