
रूद्रपुर, 02 अक्टूबर 2025।
आज विजयदशमी के पावन पर्व और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी व देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर पूरा जनपद श्रद्धा और कृतज्ञता से सराबोर रहा। जिला मुख्यालय कलेक्ट्रेट में आयोजित कार्यक्रम में अपर जिलाधिकारी कौस्तुभ मिश्र ने दोनों महापुरुषों के चित्रों का अनावरण कर पुष्पांजलि अर्पित की और गांधीजी का प्रिय भजन “रघुपति राघव राजा राम…” वातावरण में गूंज उठा।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
अपर जिलाधिकारी ने जनपदवासियों को विजयदशमी और जयंती की शुभकामनाएँ देते हुए अपने संबोधन में कहा कि गांधी और शास्त्री जैसे महापुरुष केवल इतिहास के पन्नों में दर्ज नाम नहीं हैं, बल्कि उनके विचार आज भी समाज को दिशा देने वाले दीपस्तंभ हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि सत्य, अहिंसा और अनेकता में एकता की राह पर चलना ही सच्ची श्रद्धांजलि है।
उन्होंने कहा कि गांधीजी ने समाज की कुरीतियों को धैर्यपूर्वक समझा और उनका समाधान खोजते हुए भारत को एकजुट बनाने का कार्य किया। उनका जीवन संदेश देता है कि “कथनी और करनी में एकरूपता ही वास्तविक चरित्र है।” अपर जिलाधिकारी ने उपस्थित जनसमूह को प्रेरित करते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने कर्म को पूजा मानते हुए निष्ठा और ईमानदारी से समाज के अंतिम व्यक्ति तक विकास पहुँचाने का संकल्प लेना चाहिए।
शास्त्री जी की स्मृति में उन्होंने कहा कि “जय जवान, जय किसान” का नारा केवल एक वाक्य नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। यदि जवान सीमाओं पर सशक्त रहेंगे और किसान खेतों में खुशहाल होंगे, तो देश विकास की नई गाथा लिखेगा। युवाओं को नशे से दूर रहकर शिक्षा, खेल और समाजसेवा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण की ओर बढ़ना चाहिए।
कार्यक्रम में उपजिलाधिकारी मनीष बिष्ट ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि गांधी व शास्त्री के आदर्श आज की पीढ़ी के लिए मार्गदर्शन हैं।
इस अवसर पर तहसीलदार दिनेश कुटौला, प्रभारी जिला पूर्ति अधिकारी विनोद चन्द तिवारी, मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गणेश आर्या, देव प्रकाश चक्रवर्ती सहित कलेक्ट्रेट के अधिकारी-कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।
संपादकीय दृष्टिकोण?आज जब समाज मूल्य-संकट से गुजर रहा है, तब गांधी और शास्त्री की जयंती केवल औपचारिक आयोजन न रहकर आत्मचिंतन का अवसर बननी चाहिए। गांधी का सत्य और शास्त्री की सादगी हमें याद दिलाती है कि विकास केवल आर्थिक समृद्धि से नहीं, बल्कि नैतिक आचरण और जनहितकारी सोच से संभव है। विजयदशमी के दिन बुराई पर अच्छाई की जीत का संदेश भी हमें यही सिखाता है कि असत्य, हिंसा और भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना ही सच्ची राष्ट्रसेवा है।


