
इस युद्धपोत में 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। इसका नाम महाराष्ट्र के ऐतिहासिक किले ‘अर्नाला’ के नाम पर रखा गया है, जो भारत की समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतिबिंब है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
इस युद्धपोत की ये हैं खासियत
77 मीटर लंबे इस युद्धपोत को पानी के भीतर निगरानी, खोज और बचाव कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। इस युद्धपोत के शामिल होने से नौसेना की उथले पानी की पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह तटीय इलाकों में दुश्मन की पनडुब्बियों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने में सक्षम है।
अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि नौसेना के पहले एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी) आइएनएस अर्नाला का कमीशनिंग समारोह विशाखापत्तनम में होगा।
जीआरएसई ने एलएंडटी शिपबिल्डर्स के साथ साझेदारी की
नौसेना डाकयार्ड, विशाखापत्तनम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान की अध्यक्षता में आयोजित किया जाएगा।
गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा तैयार किए जा रहे 16 एएसडब्लू एसडब्ल्यूसी में से आइएनएस अर्नाला पहला युद्धपोत है। इसका निर्माण जीआरएसई ने एलएंडटी शिपबिल्डर्स के साथ साझेदारी में किया है।
नौसेना के प्रवक्ता ने कहा, अर्नाला का नौसेना में शामिल होना भारत की नौसैनिक क्षमताओं के लिए परिवर्तनकारी क्षण होगा, जो तटीय रक्षा को मजबूत करेगा और भारत को आत्मनिर्भर समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करेगा। इस परियोजना में 55 से अधिक सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम शामिल रहे हैं।
