उत्‍तराखंड के हल्‍द्वानी में दिवाली के त्योहार के करीब ही खाद्य सुरक्षा विभाग ने एक चौंकाने वाली छापेमारी की। अधिकारियों ने बनभूलपुरा और गांधीनगर में चार फैक्ट्रियों का निरीक्षण किया, जहाँ भगवान को चढ़ाए जाने वाले बताशे, मिठाई और खिलौने तैयार किए जा रहे थे।

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फैक्ट्रियों की हालत देख अधिकारी भी हैरान रह गए। कमरों में सफाई का नामोनिशान तक नहीं था और कारीगर बिना टोपी और ग्लब्स के काम कर रहे थे।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

अस्वच्छ कारीगर और उनकी स्थिति

जांच में पता चला कि एक कारीगर पिछले 20 दिनों से नहाया ही नहीं था और गंदगी में बताशे बना रहा था। इस स्थिति को देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि तैयार मिठाई और खिलौनों की गुणवत्ता कितनी खराब होगी। विभाग ने इस दौरान सभी चारों फैक्ट्रियों से खाद्य सामग्री और निर्माण में इस्तेमाल होने वाले केमिकल के नमूने लिए।

त्योहारी सीजन और मिलावटी सामान की बढ़ती सक्रियता

दीपावली के नजदीक आते ही मिलावटी सामान बनाने वालों की सक्रियता बढ़ गई थी। गुरुवार शाम को सिटी मजिस्ट्रेट गोपाल सिंह चौहान, नगर आयुक्त ऋचा सिंह और एसडीएम राहुल शाह के नेतृत्व में खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम ने चार फैक्ट्रियों की छापेमारी की। फैक्ट्रियों के अंदर देख अधिकारी भी स्तब्ध रह गए।

लाइसेंस और सुरक्षा मानकों का उल्लंघन

छापेमारी के दौरान यह भी पता चला कि न तो इन फैक्ट्रियों के पास फूड लाइसेंस था और न ही कारीगरों ने सुरक्षा मानकों का पालन किया। अधिकारियों ने तुरंत चारों फैक्ट्रियों को सील कर दिया। पुलिस को भी निर्देश दिए गए कि काम करने वाले कर्मचारियों का सत्यापन किया जाए।

खतरनाक केमिकल और चमकदार बताशे

मौके से सभी फैक्ट्रियों में एक ही तरह का रंगीन केमिकल मिला, लेकिन डिब्बों पर लेबल नहीं था। कारीगरों ने बताया कि इसे चीनी को चमकदार बनाने के लिए डाला जाता है, लेकिन नाम या सुरक्षा जानकारी नहीं दे सके। वरिष्ठ खाद्य सुरक्षा अधिकारी अभय सिंह ने बताया कि प्रयोगशाला में जांच के बाद ही यह साफ होगा कि यह केमिकल कितना हानिकारक है।

बताशे को कड़क और अलग करने के लिए हानिकारक सामग्री का इस्तेमाल

बताशे बनने के बाद चिपकने से बचाने और कड़क बनाने के लिए खड़िया पाउडर डाला जा रहा था, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। बनभूलपुरा में मौके पर खड़िया पाउडर का खुला कट्टा भी मिला। इसके अलावा मिठाई बनाने में गंदा पानी भी इस्तेमाल किया जा रहा था, जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है।


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