
कई लोग ऐसे हैं जो अपने दुखों से जूझते हुए भगवान के अवतार की प्रतीक्षा कर रहे हैं, ताकि उनके कष्ट समाप्त हो सकें। विष्णु पुराण में कलियुग के अंत से संबंधित कई रहस्यों का उल्लेख किया गया है। आइए जानते हैं कि कलियुग का अंत कब होगा।


संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट
कलियुग क्या है?
द्वापर युग के बाद कलियुग का आगमन हुआ। यह कहा जाता है कि कलियुग के साथ धरती पर पापों की संख्या बढ़ गई है। विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत पुराण और भविष्य पुराण में कलियुग का विस्तृत वर्णन किया गया है। कलियुग का अर्थ है अंधकार का युग, जहां सत्य और असत्य का भेद मिट जाता है। यह संघर्ष और क्लेश का समय है, जिसमें मनुष्य एक-दूसरे के प्रति द्वेष रखते हैं।
कलियुग की शुरुआत
महाभारत के बाद कई घटनाएँ हुईं, जैसे श्री कृष्ण का स्वर्ग जाना और पांडवों का स्वर्गारोहण, जिन्होंने कलियुग के आगमन का संकेत दिया। कलियुग की शुरुआत 3102 ईसा पूर्व हुई थी, और इसके अंत का वर्णन विभिन्न पुराणों में मिलता है।
कलियुग का अंत
पुराणों के अनुसार, कलियुग 4,32,000 वर्षों तक चलेगा। वर्तमान में, कलियुग का पहला चरण चल रहा है, जिसमें 5126 वर्ष बीत चुके हैं। इसका मतलब है कि अभी भी 426,882 वर्ष शेष हैं। हालांकि, समय की गति विभिन्न लोकों में भिन्न होती है, जिससे कलियुग के अंत में और भी समय लग सकता है।
कलियुग की चरम सीमा
जैसा कि पहले बताया गया, कलियुग का पहला चरण अभी चल रहा है। जब यह अपने चरम पर पहुंचेगा, तो मानव जीवन की आयु घटकर केवल 20 वर्ष रह जाएगी। लोग छोटी-छोटी बीमारियों से भी नहीं लड़ पाएंगे। विष्णु पुराण के अनुसार, धरती पर सूखा पड़ेगा और भीषण गर्मी बढ़ेगी। हर मौसम का प्रभाव भी भयानक होगा, जैसे अत्यधिक वर्षा और ठंड। ये सभी संकेत कलियुग के चरम की ओर इशारा करते हैं।

