
वहीं भारतीय जहाजों को भी पाकिस्तान की किसी भी बंदरगाह पर जाने से भी प्रतिबंधित कर दिया है। इन आदेशों को लागू करने का मुख्य उद्देश्य भारतीय समुद्री परिसंपत्तियों, कार्गो और port infrastructure की सुरक्षा को यकीनी करना है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)
मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 411 का इस्तेमाल
भारत सरकार ने यह कड़ा फैसला मर्चेंट शिपिंग अधिनियम, 1958 की धारा 411 के तहत प्रदत्त अधिकारों का उपयोग करते हुए लिया है। यह अधिनियम भारत में वाणिज्यिक समुद्री गतिविधियों को नियंत्रित करता है। धारा 411 सरकार को राष्ट्रीय सुरक्षा, सार्वजनिक हित या रणनीतिक महत्व के कारणों के आधार पर किसी भी विदेशी पोत के भारतीय बंदरगाहों में एंट्री पर रोक लगाने की शक्ति प्रदान करती है। इसी कानूनी प्रावधान के तहत अब पाकिस्तानी जहाजों को भारतीय जलसीमा में आने से रोक दिया गया है।
प्रतिबंध के मुख्य प्रभाव-
इस प्रतिबंध का सबसे महत्वपूर्ण प्रभाव भारत के संवेदनशील बंदरगाहों, कंटेनर टर्मिनलों और तेल टर्मिनलों की सुरक्षा पर पड़ेगा। इस प्रतिबंध के लागू होने से प्रत्यक्ष समुद्री जासूसी या किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधियों के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। इस फैसले का सीधा असर दोनों देशों के बीच समुद्री व्यापार पर पड़ेगा। अब कोई भी पाकिस्तानी पोत भारतीय जलसीमा में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसी तरह भारतीय पोत भी पाकिस्तान नहीं जा सकेंगे। इसके चलते भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री व्यापार पूरी तरह से ठप हो जाएगा।
पाकिस्तान के लिए आर्थिक चुनौती-
भारत के इस कदम से पाकिस्तान को आर्थिक रूप से बड़ा झटका लग सकता है। पाकिस्तान के कई समुद्री व्यापारिक मार्ग ऐसे थे जो भारतीय बंदरगाहों के माध्यम से संचालित होते थे। अब इन व्यापारिक मार्गों को जारी रखने के लिए पाकिस्तान को नए और ऑप्शन ढ़ंढूने होंगे। ये वैकल्पिक मार्ग संभवतः अधिक लंबे, महंगे और व्यावसायिक रूप से कम व्यवहार्य साबित हो सकते हैं, जिससे पाकिस्तान के समुद्री व्यापार की लागत और समय दोनों में वृद्धि होगी।
