कुवैत सरकार ने एक ही रात में हजारों लोगों की नागरिकता रद्द कर दी। इस सूची में ज्यादातर महिलाएं शामिल थीं। लोग जब सुबह उठे तो किसी का बैंक खाता बंद मिला, तो किसी की सरकारी सुविधाएं ठप हो गईं।

Spread the love

जब उन्होंने इसकी वजह जाननी चाही, तो पता चला कि उनकी नागरिकता ही खत्म कर दी गई है। कुवैत में हाल के महीनों में करीब 42,000 लोगों की नागरिकता रद्द कर दी गई है।

यह कदम दिसंबर 2023 में सत्ता संभालने वाले 84 वर्षीय नए अमीर, मिशाल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबाह के नेतृत्व में उठाया गया। सरकार का कहना है कि केवल वही लोग कुवैती रह पाएंगे, जिनका वंशज संबंध कुवैत से है। यह नीति खासतौर पर उन विदेशियों को प्रभावित कर रही है, जिन्होंने अवैध तरीके से कुवैती नागरिकता प्राप्त की थी।

शादी करने के बाद प्राप्त की थी नागरिकता

इस फैसले का सबसे बड़ा असर उन महिलाओं पर पड़ा है, जिन्होंने कुवैती पुरुषों से शादी करने के बाद नागरिकता प्राप्त की थी। इस कार्रवाई का मुख्य लक्ष्य भी यही महिलाएं बनी हैं। नागरिकता छिन जाने के बाद ये लोग किसी भी देश के नागरिक नहीं रह जाते, जिससे इन्हें कई अधिकारों से वंचित कर दिया जाता है। इनमें सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठाना, बच्चों की स्कूल फीस देना, जमीन खरीदना, या किसी कंपनी में हिस्सेदारी लेना जैसे अधिकार शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ लोगों के ड्राइविंग लाइसेंस रद्द कर दिए गए और उनके बैंक खातों तक पहुंच भी सीमित कर दी गई। इन महिलाओं ने जब अपने खातों से भुगतान करना चाहा, तो पाया कि उनके खाते फ्रीज कर दिए गए थे।

26 हजार महिलाओं की नागरिकता गई

कुवैत के अमीर ने एक भाषण में कहा कि देश की 50 लाख की आबादी में सिर्फ एक-तिहाई लोग ही असली कुवैती नागरिक हैं। बाकी लोग प्रवासी या दूसरे देशों के निवासी हैं। इसके बाद से, अगस्त से अब तक हजारों लोगों की नागरिकता रद्द कर दी गई है। इसमें 26 हजार महिलाएं शामिल हैं, जिन्होंने शादी के बाद कुवैती नागरिकता ली थी।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

यह संख्या सरकार की आधिकारिक रिपोर्ट के मुताबिक है, लेकिन माना जा रहा है कि असल आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा हो सकता है। दिसंबर 2023 में अमीर बनने के बाद, शेख मेशाल अल अहमद अल सबाह ने संसद को भंग कर दिया और संविधान के कुछ हिस्सों को निलंबित कर दिया था।

इन सुविधाओं से लोग होते हैं वंचित

कुवैत में पहले से ही ऐसे बहुत से लोग रहते हैं, जिनके पास वहां की नागरिकता नहीं है। 1961 में जब कुवैत ने ब्रिटिश सुरक्षा से स्वतंत्रता प्राप्त की, तब करीब 1 लाख लोगों को नागरिकता नहीं मिल सकी थी। वहां जिनके पास कुवैत की नागरिकता नहीं होती, उन्हें बैंकिंग सेवाओं, शिक्षा, सरकारी नौकरियों और अन्य जरूरी सुविधाओं तक पहुंच नहीं मिलती।


Spread the love