थाई सेना ने इसका जवाब संतुलित लेकिन सख्त गोलाबारी से दिया है.✍️ अवतार सिंह बिष्ट विशेष संवाददाता, हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स
अब तक इस संघर्ष में कम से कम 15 लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने की खबर है. दोनों देशों के बीच ये तनाव वर्षों से चला आ रहा है, लेकिन इस बार जिस हथियार का इस्तेमाल हुआ है, वह संकेत देता है कि झड़प अब परंपरागत दायरे से बाहर निकल चुकी है.
कहां से शुरू हुआ विवाद?


इस संघर्ष की जड़ 7वीं शताब्दी के एक हिंदू मंदिर से जुड़ी है, जिस पर दोनों देश अपनी-अपनी संप्रभुता का दावा करते हैं. यह मंदिर कंबोडिया की सीमा में स्थित है, लेकिन थाईलैंड का दावा है कि मंदिर के आसपास का क्षेत्र उसका है. हालांकि इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने मंदिर पर कंबोडिया के अधिकार को मान्यता दी थी, लेकिन थाई सेना की इलाके में बढ़ती गतिविधियों ने तनाव को फिर से भड़का दिया है.
क्या है BM-21 ग्रैड रॉकेट सिस्टम?
BM-21 ग्रैड एक सोवियत कालीन मल्टीपल रॉकेट लॉन्चर सिस्टम (MRLS) है, जिसे 1960 के दशक में विकसित किया गया था. इसे लड़ाकू वाहन या बोयेवाया मशीन कहा जाता है. यह ट्रक-आधारित हथियार 6 सेकंड में 40 रॉकेट फायर कर सकता है और 122 मिमी कैलिबर के रॉकेट्स दुश्मन के टैंकों, तोपों और सैनिक अड्डों को एक साथ निशाना बना सकते हैं.
एक बार फायरिंग के बाद इसे दोबारा लोड करने में 10 मिनट लगते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, इस तरह के हथियार आमतौर पर सीमाई झड़पों में प्रयोग नहीं किए जाते, जिससे यह स्पष्ट होता है कि कंबोडिया इस बार आक्रामक रुख अपना चुका है.
क्या बढ़ेगा क्षेत्रीय खतरा?
सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि BM-21 जैसे हथियारों का इस्तेमाल केवल गंभीर युद्ध स्थितियों में ही होता है. इनका प्रयोग एक चेतावनी की तरह भी देखा जा सकता है कि अब संघर्ष केवल सीमित टकराव तक सीमित नहीं रहेगा. इससे ना केवल थाई-कंबोडिया संघर्ष और उग्र हो सकता है, बल्कि यह पूरे दक्षिण-पूर्वी एशिया की स्थिरता को भी प्रभावित कर सकता है.
यह बैठक ‘अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा’ विषय के तहत आयोजित की गई। कंबोडिया ने इस बैठक की मांग की थी, जिसके बाद यूएनएससी के सभी 15 सदस्य देशों ने मामले को गंभीरता से लिया।
कंबोडिया ने थाईलैंड पर बिना उकसावे के हमला करने और बौद्ध मंदिरों व सीमाई इलाकों को निशाना बनाने का आरोप लगाया है। कंबोडिया का कहना है कि थाई सेना ने जानबूझकर पहले गोलीबारी की और पहले से तय सीमा समझौतों का उल्लंघन किया। दूसरी ओर, थाईलैंड ने भी यूएनएससी को पत्र भेजकर स्पष्ट किया है कि संघर्ष की शुरुआत कंबोडिया ने की थी और उसके सैनिकों ने थाई क्षेत्र में गोलीबारी की।
सीमा पर बढ़ते तनाव से लाखों लोग प्रभावित
थाईलैंड की स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 1.3 लाख से अधिक लोग संघर्ष प्रभावित इलाकों से सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन कर चुके हैं। कंबोडिया में भी हजारों लोग घर छोड़ने पर मजबूर हुए हैं। दोनों देशों ने एक-दूसरे के राजदूतों को वापस बुला लिया है और कई सीमा चौकियों को बंद कर दिया गया है।
आसियान और विश्व नेताओं की अपील
मलयएशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम, जो इस समय आसियान के अध्यक्ष हैं, ने दोनों देशों से बातचीत करने की अपील की है और मध्यस्थता की पेशकश की है। अमेरिका, चीन, जापान और फ्रांस जैसे देशों ने भी दोनों पक्षों से संयम बरतने और कूटनीतिक समाधान अपनाने की मांग की है।
प्राचीन मंदिरों को लेकर पुराना विवाद
थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 800 किलोमीटर लंबी सीमा पर दशकों से विवाद चला आ रहा है। विवाद का केंद्र प्राचीन हिंदू मंदिर ‘प्रसात ता मुएन थोम’ और ‘प्रेह विहेयर’ हैं। 2011 में भी ऐसे ही एक संघर्ष में 16 लोगों की जान चली गई थी और तब भी UNSC ने निजी बैठक कर हस्तक्षेप किया था।
ताजा हालात और आगे की राह
हाल ही में 16 और 23 जुलाई को थाई सैनिकों के घायल होने और सीमा पर बारूदी सुरंगों के फटने से हालात और बिगड़े हैं। हालांकि कंबोडिया के प्रधानमंत्री ने 24 जुलाई से संघर्षविराम की बात कही थी, लेकिन थाईलैंड ने उसपर अमल से इनकार कर दिया। वर्तमान में दोनों देश कूटनीतिक दबाव और अंतरराष्ट्रीय निगरानी के बीच हैं। आने वाले दिनों में शांति की दिशा में आसियान की भूमिका महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

