
महाराजपुर, 28 अप्रैल 2025 – राजकीय प्राथमिक विद्यालय, महाराजपुर में आज एक ऐतिहासिक और उत्साहपूर्ण बाल सभा का आयोजन किया गया, जिसमें विद्यार्थियों के साथ-साथ विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) के सदस्य और कई अभिभावक भी शामिल हुए। इस आयोजन ने न केवल बच्चों के अंदर नेतृत्व क्षमता और अभिव्यक्ति कौशल को बढ़ावा दिया, बल्कि विद्यालय की समस्याओं को रचनात्मक ढंग से सामने लाने का भी महत्वपूर्ण अवसर प्रदान किया।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता
बच्चों ने नाटिका के माध्यम से दिखाई विद्यालय की जमीनी सच्चाई
कार्यक्रम की शुरुआत एक प्रेरणादायी लघु नाटिका से हुई, जिसे विद्यालय के बच्चों ने बड़े मनोयोग और जीवंतता से प्रस्तुत किया। इस नाटिका के माध्यम से बच्चों ने उन दैनिक चुनौतियों और असुविधाओं को रेखांकित किया, जिनका सामना वे विद्यालय में करते हैं।
प्रमुख समस्याओं में भोजन के बाद थाली धोने में आने वाली कठिनाई, शौचालयों की नियमित सफाई न होना, पुस्तकालय में पुस्तकों के अभाव और पढ़ने की नियमित व्यवस्था न होना, स्कूल मैदान में अत्यधिक धूल उड़ने से स्वास्थ्य पर पड़ने वाला प्रतिकूल प्रभाव, बैठने के लिए पर्याप्त सीटों की कमी तथा मध्यान्ह भोजन में नमक-मिर्च की कम मात्रा जैसे मुद्दे शामिल थे।
बच्चों ने अपने सहज yet गंभीर अभिनय से इन समस्याओं को इस तरह प्रस्तुत किया कि उपस्थित अभिभावक, शिक्षक और समिति सदस्य भी सोचने पर मजबूर हो गए। यह नाटिका केवल मनोरंजन का माध्यम नहीं थी, बल्कि बच्चों की वास्तविक आवाज बनकर उभरी।
पिरामल फाउंडेशन की प्रोग्राम लीड देवयानी का प्रेरक सत्र
बाल सभा के मुख्य अतिथि के रूप में पिरामल फाउंडेशन से आईं प्रोग्राम लीड देवयानी ने बच्चों और उपस्थित जनसमुदाय को एक पीपीटी प्रस्तुति के माध्यम से बाल सभा की महत्ता के बारे में जागरूक किया।
देवयानी ने सरल और प्रभावी भाषा में बताया कि बाल सभा कैसे बच्चों को लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी सिखाती है। उन्होंने समझाया कि बाल सभा न केवल विद्यालय स्तर पर बच्चों की समस्याओं के समाधान का मंच है, बल्कि यह भविष्य में एक समावेशी, संवेदनशील और जवाबदेह पंचायत निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
देवयानी ने बच्चों से आह्वान किया कि वे अपने अधिकारों के प्रति जागरूक रहें, अपनी समस्याओं को डर या संकोच के बिना साझा करें और समाधान प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभाएँ।
“जब आप अपनी बात निडर होकर कहेंगे तभी सही बदलाव संभव होगा। आप छोटे नहीं हैं; आपकी बात बड़ी है, और आपके विचार पंचायत निर्माण को सही दिशा दे सकते हैं।” — देवयानी ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा।
शिक्षकों और अभिभावकों ने दिखाई सराहनीय सहभागिता
विद्यालय के प्रधानाध्यापक तथा अन्य शिक्षकों ने भी बच्चों का भरपूर उत्साहवर्धन किया। उन्होंने बच्चों को भरोसा दिलाया कि विद्यालय परिवार उनकी समस्याओं को गंभीरता से लेगा और समाधान के लिए हर संभव प्रयास करेगा। शिक्षकों ने विशेष रूप से बच्चों की पहल और नेतृत्व क्षमता की सराहना की।
विद्यालय प्रबंध समिति (एसएमसी) के सदस्य और उपस्थित अभिभावक भी बच्चों की प्रस्तुतियों से गहरे प्रभावित हुए। उन्होंने विद्यालय स्तर पर सामूहिक प्रयासों के जरिए समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया।
बाल सभा: बच्चों की आवाज को मिली नयी पहचान
बाल सभा के आयोजन से स्पष्ट हुआ कि जब बच्चों को संवाद और अभिव्यक्ति का अवसर मिलता है तो वे न केवल अपनी समस्याओं को स्पष्ट रूप से व्यक्त करते हैं, बल्कि समाधान हेतु भी व्यावहारिक सुझाव देते हैं।
इस बाल सभा में बच्चों ने कुछ अहम सुझाव भी दिए:
- भोजन के बाद थाली धोने के लिए विशेष व्यवस्था हो।
- शौचालयों की नियमित सफाई के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति हो।
- पुस्तकालय में रोचक व उपयोगी पुस्तकों की उपलब्धता सुनिश्चित हो।
- स्कूल के मैदान में घास या टर्फ लगाई जाए ताकि धूल कम उड़े।
- बैठने के लिए पर्याप्त बेंच और डेस्क की व्यवस्था हो।
- भोजन में स्वादानुसार नमक-मिर्च की मात्रा सुनिश्चित की जाए।
इन सुझावों को विद्यालय प्रबंधन ने गंभीरता से लिया और शीघ्र ही कार्य योजना बनाने का आश्वासन दिया।
सामूहिक प्रयास की दिशा में बढ़ा एक कदम
बाल सभा के सफल आयोजन ने यह साबित कर दिया कि जब विद्यालय, अभिभावक और बच्चे एक साथ मिलकर काम करते हैं, तो शिक्षा का वातावरण न केवल बेहतर होता है, बल्कि बच्चों में आत्मसम्मान और नेतृत्व की भावना भी मजबूत होती है।
राजकीय प्राथमिक विद्यालय, महाराजपुर में हुआ यह आयोजन न केवल बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने वाला रहा, बल्कि एक जिम्मेदार, सहभागिता आधारित विद्यालय प्रणाली की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
आज की बाल सभा ने महाराजपुर के विद्यालय में शिक्षा को केवल किताबों और पाठ्यक्रम तक सीमित न रखते हुए उसे वास्तविक जीवन कौशल से जोड़ने का प्रयास किया। बच्चों ने जिस आत्मविश्वास और निडरता से अपनी बात रखी, वह आने वाले समय में न केवल विद्यालय को बेहतर बनाने में सहायक होगा, बल्कि एक समावेशी, संवेदनशील और जवाबदेह समाज के निर्माण में भी योगदान देगा।
यह आयोजन एक आदर्श उदाहरण है कि यदि बच्चों को उचित मंच, समर्थन और मार्गदर्शन दिया जाए तो वे समाज के सबसे प्रभावशाली परिवर्तनकर्ता बन सकते हैं।
