
रुद्रपुर नगर निगम प्रांगण में उस दिन का दृश्य कुछ अलग ही था। वातावरण में फैली सुगंध केवल धूप-अगरबत्ती की नहीं थी, बल्कि उसमें महिला शक्ति, आत्मनिर्भरता और स्वदेशी गर्व की भी महक घुली हुई थी। अवसर था प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन्मदिवस उपलक्ष्य में आयोजित सेवा पखवाड़ा कार्यक्रम का, जहां सारथी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने अपने स्टॉल के माध्यम से समाज को यह संदेश दिया कि आत्मनिर्भरता केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक जीवंत सच्चाई है।



✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
महिला शक्ति का जीवंत उदाहरण?सारथी स्वयं सहायता समूह की सक्रिय सदस्याएँ—गीता जोशी, ममता नेगी, अर्चना सिंह, गिरजावती, मनीषा सुमन रावत, ममता बिष्ट, शीला, रेखा जोशी और इंद्रवती—ने अपने हाथों की मेहनत और लगन से धूप-अगरबत्ती का स्वदेशी उत्पादन किया है। यह धूप-अगरबत्ती केवल एक उत्पाद नहीं, बल्कि इन महिलाओं के सपनों, संघर्ष और आत्मविश्वास की महक से सजी एक रचना है।
जहाँ एक ओर आज के दौर में बाज़ार विदेशी उत्पादों और मशीन-निर्मित सामग्री से भरे पड़े हैं, वहीं इन महिलाओं ने परंपरागत तरीकों और शुद्ध प्राकृतिक सामग्रियों से धूप-अगरबत्ती बनाकर ‘वोकल फॉर लोकल’ के नारे को साकार किया है।
स्वदेशी उत्पादन का महत्व?धूप और अगरबत्ती भारतीय संस्कृति और अध्यात्म का अभिन्न हिस्सा हैं। मंदिरों में, पूजा-अर्चना में, यहां तक कि घर की पवित्रता बनाए रखने में भी इनका उपयोग होता है। परंतु अफसोस की बात यह रही है कि इस क्षेत्र पर लंबे समय से विदेशी कंपनियों का वर्चस्व रहा है।
सारथी स्वयं सहायता समूह ने इस चुनौती को अवसर में बदला। उन्होंने स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर ऐसा उत्पादन किया जो न केवल किफायती है बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी सुरक्षित है। इनका ध्येय केवल व्यापार करना नहीं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देना और महिलाओं को रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में कदम?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सपना तब ही साकार होगा जब गाँव-गाँव, मोहल्ले-मोहल्ले में महिलाएँ और युवा अपनी क्षमताओं को पहचानेंगे। सारथी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि बड़े उद्योगपति या भारी-भरकम मशीनरी की आवश्यकता नहीं है; सच्ची लगन और ईमानदारी से किया गया प्रयास ही आत्मनिर्भरता की ओर मार्ग प्रशस्त करता है।
इन महिलाओं का प्रयास यह भी दर्शाता है कि स्वरोज़गार केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और सामाजिक पहचान का भी माध्यम है।
सुगंध के बहाने समाजिक संदेश?धूप-अगरबत्ती केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं। इसकी सुगंध लोगों को जोड़ती है, मन को शांति देती है और वातावरण को पवित्र करती है। ठीक उसी प्रकार, सारथी स्वयं सहायता समूह ने यह संदेश दिया कि महिलाओं का सामूहिक प्रयास समाज में सकारात्मक ऊर्जा और प्रेरणा का संचार कर सकता है।
कार्यक्रम की गरिमा?प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम में राजनीतिक और प्रशासनिक हस्तियों की उपस्थिति ने इसे और गरिमामयी बना दिया।
कार्यक्रम में रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा, नगर निगम के मेयर विकास शर्मा, भाजपा जिलाध्यक्ष शिव अरोड़ा, जिला प्रशासन के अधिकारी, समाजसेवी संगठनों के प्रतिनिधि और अनेक स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। सभी ने महिलाओं की इस पहल की सराहना की और भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसे समूहों को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
नेताओं की प्रतिक्रिया
- विधायक शिव अरोड़ा ने कहा कि यह महिलाएँ आत्मनिर्भरता की मिसाल हैं और सरकार इनकी हर संभव मदद करेगी।
- मेयर विकास शर्मा ने नगर निगम की ओर से ऐसे स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने का आश्वासन दिया।
- भाजपा के जिला पदाधिकारियों ने कहा कि प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के जन्मदिन को ‘सेवा पखवाड़ा’ के रूप में मनाना तभी सार्थक है, जब समाज की अंतिम पंक्ति तक लाभ पहुंचे और महिलाओं की ऐसी पहल सामने आए।
समाज के लिए प्रेरणा?आज जब युवा पीढ़ी नौकरी की तलाश में भटक रही है, सारथी स्वयं सहायता समूह का उदाहरण उन्हें प्रेरित करता है कि स्वरोज़गार के रास्ते भी खुले हैं। यह समूह यह साबित करता है कि छोटे-छोटे प्रयास भी बड़े बदलाव की नींव रख सकते हैं।
इन महिलाओं ने यह दिखाया कि घर की चारदीवारी में बंधी रहने के बजाय, अगर वे अपने हुनर को सामने लाएँ, तो समाज में सम्मान और पहचान दोनों प्राप्त कर सकती हैं।
भविष्य की संभावनाएँ?यदि सरकार और समाज मिलकर ऐसे समूहों को सहयोग दें—प्रशिक्षण, विपणन सहायता और वित्तीय मदद प्रदान करें—तो यह महिलाएँ न केवल अपने परिवार का जीवन स्तर सुधारेंगी, बल्कि पूरे जिले और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देंगी।
सारथी स्वयं सहायता समूह की महिलाएँ केवल धूप-अगरबत्ती नहीं बना रहीं, वे आत्मनिर्भर भारत की नींव रख रही हैं। उन्होंने यह साबित किया है कि सामूहिक प्रयास, आत्मविश्वास और स्वदेशी भावना से बड़ा कोई धन नहीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के जन्मदिन पर आयोजित इस कार्यक्रम में उनका योगदान इस बात का प्रतीक है कि महिला शक्ति जब उठ खड़ी होती है, तो समाज की दिशा बदल सकती है।
यह केवल एक स्टॉल नहीं था, यह एक सुगंधित संदेश था—स्वदेशी अपनाओ, आत्मनिर्भर बनाओ, और महिला शक्ति को आगे बढ़ाओ।”

