देवभूमि उत्तराखंड की चारधाम यात्रा का विधिवत शुभारंभ हो चुका है और इस पावन यात्रा के पहले ही दिन बदरीनाथ धाम से एक ऐसा अद्भुत दृश्य सामने आया है, जिसने न केवल श्रद्धालुओं को विस्मय से भर दिया है, बल्कि पूरे देश के लिए एक शुभ संकेत भी दिया है।

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शीतकाल में छह माह तक भगवान बदरीनाथ की शालिग्राम मूर्ति को ओढ़ाया गया घृत कंबल (घी से लेपन किया ऊनी वस्त्र) जब कपाट खुलने के बाद निकाला गया, तो उस पर घी बिल्कुल ताजा मिला।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

क्या है घृत कम्बल का रहस्य : यह कोई सामान्य घटना नहीं है, बल्कि बदरीनाथ धाम में सदियों से चली आ रही एक मान्यता है। माना जाता है कि जिस वर्ष यह घृत कंबल ताजा मिलता है, उस वर्ष चारधाम यात्रा बिना किसी बाधा के संपन्न होती है और देश में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इसके विपरीत, यदि कंबल पर घी सूखा हुआ मिलता है, तो इसे अशुभ संकेत माना जाता है, जिससे देश में आपदा, फसलों की बर्बादी और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां आने की आशंका रहती है।
बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद, मुख्य पुजारी ने विधि-विधान से बदरीनाथ की शालिग्राम मूर्ति से घृत कंबल को उतारा। इस अलौकिक दृश्य को देखकर मंदिर परिसर में मौजूद श्रद्धालु भावविभोर हो उठे। इसके बाद मंदिर समिति के पदाधिकारियों ने सिंहद्वार से होते हुए मंदिर परिसर में प्रवेश किया और भक्तों को इस चमत्कारी घृत कंबल का प्रसाद वितरित किया। इस प्रसाद को प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं में अपार उत्साह देखने को मिला।
बदरीनाथ के पुजारी ने इस वर्ष घृत कंबल पर घी ताजा मिलने की पुष्टि करते हुए इसे यात्रा और देश के लिए अत्यंत शुभ बताया है। उन्होंने बताया कि यह एक दुर्लभ संयोग है और इसका सीधा अर्थ है कि आने वाला समय शांति, समृद्धि और खुशहाली से भरा रहेगा। जब घी सूख जाता है, तो यह नकारात्मक शक्तियों और परेशानियों का संकेत देता है।



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