
बीजेपी को यह हार बहुत चुभेगी, क्योंकि पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के होमग्राउंड में AAP ने यह करारी शिकस्त दी है।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
दरअसल इस सीट पर पहले भी आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी, लेकिन विधायक भुपेन्द्रभाई गांडुभाई भायाणी पार्टी बदलकर बीजेपी में शामिल हो गए थे। इस वजह से उपचुनाव कराए गए थे।
Bypoll Results 2025: विसावदर में जीत के लिए तरसी बीजेपी
विसावदर विधानसभा उपचुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) के गोपाल इटालिया ने बीजेपी के किरिट पटेल को 17,554 वोटों से हराकर ऐतिहासिक जीत दर्ज की है। बीजेपी को इस सीट पर आखिरी बार 2007 में जीत मिली थी और तब से इस सीट पर जीत के लिए पार्टी तरस रही है। इस बार यहां जीतना बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न था, लेकिन आम आदमी पार्टी की सटीक रणनीति और सही उम्मीदवार के चुनाव की वजह से बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है।
लगातार दूसरी बार AAP इस सीट पर जीती है
विसावदर सीट पर लगातार दूसरी बार आप की झाड़ू चली है। आम आदमी पार्टी की दोबारा इस सीट पर जीत पीएम मोदी और बीजेपी के गुजरात मॉडल को चुनौती है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद पार्टी ने यहां जीत दर्ज की है। इस जीत ने साबित कर दिया है कि सही उम्मीदवार और जनता के मुद्दे उठाने का असर आड भी नतीजों पर नजर आ रहा है। इतना ही नहीं यह इस बात का भी संकेत है कि जनता विकल्प को अपनाने में नहीं हिचक रही है।
AAP का विधानसभा उपचुनाव में 100% स्ट्राइक रेट
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव में दो जगहों पर आम आदमी पार्टी ने अपने उम्मीदवार उतारे थे और दोनों ही सीट पर पार्टी बड़ी जीत दर्ज करने में कामयाब रही है। अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने विसावदर के अलावा लुधियाना वेस्ट पर भी जीत दर्ज की है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद केजरीवाल और उनकी पार्टी के लिए यह जीत आत्मविश्वास के लिहाज से महत्वपूर्ण है। दूसरी ओर बीजेपी को केरल, पंजाब और बंगाल में भी हार मिली है। पार्टी के गढ़ गुजरात में भी पार्टी नहीं जीत सकी है।
ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रवाद के बजाय क्षेत्रीयता की चली हवा
गुजरात में मिली यह हार बीजेपी के लिए खतरे की घंटी से कम नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रवाद के ऊपर जनता ने सीधे तौर पर क्षेत्रीय मुद्दों को प्राथमिकता दी है। गुजरात में पार्टी दोनों सीटें जीतने के लिए आश्वस्त लग रही थी, लेकिन 17,554 वोटों से मिली हार पार्टी को आत्ममंथन के लिए मजबूर करेगी। गोपाल इटालिया ने अपने प्रचार में आदिवासी मुद्दों और शिक्षा स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी थी। उनके लिए प्रचार करते हुए अरविंद केजरीवाल ने बीजेपी को खुली चुनौती दी थी कि कोई भी सत्ता और पैसा इटालिया का ईमान नहीं खरीद सकती है। अब उनकी जीत ने साबित कर दिया है कि गुजरात विधानसभा चुनाव में क्षेत्रीयता का मुद्दा प्रभावी भूमिका निभा सकती है।
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले करना होगा मूल्यांकन
ऑपरेशन सिंदूर और राष्ट्रवाद का मुद्दा विधानसभा चुनाव में बड़ा रोल नहीं निभाएंगे, उपचुनाव के नतीजे इसके संकेत दे रहे हैं। 2027 में प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को स्थानीय मुद्दों और रोजगार को प्राथमिकता देना होगा। इसके अलावा, पार्टी को अपनी चुनावी रणनीति पर भी फिर से विचार करना पड़ेगा, क्योंकि पीएम मोदी के गृहराज्य में पार्टी किसी सूरत में अपना मजबूत संगठन और जनाधार नहीं खोना चाहेगी। आम आदमी पार्टी की लोकप्रियता और विश्वसनीयता कांग्रेस और आप के गठबंधन की संभावनाओं को भी मजबूत कर सकती है। कुल मिलाकर बीजेपी के लिए उपचुनाव की यह मामूली हार बहुत चुभने वाली और बड़ी सीख देती हुई लग रही है।
