
विधानसभा में रखा जा सकता है प्रस्ताव


राज्य गृह विभाग ने इस संबंध में प्रस्ताव तैयार कर विधि विभाग को भेज दिया है। माना जा रहा है कि विधि विभाग की संस्तुति मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में पास कराकर अगले माह अगस्त में होने वाले मानसून सत्र के दौरान संशोधन के लिए विधानसभा के पटल पर रखा जा सकता है। यूसीसी में विवाह पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। इसमें अधिनियम लागू होने के बाद होने वाले विवाह का पंजीकरण 60 दिनों के भीतर कराना अनिवार्य है। जबकि 26 मार्च 2010 से अधिनियम लागू होने तक हुए विवाहों का पंजीकरण कराने की समय सीमा छह माह तय की गई है। जबकि इससे पूर्व हुए विवाह को पंजीकरण कराने की छूट दी गई है।
गृह विभाग के सूत्रों की माने तो यूसीसी में अब तक छोटे-बड़े 15 से 20 संशोधन किए जाने हैं। लेकिन फिलहाल विवाह के छह माह वाले नियम पर फोकस करते हुए इसमें संशोधन की तैयारी है। प्रस्ताव पर उच्च स्तर पर मंजूरी के बाद अब इसे परामर्श के बाद न्याय विभाग को भेजा गया है। इसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी।
अमान्य नहीं होता विवाह
यूसीसी में विवाह पंजीकरण को लेकर कुछ भ्रांतियां भी हैं। विवाह पंजीकरण अनिवार्य तो है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है कि पंजीकरण नहीं हुआ तो विवाह अमान्य हो जाएगा। तय अवधि के बाद जुर्माना अदा करने के बाद पंजीकरण कराया जा सकता है।
यूसीसी लागू करने वाला पहला राज्य है उत्तराखंड
उत्तराखंड 27 जनवरी 2025 को यूसीसी लागू करने वाला देश का पहला राज्य बना था। तब से लेकर तक यूसीसी पोर्टल पर दो लाख 55 हजार 443 विवाह पंजीकृत हो चुके हैं।
जोड़े जा सकते हैं कुछ नए नियम
विभागीय सूत्रों के अनुसार, यूसीसी में ट्रांसजेंडर- समलिंगी विवाह के पंजीकरण को लेकर प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों को भी इसमें जोड़ा जा सकता है। इसके अलावा विदेशी नागरिक से विवाह होने के बाद विवाह पंजीकरण में आधार कार्ड की अनिवार्यता बाधा बन रही है। इसके अलावा सामान्य जाति संग एसटी का विवाह और एससी (उत्तराखंड) के साथ अनुसूचित जनजाति (अन्य प्रदेश) के व्यक्तियों का विवाह की दशा में भी निर्णय लिया जा सकता है।
संवाददाता,हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/ अवतार सिंह बिष्ट/उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी!

