
इस दिन व्रत रखने और विष्णु जी की विधिवत पूजा-अर्चना करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और पापों का नाश होता है. इस तिथि का आरंभ 24 अप्रैल को सुबह से ही रहेगा और दोपहर 2 बजकर 33 मिनट तक चलेगा.


इस दिन का विशेष महत्व इसलिए भी है क्योंकि दोपहर तक ब्रह्म योग बन रहा है, जो शुभ कार्यों के लिए अत्यंत उत्तम माना जाता है. यह योग दोपहर 3 बजकर 56 मिनट तक रहेगा. वहीं नक्षत्र की बात करें तो सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक शतभिषा नक्षत्र रहेगा, जिसके बाद पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र का प्रवेश होगा. नक्षत्र और योग के इस शुभ संयोग में भगवान विष्णु की उपासना करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.
राहुकाल के दौरान ना करें शुभ कार्य
राहुकाल की जानकारी भी बेहद जरूरी है क्योंकि इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए. अलग-अलग शहरों के लिए राहुकाल का समय अलग-अलग रहेगा. जैसे दिल्ली और लखनऊ में यह दोपहर 1:42 बजे से 3:20 बजे तक रहेगा, मुंबई में 2:12 से 3:48 बजे तक, कोलकाता में 1:11 से 2:48 तक और चेन्नई में 1:41 से 3:15 तक रहेगा. इन समयों के दौरान कोई भी नया या शुभ कार्य शुरू करने से बचना चाहिए.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय की बात करें तो 24 अप्रैल को सूर्योदय सुबह 5:47 बजे होगा और सूर्यास्त शाम 6:51 बजे. सूर्योदय के साथ ही भक्तों को व्रत का संकल्प लेना चाहिए और सूर्यास्त के बाद व्रत का पारण किया जाता है.
आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, यह दिन आध्यात्मिक साधना, जप, ध्यान और व्रत उपवास के लिए अत्यंत फलदायक रहेगा. वरुथिनी एकादशी पर व्रत रखने से न केवल पापों का प्रायश्चित होता है, बल्कि मानसिक शांति और आध्यात्मिक उत्थान भी मिलता है.
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