उत्तराखंड में पंचायत चुनाव कब होंगे इस पर सस्पेंस बरकरार है। पहले माना जा रहा था कि चुनाव मई में हो सकते हैं। लेकिन चार धाम यात्रा के चलते पंचायत चुनाव आगे खिसक सकते हैं।

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बता दें कि जून तक प्रशासकों का कार्यकाल खत्म हो रहा है।

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

इस बीच चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन होना है। इसके बाद शासनादेश होगा और प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण तय किया जाएगा। लेकिन पंचायत चुनाव पर चारधाम यात्रा का ब्रेक लग सकता है।

कैबिनेट में ओबीसी आरक्षण के लिए अध्यादेश भी नहीं आया। ऐसे में प्रशासकों का कार्यकाल आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रदेश में हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य 12 जिलों में पंचायतों के चुनाव होने हैं, लेकिन चुनाव से पहले ओबीसी आरक्षण के लिए पंचायत एक्ट में संशोधन होना है। इसके बाद शासनादेश होगा और प्रतिशत के हिसाब से आरक्षण तय किया जाएगा। जिसके अनंतिम प्रकाशन के बाद आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी।

इसके बाद आपत्तियों पर सुनवाई कर उनका निपटारा किया जाएगा। एससी, एसटी, ओबीसी और महिला आरक्षण पर आपत्तियों का निपटारा करने के बाद पंचायत चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की जाएगी। इन सभी प्रक्रियाओं में काफी समय लगना तय है। हालांकि राज्य निर्वाचन चुनाव समय पर कराने का दावा कर रहा है, लेकिन पूरी मशीनरी चार धाम यात्रा में जुटी है।

पुलिस सुरक्षा से लेकर प्रशासन के सामने चार धाम यात्रा के शुरू महीने मई और जून में प्रबंधन को लेकर कई चुनौती हैं। इन सबके बीच चुनाव कराना आसान नहीं होगा। ऐसे में जून तक चुनाव संभव नहीं है। जिसके कारण प्रशासकों के कार्यकाल आगे बढ़ाए जा सकते हैं। राज्य में 7832 ग्राम पंचायतें और 3162 क्षेत्र एवं 385 जिला पंचायतें हैं।

जिनका कार्यकाल समाप्त होने के बाद शासन ने ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायत प्रमुख और जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर प्रशासन नियुक्त किए थे। निवर्तमान पंचायत प्रतिनिधियों को ही पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किया गया था। छह महीने के लिए नियुक्त प्रशासकों में जिला पंचायत अध्यक्षों का कार्यकाल एक जून को और ग्राम प्रधानों का 10 जून को खत्म हो रहा है।


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