मंत्रालय (आयुर्वेद, योग, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के बीच एक बड़ा समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलेगी और वैज्ञानिक तरीके से दर्ज किया जाएगा। संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

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इस समझौते के तहत पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलेगी और वैज्ञानिक तरीके से दर्ज किया जाएगा।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह

क्या है यह समझौता?
शनिवार को भारत सरकार के आयुष मंत्रालय और डब्ल्यूएचओ के बीच एक महत्वपूर्ण समझौता हुआ। इस समझौते के जरिए अब डब्ल्यूएचओ के ‘स्वास्थ्य हस्तक्षेपों का अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण (आईसीएचआई)’ में पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के लिए एक खास ‘पारंपरिक चिकित्सा मॉड्यूल’ जोड़ा जाएगा।

प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (26 मई) को ‘मन की बात’ के 122वें एपिसोड में इस समझौते का जिक्र करते हुए कहा, ‘मित्रों, आयुर्वेद के क्षेत्र में कुछ बहुत अच्छा हुआ है। कल ही, यानी 24 मई को, डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल और मेरे मित्र तुलसी भाई की मौजूदगी में एक एमओयू (समझौता) साइन हुआ है।’ उन्होंने कहा कि यह पहल आयुष पद्धतियों को वैज्ञानिक ढंग से दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने में मदद करेगी।

क्या होता है ICHI?
डब्ल्यूएचओ का आईसीएचआई एक वैश्विक प्रणाली है जो यह रिकॉर्ड करती है कि मरीजों को कौन-कौन से इलाज या चिकित्सा प्रक्रिया दी जा रही हैं। अब इसमें पारंपरिक भारतीय चिकित्सा पद्धतियों जैसे:

  • आयुर्वेद की पंचकर्म प्रक्रिया
  • योग थेरेपी
  • यूनानी रेजीमेंस
  • सिद्ध चिकित्सा विधियां

को भी अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार दर्ज किया जाएगा।

इसके क्या लाभ होंगे?

  1. वैश्विक मान्यता- आयुष से जुड़ी चिकित्सा पद्धतियों को अब दुनिया भर में एक वैज्ञानिक और मानकीकृत पहचान मिलेगी।
  2. बीमा कवर में आसानी- आयुष के इलाज अब हेल्थ इंश्योरेंस योजनाओं में भी आसानी से शामिल किए जा सकेंगे।
  3. पारदर्शी बिलिंग और सही कीमत- मरीजों को इलाज का पारदर्शी बिल मिलेगा और इलाज की कीमत भी तय और उचित होगी।
  4. अस्पताल प्रबंधन और अनुसंधान में सहूलियत- अस्पतालों में रिकॉर्ड रखने, शोध और मेडिकल डेटा को वैज्ञानिक तरीके से दर्ज करने में मदद मिलेगी।
  5. अधिक पहुंच- अब आयुष पद्धतियां सिर्फ भारत में नहीं, बल्कि दुनिया के अन्य देशों में भी अधिक भरोसे और स्वीकार्यता के साथ अपनाई जा सकेंगी।

‘यह सिर्फ कोडिंग नहीं, एक बदलाव है’
सरकार ने बयान में कहा कि यह सिर्फ चिकित्सा को दर्ज करने की तकनीकी प्रक्रिया नहीं है, बल्कि यह एक ‘परिवर्तनकारी कदम’ है। इससे भारत की पारंपरिक चिकित्सा पद्धतिया’ – जैसे आयुर्वेद और योग – सस्ती, भरोसेमंद और सबके लिए सुलभ बन सकेंगी।


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