केदारनाथ धाम की यात्रा मार्ग में इस्तेमाल किए जाने वाले घोड़े और खच्चरों में एक्वाइन एन्फ्लूएंजा वायरस के संदिग्ध लक्षण पाए जाने के बाद से सरकार ने अस्वस्थ घोड़ा-खच्चरों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक लगा दी थी.

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हालांकि अब दो स्वस्थ घोड़ों को उनकी पीठ पर सामान लादकर शुक्रवार को ट्रायल के तौर पर पर केदारनाथ भेजा गया, जबकि हिमालयी मंदिर तक जाने वाले पैदल मार्ग पर घोड़ों और खच्चरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध अब भी जारी है.

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

अधिकारियों ने बताया कि इन घोड़ों और खच्चरों को सामान ले जाने के लिए भेजने का परिणाम अगर सकारात्मक रहता है, तो आने वाले दिनों में इनकी आवाजाही फिर से शुरू कर दी जाएगी…

क्यों लगी थी रोक?

बता दें कि घोड़ों और खच्चरों के इस्तेमाल पर रोक इसलिए लगाई गई थी, क्योंकि केवल दो दिन में 13 घोड़ा-खच्चरों की मौत हुई थी, इनकी मौत का कारण संक्रमण बताया जा रहा है. इनके सैंपल विस्तृत रिपोर्ट के लिए उत्तर प्रदेश के बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) भेजे गए हैं.

इसके चलते सोमवार शाम को केदारनाथ तीर्थयात्रियों को लाने-ले जाने के लिए घोड़ों और खच्चरों के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया था.

केवल स्वस्थ घोड़े-खच्चरों को ही केदारनाथ जाने की अनुमति होगी

रुद्रप्रयाग के मुख्य पशु चिकित्साधिकारी आशीष रावत के मुताबिक मेडिकल जांच में स्वस्थ पाए जाने पर केवल स्वस्थ घोड़े-खच्चरों को ही केदारनाथ जाने की अनुमति दी जाएगी. बता दें कि 11,500 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से करीब 16 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. ऐसे में यात्रा मार्ग पर घोड़े-खच्चरों के प्रयोग पर प्रतिबंध से पिछले कुछ दिनों से तीर्थयात्रियों को असुविधा हो रही है.

क्या है सलाह?

अधिकारियों ने यह स्पष्ट किया है कि यात्रा मार्ग और केदारनाथ में कहीं भी खाद्यान्न या अन्य आवश्यक वस्तुओं की कमी नहीं है और न ही घोड़े-खच्चरों के संचालन पर प्रतिबंध से किसी भी सामग्री की कमी नहीं हुई है. अधिकारियों ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे बिना किसी झिझक के यात्रा पर आएं और सोशल मीडिया या अन्य माध्यमों से फैलाई जा रही झूठी अफवाहों पर ध्यान न दें.


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