खासकर, एक ही प्रकार की वस्तु के लिए अलग-अलग मूल्य पर लगने वाली भिन्न-भिन्न दरों को खत्म कर समान जीएसटी लागू करने की योजना पर चर्चा तेज हो गई है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट |हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स रुद्रपुर (उत्तराखंड) उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी


वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक जीएसटी व्यवस्था को अगले चरण में ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों पर काम हो रहा है। इनमें सबसे अहम जीएसटी स्लैब का पुनर्गठन है। मौजूदा प्रणाली में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत के चार मुख्य स्लैब हैं। इसके अलावा कुछ विशेष वस्तुओं जैसे सोने पर 3% की दर भी है। लेकिन अब 12% और 18% स्लैब को मिलाकर एक नया मध्यम स्लैब लाने पर विचार किया जा रहा है।
क्या होगा बदलाव से असर?
यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो 12% स्लैब की वस्तुओं को या तो 5% में डाला जाएगा या फिर 18% में। इसका सीधा असर इन वस्तुओं की कीमत पर पड़ेगा। 5% में शामिल होने वाली वस्तुएं सस्ती हो सकती हैं, जबकि 18% में जाने वाली वस्तुएं महंगी होंगी। इससे संबंधित उद्योगों की बिक्री और उपभोक्ता मांग पर भी असर पड़ सकता है।
असमानता खत्म करने की कोशिश
वर्तमान व्यवस्था में गारमेंट, फुटवियर जैसे कई उत्पादों पर मूल्य के आधार पर अलग-अलग जीएसटी दरें लागू होती हैं। जैसे 1000 रुपये से कम के कपड़े पर अलग और उससे महंगे पर अलग दर। इससे उपभोक्ताओं और व्यापारियों दोनों को भ्रम और दिक्कत होती है। नई प्रणाली में ऐसी असमानताओं को खत्म कर समान दर लागू करने की योजना है, ताकि कर प्रणाली सरल और तर्कसंगत बन सके।
एसटी स्लैब का पुनर्गठन (फोटो सोर्स-इंटरनेट)
कच्चा और तैयार माल- एक दर पर विचार
फिलहाल कई उद्योगों में कच्चे माल पर जीएसटी दर अलग और तैयार माल पर अलग है। इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) लेने में व्यापारियों को कठिनाई होती है। वित्त मंत्रालय इस फर्क को मिटाकर कच्चे और तैयार माल पर एक समान दर लागू करने पर विचार कर रहा है। इससे व्यापार करना सरल होगा और टैक्स क्रेडिट का मिलान भी सुगम होगा।
जीएसटी रिफंड प्रक्रिया होगी आसान
सूत्रों के अनुसार, जीएसटी रिफंड की प्रक्रिया को भी आयकर रिफंड की तरह आसान और स्वचालित बनाने की दिशा में प्रयास हो रहे हैं। इससे व्यापारियों को समय पर रिफंड मिलेगा और कैश फ्लो पर दबाव नहीं पड़ेगा।
बैठक नहीं, फिर भी तैयारियां तेज
गौरतलब है कि पिछले सात महीनों से जीएसटी काउंसिल की बैठक नहीं बुलाई गई है, जबकि परंपरागत रूप से हर तीन महीने में बैठक होती है। संभावना है कि अब संसद सत्र के समाप्त होने के बाद अगस्त के अंत या सितंबर की शुरुआत में बैठक बुलाई जा सकती है।
हालांकि, बैठक न होने के बावजूद मंत्रालय इस दिशा में लगातार राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रहा है, ताकि जब बैठक हो तो सहमति के साथ ठोस निर्णय लिया जा सके। चूंकि जीएसटी एक साझा कर प्रणाली है, इसलिए किसी भी बड़े बदलाव के लिए सभी राज्यों की सहमति अनिवार्य है।
उपभोक्ता और कारोबारी दोनों को राहत की उम्मीद
जीएसटी संग्रह में लगातार हो रही वृद्धि के बाद अब सरकार उपभोक्ताओं और कारोबारियों दोनों के हित में सुधार करने को तैयार दिख रही है। अगर प्रस्तावित बदलाव लागू होते हैं तो जीएसटी प्रणाली और सरल होगी, टैक्स चोरी पर अंकुश लगेगा और उपभोक्ताओं को कीमतों में राहत मिल सकती है।
अब सबकी नजर अगस्त-सितंबर में संभावित जीएसटी काउंसिल की बैठक पर है, जिसमें इस बड़े कर सुधार की औपचारिक शुरुआत हो सकती है।

