चातुर्मास का महत्व चा तुर्मास 2025: चातुर्मास का समय आ गया है, जो चार महीनों तक चलता है। इस अवधि में भगवान विष्णु विश्राम करते हैं, और कहा जाता है कि सृष्टि का संचालन भगवान शिव के हाथों में होता है।

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आइए जानते हैं कि भगवान विष्णु को चार महीने तक विश्राम क्यों करना पड़ता है।

भगवान विष्णु का विश्राम क्यों?

चातुर्मास में भगवान विष्णु का विश्राम

प्राचीन कथा के अनुसार, राजा बलि ने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया था, जिससे देवताओं में चिंता फैल गई। सभी देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी, तब उन्होंने वामन अवतार लिया और राजा बलि से तीन पग भूमि का दान मांगा। राजा बलि, जो दानी और शक्तिशाली थे, ने वचन दिया। वामन जी ने विशाल रूप धारण कर पहले पग में पृथ्वी और दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया।

राजा बलि का पाताल लोक में निवास

राजा बलि को पाताल लोक में भेजना

तीसरे पग के लिए कोई स्थान न मिलने पर, राजा बलि ने भगवान के सामने सिर झुका दिया। भगवान विष्णु ने तीसरा पग उनके सिर पर रखा और उन्हें पाताल लोक में निवास करने का आदेश दिया।

राजा बलि की भक्ति

राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न विष्णु जी

भगवान विष्णु राजा बलि की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान मांगने के लिए कहा। राजा बलि ने भगवान विष्णु के साथ पाताल लोक में रहने की इच्छा जताई, जिसे भगवान ने स्वीकार किया।

देवी लक्ष्मी का प्रयास

देवी लक्ष्मी ने भगवान को मुक्त कराया

भगवान विष्णु के इस वरदान के बाद देवी लक्ष्मी ने चिंता जताई। उन्होंने स्त्री का रूप धारण कर राजा बलि के पास जाकर राखी बांधी और भगवान विष्णु को पाताल लोक से मुक्त करने का वचन लिया।

योगनिद्रा का कारण

विष्णु जी का चार महीने का विश्राम

भगवान विष्णु ने राजा बलि को निराश नहीं किया और उन्हें वरदान दिया कि वे आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक शुक्ल एकादशी तक पाताल लोक में निवास करेंगे। इसी कारण भगवान विष्णु चार महीनों के लिए योगनिद्रा में रहते हैं।

2025 में चातुर्मास की तिथियाँ

चातुर्मास 2025 की तिथियाँ

चातुर्मास आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी से शुरू होकर कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तक चलता है। वर्ष 2025 में, यह 6 जुलाई से प्रारंभ होकर 1 नवंबर 2025 तक रहेगा।

✧ धार्मिक और अध्यात्मिक

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