सावन महीने का तीसरा सप्ताह बेहद खास होता है। इस वीक में सावन सोमवार से लेकर कई नाग पंचमी तक कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। आसान शब्दों में कहें तो सावन माह के शुक्ल पक्ष के पहले सप्ताह में सावन सोमवार और नाग पंचमी समेत कई व्रत-त्योहार धूमधाम से मनाए जाते हैं।

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धार्मिक मत है कि सावन महीने में देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली आती है। आइए, नए सप्ताह में पड़ने वाले व्रत-त्योहारों (Weekly Vrat Tyohar 2025) की डेट और शुभ मुहूर्त के बारे में जानते हैं।

व्रत-त्योहार

सावन माह के तीसरा सोमवार 28 जुलाई को है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाएगी। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाएगा। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में वर्णित है।

प्रत्येक माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के अगले दिन विनायक चतुर्थी मनाई जाती है। इस साल सोमवार 28 जुलाई को विनायक चतुर्थी है। इस दिन भगवान गणेश की विधिवत पूजा की जाती है। भगवान गणेश की सबसे पहले पूजा की जाती है।

हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर शिव परिवार संग नाग देवता की पूजा की जाती है। इस शुभ अवसर पर नाग पंचमी मनाई जाती है। कालसर्प दोष निवारण के लिए यह दिन सबसे उत्तम माना जाता है। इस साल 29 जुलाई को नाग पंचमी मनाई जाएगी।

वैदिक पंचांग के अनुसार, 01 अगस्त को सावन माह की दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाएगी। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाएगा। इस व्रत को करने से साधक पर देवी मां दुर्गा की कृपा बरसती है।

सावन माह का चौथा सोमवार 04 अगस्त को है। इस दिन सावन महीने का अंतिम सोमवार का व्रत रखा जाएगा। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाएगी। साथ ही देवों के देव महादेव का जलाभिषेक किया जाएगा।

पंचांग के अनुसार, इस वर्ष यह त्योहार 29 जुलाई को मनाया जाएगा। यह दिन विशेष रूप से नाग देवता की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित होता है, जिनसे जीवन में सुख-शांति, स्वास्थ्य, समृद्धि और भयमुक्ति की कामना की जाती है। नाग पंचमी का पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह प्रकृति और जीव-जंतु के प्रति सम्मान और कृतज्ञता प्रकट करने का भी माध्यम है।
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इस दिन कई परंपराओं और अनुष्ठानों का पालन किया जाता है, जो सदियों से चली आ रही हैं। इनमें से एक प्रमुख मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन लोहे से बनी वस्तुओं का उपयोग नहीं करना चाहिए। इस नियम के पीछे एक गहरी धार्मिक और सांस्कृतिक वजह है, जो न केवल पूजा की पवित्रता को बनाए रखती है, बल्कि नाग देवताओं की प्रसन्नता और आशीर्वाद की कामना से भी जुड़ी है। आइए, जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों माना जाता है कि इस पावन दिन लोहे से बनी चीजों का इस्तेमाल वर्जित है और इसके पीछे छिपी हुई धार्मिक एवं वैज्ञानिक वजहें क्या हैं।
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नाग पंचमी पर लोहे का प्रयोग क्यों वर्जित है?
हिंदू धर्म में नाग पंचमी के दिन लोहे की चीज़ों का उपयोग मना किया गया है, खासकर तवा, चाकू, कैंची और लोहे के बर्तनों का। इसके पीछे धार्मिक और ज्योतिषीय कारण हैं, जो इस दिन की पवित्रता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

तवा और राहु ग्रह का संबंध
परंपरा में तवे को राहु ग्रह का प्रतीक माना जाता है। राहु एक छाया ग्रह है जो अशांति, बीमारियाँ और जीवन में बाधाएँ ला सकता है। नाग पंचमी के दिन लोहे के तवे या अन्य लोहे की चीज़ों का इस्तेमाल करने से राहु की नकारात्मक ऊर्जा बढ़ सकती है, जिससे कालसर्प योग या राहु दोष जैसी समस्याएं हो सकती हैं। चूंकि राहु को सांप का भी प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन उसकी अवहेलना जीवन में मुश्किलें ला सकती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण
ज्योतिष शास्त्र में लोहे का संबंध शनि और राहु ग्रह से जोड़ा जाता है। जब राहु शनि के प्रभाव में होता है, तो यह मानसिक तनाव, असफलता और पारिवारिक रिश्तों में तनाव ला सकता है। इसलिए नाग पंचमी जैसे पवित्र दिन लोहे से दूर रहना शुभ माना जाता है ताकि शांति बनी रहे।

ग्रामीण और पारंपरिक मान्यताएं
ग्रामीण क्षेत्रों और पारंपरिक परिवारों में नाग पंचमी के दिन तवे पर रोटी नहीं बनाई जाती और लोहे के बर्तनों का उपयोग टाला जाता है। इस दिन मिट्टी या तांबे के बर्तनों का ज्यादा प्रयोग किया जाता है, ताकि पूजा की पवित्रता और शुभता बनी रहे।

भूल से भी अगर लोहे का उपयोग हो जाए तो क्या करें?
अगर गलती से नाग पंचमी के दिन लोहे का उपयोग हो जाए, तो तुरंत नाग देवता से क्षमा प्रार्थना करनी चाहिए। इसके साथ ही संध्या के समय नाग स्तोत्र या “ॐ नमः नागदेवताय” मंत्र का जाप करने से दोष दूर हो सकता है और शांति बनी रहती है।


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