धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, श्री गणेश को विघ्नहर्ता और प्रथम पूज्य देवता माना जाता है। उनकी आराधना से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं, और सुख-समृद्धि का मार्ग खुलता है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट |हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स रुद्रपुर (उत्तराखंड) उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी


श्री गणेशाष्टकम् का महत्व
‘श्री गणेशाष्टकम्’ संस्कृत का एक प्राचीन स्तोत्र है, जिसकी रचना आदि शंकराचार्य द्वारा की गई मानी जाती है। यह आठ श्लोकों का एक स्तुति स्तोत्र है, जिसमें भगवान गणेश के रूप, गुण, शक्ति और कृपा का विस्तृत वर्णन है। मान्यता है कि इसका नियमित पाठ करने से व्यक्ति को ज्ञान, बुद्धि, विवेक और धन की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से बुधवार को गणेशाष्टकम् का पाठ करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और व्यापार में वृद्धि होती है।
क्यों करें सावन में श्री गणेशाष्टकम् का पाठ?
सावन का महीना स्वयं शिव का प्रिय मास है और शिव के पुत्र गणेश की कृपा इस दौरान शीघ्र प्राप्त होती है। अगर आप लंबे समय से आर्थिक परेशानी, कर्ज या व्यापार में घाटे से परेशान हैं, तो हर बुधवार को प्रातःकाल स्नान कर, शुद्ध वस्त्र धारण कर, श्री गणेश की प्रतिमा के समक्ष दीप जलाकर गणेशाष्टकम् का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।विशेष रूप से माना जाता है कि यदि कोई श्रद्धालु पूरे सावन माह के चार बुधवार तक इस पाठ को नित्य नियम से करता है, तो उसके जीवन में न केवल आर्थिक उन्नति आती है, बल्कि मानसिक शांति और पारिवारिक सौहार्द भी बढ़ता है।
पाठ की विधि
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के समक्ष आसन पर बैठें।
एक दीपक जलाएं और कुछ पुष्प अर्पित करें।
श्री गणेशाष्टकम् का श्रद्धा पूर्वक पाठ करें।
पाठ के पश्चात लड्डू या दूर्वा अर्पित करें और प्रसाद रूप में बांटें।
लाभ
आर्थिक संकटों से छुटकारा
व्यापार में उन्नति और नौकरी में स्थिरता
बुद्धि और विवेक की वृद्धि
पारिवारिक तनावों में कमी
जीवन के निर्णयों में स्पष्टता और सफलता
विशेष उपाय
यदि आप विशेष रूप से धन से संबंधित समस्या से ग्रसित हैं, तो पाठ के बाद 21 दूर्वा गणेश जी को चढ़ाएं और यह प्रार्थना करें – “हे विघ्नहर्ता! मेरे जीवन से धन बाधा और कर्ज रूपी संकट को दूर करें और मुझे स्थिरता प्रदान करें।”

