
हरिद्वार,हर वर्ष आषाढ़ माह की अमावस्या तिथि हिन्दू पंचांग में विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व रखती है। यह दिन न केवल पितृ तर्पण और जलदान के लिए उपयुक्त माना जाता है, बल्कि यह स्नान, दान और तपस्या का भी विशेष अवसर होता है। विशेष रूप से जब यह तिथि सोमवती अमावस्या, सर्वार्थसिद्धि या अन्य शुभ योगों के साथ आए—जैसा कि इस वर्ष हो रहा है—तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। इस अवसर पर हरिद्वार की हर की पौड़ी जैसे तीर्थस्थलों में लाखों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़ पड़ते हैं। यह श्रद्धा का सागर भारत की सांस्कृतिक आत्मा की झलक है, जिसमें धर्म, प्रकृति और परंपरा का अद्भुत संगम दिखाई देता है।
गंगा स्नान: पापों से मुक्ति का प्रतीक
हिंदू मान्यता के अनुसार आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति जन्मों के पापों से मुक्त होता है। विशेषकर हरिद्वार स्थित हर की पौड़ी, जिसे स्वयं भगवान विष्णु के चरणों का स्पर्श प्राप्त है, में स्नान करने से अनेक जन्मों के पाप कट जाते हैं। यही कारण है कि इस दिन देश के कोने-कोने से श्रद्धालु हरिद्वार पहुंचते हैं, गंगा में आस्था की डुबकी लगाते हैं और अपने पितरों के लिए तर्पण करते हैं।


इस दिन किया गया गंगा स्नान केवल शरीर की शुद्धि नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि का माध्यम भी है। मान्यता है कि गंगा माँ का जल स्वयं त्रिदेवों का आशीर्वाद लेकर बहता है—ब्रह्मा की उत्पत्ति, विष्णु की धारा और शिव की जटा से मुक्त हुई यह नदी मोक्ष का मार्ग मानी गई है।
क्यों महत्वपूर्ण है अमावस्या?
अमावस्या वह तिथि है जब चंद्रमा पूर्ण रूप से लुप्त रहता है। इसे तमस और अंधकार का प्रतीक माना जाता है, परंतु यही अंधकार आत्मनिरीक्षण और तपस्या का द्वार भी खोलता है। आषाढ़ अमावस्या वर्षा ऋतु के प्रारंभ का संकेत देती है, जो कृषि, प्रकृति और जीवन चक्र के लिए महत्वपूर्ण है। यह ऋतुशुद्धि और भूमि की उर्वरता का समय है, इसलिए इसे प्रकृति के साथ आध्यात्मिक शुद्धि का भी दिन माना जाता है।
पितृ तर्पण और पिंडदान की परंपरा
इस दिन पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा विशेष रूप से प्रचलित है। हरिद्वार में कुशावर्त घाट और हर की पौड़ी जैसे स्थानों पर पंडितों द्वारा विधिवत रूप से यह कर्मकांड संपन्न कराया जाता है। मान्यता है कि इससे पितर संतुष्ट होते हैं और परिवार पर आशीर्वाद की वर्षा करते हैं। जो लोग पितृ ऋण से मुक्ति चाहते हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत उपयुक्त है।
हरिद्वार: अध्यात्म, आस्था और ऊर्जा का संगम
हरिद्वार को देवभूमि उत्तराखंड का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। यह स्थान केवल तीर्थ यात्रा का पड़ाव नहीं, बल्कि हिन्दू चेतना का जीवंत केंद्र है। यहाँ की हर की पौड़ी पर सूर्यास्त के समय होने वाली गंगा आरती एक अद्वितीय अनुभव है। इस दिन लाखों श्रद्धालु न केवल गंगा स्नान करते हैं, बल्कि दीपदान और भजन-कीर्तन में भाग लेकर आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।
गंगा के किनारे घंटों तक मंत्रोच्चार, आरती और शंखध्वनि से वातावरण गूंजता है। जल में दीपक बहाना मानो किसी के पितरों को प्रकाश भेजने जैसा लगता है। यह दृश्य आधुनिकता के शोर में भी सनातन धर्म की मौन शक्ति का साक्षात्कार है।
बन रहे हैं शुभ योग
इस वर्ष आषाढ़ अमावस्या पर सर्वार्थसिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग और शनि-चंद्रमा की युति जैसे कई विशेष योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस दिन स्नान, जप, तप, दान और व्रत का फल सामान्य से कई गुना अधिक मिलता है। ऐसे योगों में किया गया पुण्यकर्म शीघ्र फलदायक होता है।
आस्था की अजस्र धारा
आषाढ़ अमावस्या का पर्व केवल एक तिथि नहीं, बल्कि भारतीय जीवन-दर्शन की गहराई को दर्शाता है। यह वह दिन है जब मनुष्य प्रकृति, पितरों और ईश्वर से अपने संबंधों को सुदृढ़ करता है। हरिद्वार की पावन धारा में स्नान करना, मानो अपने भीतर के कलुष को धोना है। यह केवल आस्था नहीं, आत्मा के परिमार्जन की क्रिया है।
आज के दिन हर की पौड़ी में डाली गई हर एक आहुति, किया गया प्रत्येक तर्पण और बहाया गया हर एक दीपक, सनातन संस्कृति की उसी चेतना को आगे बढ़ाता है जो हजारों वर्षों से हमारी आत्मा में जीवित है। इस अमावस्या पर स्नान कर हम केवल शरीर नहीं, संकल्प भी शुद्ध करते हैं — स्वयं को, समाज को और सनातन धर्म की परंपराओं को।
लेखक: अवतार सिंह बिष्ट
प्रकाशन: हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स / शैल ग्लोबल टाइम्स
आषाढ़ अमावस्या पर पावन गंगा स्नान की दिव्य अनुभूति,आज आषाढ़ अमावस्या के पावन पर्व पर श्रीमती मोहनी अवतार सिंह ने अपने पूरे परिवार संग हरिद्वार हर की पौड़ी में गंगा में पवित्र डुबकी लगाई। गंगा स्नान का यह क्षण आध्यात्मिक ऊर्जा और धार्मिक आस्था से ओतप्रोत रहा। माना जाता है कि अमावस्या के दिन गंगा में स्नान करने से समस्त पाप नष्ट होते हैं और पितरों को तृप्ति मिलती है। पूरे परिवार ने मंत्रोच्चारण, दीपदान और गंगा आरती में भाग लेकर मोक्ष की अनुभूति की। यह पुण्य अवसर जीवन को शुद्धता, शांति और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रेरित करता है।

