विशेष रिपोर्ट | उत्तराखंड पंचायत चुनाव 2025: निर्दलीयों का बोलबाला, बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण बिगड़े

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निर्दलीयों की निर्णायक भूमिका

हालांकि इनमें से कई निर्दलीय उम्मीदवारों को परोक्ष रूप से भाजपा या कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था, लेकिन अधिकारिक तौर पर निर्दलीय रहकर उन्होंने जनसमर्थन की ताकत दिखा दी। अब जब जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण सूची जारी हो चुकी है और 6 अगस्त से ब्लॉक प्रमुख और अध्यक्ष पद के लिए जोड़-तोड़ शुरू होने वाली है, तब निर्दलीयों की भूमिका सत्ता संतुलन में निर्णायक बन गई है


क्षेत्रवार समीकरण और राजनीतिक झटके

देहरादून:राजधानी की 30 सीटों में कांग्रेस ने 13, भाजपा ने 7, और निर्दलीयों ने 10 सीटें जीतीं। यहाँ कांग्रेस की मजबूत पकड़ को निर्दलीयों ने संतुलित कर दिया।

बागेश्वर:बीजेपी को 9, कांग्रेस को 6, और निर्दलीयों को 4 सीटें मिलीं। यहाँ भाजपा को थोड़ी राहत जरूर है, पर निर्दलीयों का दखल स्पष्ट है।

पौड़ी:38 में से भाजपा को 18, कांग्रेस को 16 और निर्दलीयों को 4 सीटें। बड़ी बात यह रही कि भाजपा के कई दिग्गज नेताओं को हार का सामना करना पड़ा

✍️ अवतार सिंह बिष्ट
विशेष संवाददाता, शैल ग्लोबल टाइम्स / हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्सउत्तराखंड की राजनीति में इस बार पंचायत चुनावों ने नया समीकरण रच दिया है। कुल 358 जिला पंचायत सीटों के नतीजों में निर्दलीय उम्मीदवारों ने सबसे अधिक 128 सीटें जीतकर भाजपा (124 सीटें) और कांग्रेस (106 सीटें) दोनों को पीछे छोड़ दिया। इन परिणामों ने राज्य की राजनीतिक जमीन को झकझोर कर रख दिया है।

अल्मोड़ा:45 सीटों में कांग्रेस ने 21, भाजपा ने 19, और निर्दलीयों ने 5 सीटें लीं। यहाँ कांग्रेस आगे रही लेकिन स्पष्ट बहुमत किसी को नहीं मिला।

नैनीताल:बीजेपी के लिए बड़ा झटका — 23 प्रत्याशी उतारे पर केवल 8 जीते। कांग्रेस ने 10 और निर्दलीयों ने 9 सीटें लीं।

चमोली:निर्दलीयों ने 17 सीटें जीतकर भाजपा (4) और कांग्रेस (5) को चारों खाने चित कर दिया। पूर्व मंत्री की पत्नी तक चुनाव हार गईं।

उत्तरकाशी:28 में से 21 सीटों पर निर्दलीयों और कांग्रेस ने कब्जा जमाया। 15 महिलाओं की जीत ने भी इस बार नया संदेश दिया।

रुद्रप्रयाग:18 सीटों में से निर्दलीयों ने 10 पर जीत दर्ज की। भाजपा और कांग्रेस की जड़ें यहाँ कमजोर होती दिखीं।

चम्पावत और पिथौरागढ़:चम्पावत में भाजपा को राहत (10 सीटें), जबकि पिथौरागढ़ में 15 निर्दलीयों की जीत ने पार्टी को गहरे सोच में डाल दिया।

उधम सिंह नगर:यहाँ त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिला — भाजपा व कांग्रेस को 12-12 सीटें, जबकि 11 निर्दलीय विजयी रहे।

टिहरी गढ़वाल:यहाँ तो निर्दलीयों ने 26 सीटें जीतकर भाजपा (11) और कांग्रेस (8) दोनों को पटखनी दी।


अब आगे क्या?अब जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुखों के चुनाव में खरीद-फरोख्त, जोड़-तोड़ और ‘उपकारों की राजनीति’ का दौर शुरू हो चुका है। चूंकि कोई भी दल स्पष्ट बहुमत नहीं ला पाया, ऐसे में निर्दलीय उम्मीदवार ‘किंगमेकर’ नहीं बल्कि खुद ‘किंग’ बनने की तैयारी में हैं।बीजेपी ने जहां कई निर्दलीयों को समर्थन देने की घोषणा करवा दी है, वहीं कांग्रेस अंदरखाने समीकरण बनाने में जुट गई है। दल-बदल, वफादारी परीक्षण और भावनात्मक अपील — सब हथियार इस्तेमाल होंगे।


राजनीतिक संदेश और 2027 की आहटइन परिणामों को केवल पंचायत चुनाव न मानें — यह 2027 विधानसभा चुनाव की ज़मीनी तैयारी है। ग्रामीण जनता का मूड, पार्टी कार्यकर्ताओं


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