
पार्टी के नियमों के मुताबिक, नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले कम से कम आधे राज्यों में अध्यक्ष पद के चुनाव कराना जरूरी होता है. देश में बीजेपी की 36 राज्य इकाइयां हैं, जिनमें से हाल ही में 6 राज्यों में नए अध्यक्ष नियुक्त किए गए हैं.


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
इसके बाद पार्टी अब उस जरूरी आंकड़े को पार कर चुकी है, जो राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति का रास्ता साफ करता है.
इन नेताओं को सौंपी गई ज़िम्मेदारी
- हिमाचल प्रदेश में राजीव बिंदल को बीजेपी अध्यक्ष बनाया गया.
- महाराष्ट्र में रविंद्र चव्हाण को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है. वे पहले कार्यकारी अध्यक्ष थे.
- उत्तराखंड में मौजूदा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट को ही एक और कार्यकाल मिला है.
- आंध्र प्रदेश में पीवीएन माधव को अध्यक्ष बनाया गया है. वे ओबीसी समुदाय से हैं और संगठन में गहरी पकड़ रखते हैं.
- तेलंगाना में रामचंदर राव को यह जिम्मेदारी दी गई है, जो छात्र राजनीति से निकले नेता हैं.
- पुडुचेरी में वी.पी. रामालिंगम को राज्य अध्यक्ष बनाया गया है.
- मिजोरम में के. बैचहुआ को नई जिम्मेदारी दी गई है.
अब बारी है मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों की, जहां जल्द ही नई नियुक्तियां हो सकती हैं. पार्टी सूत्रों की मानें तो इन नियुक्तियों में जातीय संतुलन और संगठनात्मक अनुभव को खास तवज्जो दी गई है.
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति प्रक्रिया भी जारी
जेपी नड्डा की जगह लेने वाला नया अध्यक्ष न सिर्फ संगठन को चुनावी मोड में तैयार करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों में होने वाले कई बड़े बदलावों का सामना भी करेगा. इनमें बिहार, बंगाल, तमिलनाडु, केरल, पंजाब और यूपी जैसे राज्यों के चुनाव, सीटों का परिसीमन और महिला आरक्षण लागू करने जैसे महत्वपूर्ण मसले शामिल हैं.
सूत्रों की मानें तो इस बार भी अध्यक्ष का चयन संघ (RSS) से परामर्श के बाद ही किया जाएगा, और आम सहमति के तहत नाम तय होगा. नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ-साथ संगठन में कुछ और बदलाव भी देखने को मिल सकते हैं, जिनमें केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल भी शामिल है. संगठन के कुछ मजबूत नेताओं को केंद्र में मंत्री पद मिल सकता है.
2029 के लोकसभा चुनाव पर की तैयारी
बीजेपी की नजर अब 2029 के लोकसभा चुनाव पर है. पार्टी एक ऐसी नई पीढ़ी को सामने लाने की कोशिश कर रही है, जिसमें रणनीतिक समझ और जमीनी पकड़ दोनों हो.

