रुद्रपुर,शैल परिषद सम्पूर्ण प्रदेश के साथ इस दुःख की घड़ी में एकजुट खड़ी है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह सभी प्रभावितों को शक्ति दे और लापता लोगों की कुशलता से वापसी सुनिश्चित हो।

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शोक संवेदना
शैल सांस्कृतिक समिति (शैल परिषद), रुद्रपुर ?उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में बादल फटने की भीषण आपदा ने सभी को स्तब्ध और व्यथित कर दिया है। इस अप्रत्याशित त्रासदी में जिन अनेक निर्दोष जीवनों की क्षति हुई है और जो लोग अब भी लापता हैं, उनके प्रति हमारी गहरी संवेदना है।

यह घटना केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि मानवता को झकझोर देने वाला क्षण है। उन पीड़ित परिवारों के दर्द को शब्दों में समेटा नहीं जा सकता जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है या जो अब भी अनिश्चितता की पीड़ा में हैं।✍️अवतार सिंह बिष्ट,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी

शैल परिषद सम्पूर्ण प्रदेश के साथ इस दुःख की घड़ी में एकजुट खड़ी है। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह सभी प्रभावितों को शक्ति दे और लापता लोगों की कुशलता से वापसी सुनिश्चित हो।

हम सभी दिवंगत आत्माओं की शांति हेतु नमन करते हैं।ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः।


शोक वक्तव्य
गोपाल सिंह पटवाल, अध्यक्ष – शैल सांस्कृतिक समिति (शैल परिषद),रुद्रपुर,
उत्तरकाशी जिले के धराली क्षेत्र में आई भीषण प्राकृतिक आपदा ने पूरे उत्तराखंड को गहरे शोक और पीड़ा में डुबो दिया है। बादल फटने की इस वीभत्स घटना में जिस तरह से लोगों के घर उजड़ गए, परिवार बिछुड़ गए और कई अनमोल जिंदगियाँ काल के गाल में समा गईं — वह दृश्य हृदय विदारक है। यह केवल भौतिक क्षति नहीं, बल्कि हमारी सामूहिक चेतना पर लगा एक गहरा घाव है।

शैल परिषद दिवंगत आत्माओं को श्रद्धांजलि अर्पित करती है और ईश्वर से प्रार्थना करती है कि वे शोकाकुल परिवारों को इस असहनीय दुख को सहने की शक्ति प्रदान करें।

यह समय केवल आँकड़े गिनने या प्रशासनिक समीक्षाएँ करने का नहीं है, बल्कि मानवीय करुणा, त्वरित राहत और दीर्घकालिक समाधान की आवश्यकता का है।

उत्तराखंड एक संवेदनशील पर्वतीय राज्य है, जहाँ विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन न बना तो इस तरह की त्रासदियाँ और विकराल होती जाएँगी। मैं प्रदेश सरकार और आपदा प्रबंधन एजेंसियों से अपील करता हूँ कि राहत और पुनर्वास कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए तथा पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु संकट को देखते हुए सतर्क नीतियाँ अपनाई जाएँ।
शैल परिषद इस संकट की घड़ी में हर संभव सहायता और सहयोग के लिए प्रतिबद्ध है।
ॐ शांति।”

— एडवोकेट दिवाकर पांडे, महासचिव, शैल परिषद?उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में आई विनाशकारी आपदा ने समूचे उत्तराखंड को शोक में डुबो दिया है। बादल फटने से जो भीषण तबाही हुई, उसमें अनेक निर्दोष नागरिकों के साथ-साथ सेना के जवान भी लापता हो गए। यह केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि राज्य के पर्वतीय जीवन की नाजुकता की कठोर याद दिलाती है।

शैल परिषद इस दुखद घड़ी में दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती है और उनके परिजनों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करती है। सेना के लापता जवानों के लिए हमारी आत्मा रो रही है — वे देश की रक्षा में हर परिस्थिति में तत्पर रहते हैं, और आज प्रकृति की इस मार के शिकार बने हैं।हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि सभी लापता जन सकुशल अपने परिवारों में लौटें। यह समय एकजुटता, सहानुभूति और सक्रिय राहत कार्यों का है। प्रशासन को संवेदनशीलता के साथ कार्य करना होगा।हमारी प्रार्थनाएँ हर पीड़ित परिवार के साथ हैं।
ॐ शांति।

श्रद्धांजलिपूर्ण वक्तव्य
डॉ. अमिता उप्रेती
(पूर्व महानिदेशक, स्वास्थ्य सेवाएं, उत्तराखंड सरकार)
(आजीवन सदस्य, शैल सांस्कृतिक समिति)

“धराली क्षेत्र में घटित भीषण प्राकृतिक आपदा ने हम सभी को भीतर तक झकझोर दिया है। इतने सारे निर्दोष नागरिकों और हमारे वीर सैनिकों का इस त्रासदी में लापता हो जाना अत्यंत दुखद और पीड़ादायक है।

आज इस सभा में खड़े होकर मेरा मन भारी है। उन सभी दिवंगत आत्माओं के प्रति मैं अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूँ। उनकी स्मृति हमारे दिलों में हमेशा जीवित रहेगी।

सेना के लापता जवानों की खबरें विशेष रूप से मन को विचलित करती हैं। वे जो हर परिस्थिति में हमारी सुरक्षा के लिए तैनात रहते हैं, आज प्रकृति के विकराल रूप में असहाय पाए गए। मैं ईश्वर से प्रार्थना करती हूँ कि सभी लापता लोग सकुशल अपने परिवारों के बीच लौट आएँ।

यह केवल शोक की नहीं, चेतना की घड़ी है। उत्तराखंड जैसे संवेदनशील राज्य में हमें आपदा प्रबंधन और पर्यावरणीय संतुलन की दिशा में गहरी प्रतिबद्धता दिखानी होगी।

शैल परिषद के इस मंच से मैं सभी प्रभावित परिवारों के प्रति गहन संवेदना प्रकट करती हूँ और ईश्वर से उनकी पीड़ा हरने की प्रार्थना करती हूँ।

ॐ शांति।”

धराली और हर्षिल क्षेत्र में बादल फटने की घटना से न केवल स्थानीय निवासियों के घर, जीविका और परिजनों का नाश हुआ है, बल्कि कई जवानों और आम नागरिकों के लापता होने की आशंका अब भी गहरी चिंता का विषय बनी हुई है। यह घटना न केवल उत्तराखण्ड के पर्वतीय जनजीवन की कठिनाइयों को उजागर करती है, बल्कि हमारी आपदा प्रबंधन व्यवस्था की कमजोरियों पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है। संकट की इस घड़ी में उत्तराखण्ड के पर्वतीय नागरिकों के प्रति विशेष संवेदनशीलता और सहानुभूति दर्शाते हुए त्वरित कदम उठाएं। यह केवल एक राज्य नहीं, संपूर्ण राष्ट्र की मानवीय परीक्षा है।ईश्वर से प्रार्थना है कि सभी लापता व्यक्ति सकुशल लौटें और दिवंगत आत्माओं को शांति प्राप्त हो।

सादर,शैल सांस्कृतिक समिति (शैल परिषद), रुद्रपुर,सभी पदाधिकारी व आजीवन सदस्यगण की ओर से


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