
मुख्य न्यायाधीश जी नरेंद्र तथा न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की पीठ ने याचिका को ‘आधारहीन’ करार देते हुए संस्थान के रजिस्ट्रार की नियुक्ति को वैध ठहराया।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी
पीठ ने याचिकाकर्ता को जुर्माने की राशि छह सप्ताह के भीतर राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण में जमा कराने के निर्देश दिए हैं।
याचिकाकर्ता टिहरी निवासी अजय किशोर बहुगुणा ने आरोप लगाया था कि संस्थान के रजिस्ट्रार संदीप कुमार पद के लिए योग्य नहीं हैं।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि कुमार के पास जरूरी शैक्षणिक योग्यतां नहीं हैं और उनके पास पद के लिए आवश्यक न्यूनतम पांच साल के प्रशासनिक अनुभव का भी अभाव है।
संस्थान की ओर से दलील दी गई कि कुमार की नियुक्ति शासी मंडल द्वारा विधिवत रूप से अनुमोदित थी और निर्धारित नियमों के अनुसार की गई थी। इसके अलावा, कुमार की नियुक्ति 2019 में हुई थी, और छह साल बाद उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाना अनुचित है।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद, उच्च न्यायालय ने याचिका को औचित्यहीन पाया। पीठ ने इसी के साथ याचिकाकर्ता पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।


