
ऊधमसिंहनगर की धरती हमेशा से शांति, मेहनत और भाईचारे की मिसाल रही है। यही वह मिट्टी है जहाँ विविध धर्मों, भाषाओं और संस्कृतियों के लोग एक साथ रहते आए हैं। और जब कोई व्यक्ति इस सौहार्द को तोड़ने या अपराध का जाल बुनने की कोशिश करता है, तो कानून का रक्षक तुरंत सख्ती से सामने आता है।हाल के दिनों में जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक मणिकांत मिश्रा की सक्रियता ने यह सिद्ध कर दिया कि कानून न तो सोता है और न ही डरता है। बिजनौर का कुख्यात हिस्ट्रीशीटर सुहैल उर्फ सोनू, जो फर्जी आधार कार्ड बनाकर कुंडा क्षेत्र में रह रहा था, उसकी गिरफ्तारी न केवल एक बड़ी सफलता है बल्कि अपराधियों के लिए एक सख्त संदेश भी — “अपराध चाहे किसी धर्म या वर्ग से क्यों न जुड़ा हो, कानून सब पर समान है।”इस कार्रवाई में बरामद मोबाइल, एलसीडी, साउंड बॉक्स और अन्य उपकरण यह दिखाते हैं कि साइबर अपराध का जाल छोटे शहरों तक फैल चुका है। ऐसे में एसएसपी मिश्रा का यह संदेश — “साइबर अपराध की रिपोर्ट 1930 पर करें या www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज कराएं” — जनता को जागरूकता और आत्मसुरक्षा दोनों की दिशा में प्रेरित करता है।

वायरल वीडियो और कानून की त्वरित प्रतिक्रिया?सोशल मीडिया के इस युग में एक वीडियो कई बार आग की तरह फैल जाता है। रुद्रपुर में अवैध तमंचा लहराते एक युवक का वीडियो वायरल हुआ — और पुलिस ने बिना देर किए उसे गिरफ्तार कर यह साबित किया कि वायरल अपराध नहीं, बल्कि कानून की पकड़ को बढ़ाता है। यह कार्रवाई केवल एक युवक की गिरफ्तारी नहीं थी, बल्कि समाज में यह संदेश देने का माध्यम थी कि हथियार से नहीं, शिक्षा और अनुशासन से पहचान बनती है।
पुलिस स्मृति दिवस — बलिदान की गाथा?21 अक्टूबर को जब देशभर में “पुलिस स्मृति दिवस” मनाया गया, तब रुद्रपुर की पुलिस लाइन में शहीद स्थल पर पुष्पचक्र अर्पण कर शहीदों को नमन किया गया। एसएसपी मणिकांत मिश्रा ने आरक्षी स्व. धनराज सिंह जैसे वीरों के बलिदान को याद करते हुए कहा कि “पुलिस केवल वर्दी नहीं, जिम्मेदारी और त्याग का प्रतीक है।”यह श्रद्धांजलि केवल शहीदों के प्रति नहीं, बल्कि हर उस पुलिसकर्मी के लिए थी जो अंधेरी रात में दूसरों की सुरक्षा के लिए अपने परिवार से दूर रहता है।
दीपावली पर ‘पुलिस का मानवीय चेहरा’और जब दीपावली का पर्व आया, तो वही सख्त दिखने वाले एसएसपी मणिकांत मिश्रा, श्री दूधिया बाबा कन्या छात्रावास रुद्रपुर पहुँचे — जहाँ उन्होंने छात्राओं के साथ दीप जलाए, मिठाई बाँटी, और मुस्कुराहटों का उत्सव मनाया। वहाँ उनकी बातें —पुलिस जनता की सुरक्षा के साथ समाज की खुशियों में भी सहभागी है।”
इन शब्दों ने दिखा दिया कि पुलिस केवल अपराधियों से नहीं, बल्कि समाज से भी संवाद करती है।दीपावली के दीयों की रोशनी में जब छात्राओं के चेहरे खिले, तो यह दृश्य कानून और मानवता के संगम का प्रतीक बन गया — एक ऐसा संदेश जो बताता है कि धर्म, जाति या वर्ग से ऊपर उठकर एक-दूसरे के लिए अच्छा सोचना ही सच्ची राष्ट्रीयता है।
सांप्रदायिक सौहार्द की दिशा में नई पहल?आज जब देशभर में सोशल मीडिया और अफवाहें अक्सर समाज को विभाजित करने का काम करती हैं, तब ऊधमसिंहनगर पुलिस की यह छवि उम्मीद जगाती है — कि कानून व्यवस्था तभी मजबूत बनती है जब उसमें संवेदना और धर्मनिरपेक्षता दोनों का समावेश हो।एसएसपी मणिकांत मिश्रा का यह सख्त मगर मानवीय दृष्टिकोण बताता है कि प्रशासन केवल “भय” से नहीं, बल्कि “विश्वास” से चलता है। उनकी नीतियाँ और त्वरित कार्रवाइयाँ यह भी साबित करती हैं कि अपराध का कोई धर्म नहीं होता — उसका केवल एक नाम है, “अन्याय।”
रुद्रपुर की इन घटनाओं ने यह साबित कर दिया है कि जब कानून अपनी सजग भूमिका निभाता है और पुलिस समाज के हर वर्ग के प्रति समान दृष्टि रखती है, तब त्योहारों की रोशनी और न्याय की मशाल साथ-साथ जलती हैं।
सौहार्द तभी बचेगा जब समाज अपराध और भेदभाव – दोनों से मिलकर लड़े। और जब तक मणिकांत मिश्रा जैसे अधिकारी ड्यूटी पर हैं, अपराधियों को यह जान लेना चाहिए कि रुद्रपुर में “दीपावली की रोशनी” उनके अंधकार को कभी पनपने नहीं देगी।”




 
		
 
		 
		