
इस शोध में वैज्ञानिकों ने ऐसे लोगों पर शोध किया जो मौत के कगार पर थे। जिसमें वे आत्मा का वजन मापना चाहते थे। इस दौरान विशेषज्ञों ने लोगों के वजन में बदलाव देखा। जिससे वैज्ञानिकों को समझ में आया कि आत्मा वाकई में मौजूद है या नहीं।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह
आत्मा के वजन का प्रयोग
वैज्ञानिकों ने किस पर प्रयोग किया?
एक अमेरिकी वैज्ञानिक और डॉक्टर मैकडॉगल ने 1907 में आत्मा का वजन मापने के लिए मृत लोगों पर एक प्रयोग किया था। इस प्रयोग पर काम करते हुए उन्होंने ऐसे लोगों के शरीर का वजन मापा जो जल्द ही मरने वाले थे। ताकि उनकी मौत के तुरंत बाद उनका दोबारा वजन किया जा सके। इससे पता चल सके कि वाकई उस व्यक्ति के वजन में कोई अंतर है या नहीं। ताकि वे आत्मा के वजन को समझ सकें।
जब यह प्रयोग दो और लोगों पर किया गया तो पाया गया कि मृत्यु के बाद उनका वजन भी कम हो गया है। हालांकि, थोड़े समय बाद ही उन दोनों का वजन पहले की तुलना में बढ़ गया था। इसके अलावा एक अन्य मरीज का वजन मृत्यु के बाद 28 ग्राम कम हो गया।
मृत्यु के बाद उनका कितना वजन कम हुआ?
जब डॉ. मैकडॉगल ने पूछा तो पहले मरीज का वजन मृत्यु के बाद 21 ग्राम कम हो गया था। जबकि दूसरे मरीज का वजन भी मृत्यु के बाद 28 ग्राम कम हो गया था। हालांकि, थोड़े समय बाद उसी मरीज का वजन पहले जितना ही मापा गया।
वजन कम होने का कारण क्या था?
अपने प्रयोग के आधार पर वैज्ञानिकों ने बताया कि मृत्यु के बाद शरीर में कई तरह के बदलाव देखे गए। इसकी वजह से मृत्यु के बाद शरीर का वजन भी कम हो गया। जैसे खून का थक्का जमना, फेफड़ों से आखिरी सांस निकलना, रासायनिक प्रतिक्रियाएं आदि। हालांकि, जब सरकार को इन प्रयोगों के बारे में पता चला तो पता चला कि उन्होंने इस पर रोक लगा दी।
PC: Aaj Tak
मेडिकल साइंस ने बहुत तरक्की कर ली है। इसमें वैज्ञानिक तरह-तरह के प्रयोग करते रहते हैं। वैज्ञानिक ज्यादातर जानवरों या शवों पर शोध करते हैं। हालांकि, अमेरिका में एक ऐसा शोध हुआ है, जिसमें वैज्ञानिकों ने इस बात पर शोध किया है कि आत्मा का वजन कितना होता है।
आत्मा के वजन का प्रयोग
मृत्यु के बाद उनका कितना वजन कम हुआ?
वजन कम होने का कारण क्या था?
