
कहा जाता है कि यहीं भगवान शिव के एक आशीर्वाद ने कुबेर को नया जीवन और नया स्थान दिया था।

कहां स्थित है यह रहस्यमय मंदिर?
यह मंदिर उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले से लगभग 35 किलोमीटर दूर कुमाऊं हिमालय की गोद में स्थित ‘जागेश्वर धाम’ में है।यह स्थान शिवभक्तों के लिए बेहद पवित्र और आध्यात्मिक शक्ति से भरपूर माना जाता है। यहां भगवान शिव को समर्पित 125 से अधिक प्राचीन मंदिर हैं, जिनकी भव्यता और शांति अद्भुत है। इसी कारण इसे ‘देवताओं की घाटी (Valley of Gods)’ भी कहा जाता है।
✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर ( उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी

कुबेर देव की पौराणिक कथा
कुबेर देव को धन और समृद्धि के देवता कहा जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कुबेर ने एक समय में अपार संपत्ति और वैभव के साथ शासन किया था। लेकिन उनके सौतेले भाई रावण ने उन्हें युद्ध में पराजित करके उनका राजपाट और अलौकिक पुष्पक विमान छीन लिया। बता दें की पराजित और निराश कुबेर हिमालय की ओर निकल पड़े। वह सांसारिक संपत्ति से नहीं, बल्कि शांति और आत्मिक सुकून की खोज में थे। इसी यात्रा में वे उस घाटी में पहुंचे, जहां भगवान शिव ने सती के देहांत के बाद गहन तपस्या की थी। वह स्थान आज जागेश्वर धाम के नाम से प्रसिद्ध है।
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भगवान शिव का वरदान
कुबेर ने भगवान शिव के चरणों में बैठकर प्रार्थना की उन्होंने धन नहीं, बल्कि शरण और अपनापन मांगा। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर महादेव ने उन्हें वही घाटी वरदानस्वरूप दे दी, जिसमें वे खड़े थे। उसी क्षण से वह पवित्र भूमि कुबेर का निवास बन गई। बता दें की आज भी यहां कुबेर की पूजा भगवान शिव के रूप में की जाती है। स्थानीय लोग मानते हैं कि जो भक्त यहां सच्चे मन से प्रार्थना करता है, उसे धन, समृद्धि और शांति — तीनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

दिवाली और धनतेरस पर विशेष मान्यता
जागेश्वर धाम में दिवाली और धनतेरस के अवसर पर हजारों श्रद्धालु आते हैं। कहा जाता है कि इन पावन दिनों में अगर कोई भक्त यहां भगवान शिव और कुबेर महाराज की सच्चे मन से पूजा करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और धन-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। इस स्थान पर स्थित कुबेर भंडारी मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है, जहां कुबेर की मूर्ति शिव के रूप में स्थापित है।
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जागेश्वर धाम की प्राचीनता और महत्व
जागेश्वर धाम न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि ऐतिहासिक और स्थापत्य कला के नजरिए से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यहां के मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजाओं के शासनकाल में हुआ था। कुछ मंदिरों का इतिहास पहली शताब्दी ईसा पूर्व तक जाता है। पत्थरों की नक्काशी, शिल्पकला और मंदिरों की शांत वातावरण में आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव स्वतः होने लगता है। बता दें की जागेश्वर धाम में स्थित प्रमुख मंदिरों में जागनाथ (जागेश्वर) मंदिर, महामृत्युंजय मंदिर, कुबेर भंडारी मंदिर और चंडिका देवी मंदिर प्रमुख हैं।

जागेश्वर धाम वह स्थान है जहां भक्ति और समृद्धि दोनों का संगम होता है। यहां भगवान शिव के आशीर्वाद से कुबेर देव को नया जीवन मिला और आज भी यह स्थान श्रद्धालुओं को शक्ति, शांति और धन का प्रतीक बनकर आशीर्वाद देता है। यदि आप कभी उत्तराखंड जाएं, तो इस दिव्य स्थल के दर्शन अवश्य करें, क्योंकि यहां भगवान शिव के साथ धन के देवता कुबेर भी स्वयं आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।


