शारदीय नवरात्र का हर दिन अपने आप में विशेष महत्व रखता है। इन नौ दिनों में जहां देवी दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की उपासना की जाती है, वहीं सप्तमी तिथि से मां सरस्वती की पूजा आरंभ होती है।

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इस दिन को सरस्वती आह्वान कहा जाता है। “आह्वान” का अर्थ है देवी को अपने जीवन और घर में आमंत्रित करना। इस वर्ष सरस्वती आह्वान 29 सितंबर, सोमवार को आश्विन शुक्ल पक्ष की महा सप्तमी के दिन मनाया जाएगा।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

सरस्वती आह्वान की कथा

मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश के कार्यों में सहायक बनकर देवी सरस्वती ने संसार को ज्ञान और वाणी का उपहार दिया। इसी कारण उन्हें विद्यादायिनी, शारदा, वाग्देवी और नील सरस्वती के नामों से पूजित किया जाता है।

नवरात्र के दौरान जब भक्त सरस्वती आह्वान करते हैं, तो वे मां से अज्ञान के अंधकार को दूर करने और विवेक, कला तथा शिक्षा का आशीर्वाद पाने की प्रार्थना करते हैं। यह अवसर केवल विद्या प्राप्ति का ही नहीं, बल्कि आत्मा को उजाले की ओर ले जाने वाला पवित्र अनुष्ठान है। मां सरस्वती की कृपा से भक्त के जीवन में ज्ञान, संगीत और रचनात्मकता का दिव्य प्रकाश फैलता है।


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