
इनमें से शारदीय नवरात्र को सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण माना जाता है. इस साल शारदीय नवरात्र की शुरुआत 22 सितंबर, सोमवार से हो रही है. 1 अक्टूबर को महानवमी के साथ समापन किया जाएगा.


✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
इस दौरान नौ दिनों तक माता के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा-अर्चना होगी और पूरे देश में भक्ति और आस्था का वातावरण छाया रहेगा. नवरात्र के दिनों में वातावरण में सकारात्मकता का संचार होता है. यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी बेहद खास माना जाता है. मान्यता है कि नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा करने से बुराइयों का नाश होता है, जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं.
इस साल कब शुरू होंगी नवरात्र?
पंचांग के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 22 सितंबर को रात 1 बजकर 23 मिनट से शुरू होगी और 23 सितंबर को रात 2 बजकर 55 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के आधार पर इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर, सोमवार से ही मनाई जाएगी. अष्टमी तिथि 30 सितंबर को और महानवमी 1 अक्टूबर को होगी.
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक, शारदीय नवरात्र 2025 में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:09 बजे से 8:06 बजे तक रहेगा. इस दौरान कुल 1 घंटा 56 मिनट का समय विशेष रूप से कलश स्थापना के लिए उत्तम है. अगर कोई भक्त इस समय कलश स्थापना नहीं कर पाता है तो वह अभिजीत मुहूर्त में भी यह कर सकता है, जो सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक रहेगा.
नवरात्र का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
नवरात्र को शक्ति की उपासना का पर्व कहा जाता है. मान्यता है कि इस संसार की सारी शक्ति नारी स्वरूप में विद्यमान है, इसलिए नवरात्र के नौ दिनों में मां दुर्गा की आराधना की जाती है. इन नौ दिनों में मां के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा होती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है. प्रत्येक स्वरूप से अलग-अलग वरदान और आशीर्वाद प्राप्त होता है.

