
यह कार्रवाई प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) अधिकारी दिनेश प्रताप सिंह और उनसे जुड़े लोगों के ठिकानों पर की गई। सिंह वर्तमान में उत्तराखंड सरकार द्वारा संचालित डोईवाला चीनी मिल में कार्यकारी निदेशक के पद पर तैनात हैं।


ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में कम से कम सात ठिकानों पर यह छापेमारी की। सूत्रों के अनुसार, यह छापे एनएच-74 और एनएच-125 के चौड़ीकरण के लिए की गई भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया में हुए कथित भ्रष्टाचार को लेकर डाले गए।
ईडी के मुताबिक, जब दिनेश प्रताप सिंह भूमि अधिग्रहण के सक्षम प्राधिकारी के रूप में कार्यरत थे, उन्होंने पिछली तारीख में आदेश पारित कर अधिग्रहण की गई भूमि की प्रकृति में बदलाव कर दिया। इससे सरकार को करीब 162.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। आरोप है कि उन्होंने कृषि भूमि को गैर-कृषि घोषित कर अधिक मुआवजा राशि जारी की।
यह मामला 2017 में उत्तराखंड पुलिस द्वारा दर्ज एक एफआईआर और उसके बाद की चार्जशीट से उपजा है। जांच में पाया गया कि सिंह समेत कुछ अन्य लोकसेवकों, राजस्व अधिकारियों, किसानों और बिचौलियों ने मिलकर सरकारी धन के दुरुपयोग की साजिश रची थी। उन्होंने उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 की धारा 143 के तहत पारित बैकडेट आदेशों के आधार पर यह घोटाला किया।
ईडी ने 2020 में इस मामले में बयान जारी कर जानकारी दी थी कि गैर-कृषि दर पर दिया गया मुआवजा, कृषि दर से काफी अधिक था। इस जांच के तहत 2024 में सिंह और कुछ अन्य के खिलाफ आरोपपत्र भी दाखिल किया जा चुका है। सूत्रों का कहना है कि ताजा तलाशी का उद्देश्य इस मामले में और पुख्ता साक्ष्य जुटाना है। सिंह से इस मामले में उनकी प्रतिक्रिया प्राप्त नहीं हो सकी है।

