
वो भी किसी आम व्यक्ति ने नहीं, बल्कि एक दोषी और उसके वकील ने मिलकर इस कृत्य को अंजाम दिया.


आपा खो बैठा दोषी, जज पर कुछ फेंकने की कोशिश
यह सनसनीखेज मामला उस समय सामने आया जब न्यायिक मजिस्ट्रेट शिवांगी मंगला ने चेक बाउंस के एक मामले में आरोपी को दोषी ठहराया. फैसला सुनते ही आरोपी अपना आपा खो बैठा. उसने खुले कोर्ट में चीखते हुए कहा, “तू है क्या चीज़? बाहर मिल… देखता हूं ज़िंदा कैसे घर जाती है.”
इतना ही नहीं, आरोपी ने जज पर कोई सामना फेंकने की कोशिश की और अपने वकील को उकसाया कि किसी भी कीमत पर उसे बरी करवाया जाए.
जज पर मानसिक और शारीरिक दबाव
कोर्ट के आदेश के मुताबिक, दोषी और उसके वकील ने जस्टिस को लगातार डराने-धमकाने की कोशिश की. उन्होंने मानसिक उत्पीड़न किया, उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया और यहां तक कह दिया कि अगर वे बरी नहीं करती हैं तो उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कर दी जाएगी.
जस्टिस मंगला ने अपने आदेश में लिखा, “मैं तमाम धमकियों और दबावों के बावजूद न्याय के पक्ष में डटी रहूंगी. आरोपी के खिलाफ दिल्ली महिला आयोग में शिकायत दर्ज कराई जाएगी.”
मामले में वकील पर भी गिरी गाज
कोर्ट ने आरोपी के वकील को कारण बताओ नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि उनके खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही कोई न की जाए? उन्हें अगली सुनवाई पर लिखित जवाब देने का निर्देश दिया गया है.
