सोचिए, आप एक ऐसी जगह पर खड़े ना है जहां समय जैसे रुक गया हो। जहां जैसे ही आप कदम रखते हैं, हवा की चाल बदल जाती है। जहां आप अकेले होते हुए भी खुद को अकेला महसूस नहीं करते।

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जहां पहाड़ की चुप्पी में भी कोई अद्भुत और रहस्यमयी ध्वनि सुनाई देती है। यह स्थान कोई साधारण जगह नहीं, यह है कैलाश पर्वत। हिमालय की गोद में बसा यह शिखर, केवल एक पहाड़ नहीं है यह एक जीवंत रहस्य है।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)

कैलाश: ऊंचाई से नहीं, अस्तित्व से आकर्षित करता है

कैलाश पर्वत को देखकर आप मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। यह केवल अपनी ऊंचाई के कारण महान नहीं है बल्कि अपने अस्तित्व और ऊर्जा के कारण अद्भुत है। कहा जाता है कि यहां हर पत्थर, हर बर्फ की परत और हर शून्य कुछ कहती है। लेकिन क्या हम उस संदेश को सुन पा रहे हैं? यह केवल एक तीर्थ स्थान नहीं, बल्कि एक द्वार है। लेकिन सवाल है यह द्वार किस ओर जाता है? कौन से लोक की ओर? क्या यह वास्तव में भगवान शिव का दूसरा धाम है?

कैलाश: चार धर्मों का आस्था केंद्र

तिब्बत में स्थित यह पर्वत लगभग 21,778 फीट ऊंचा है। यह भले ही दुनिया का सबसे ऊंचा पर्वत नहीं है लेकिन फिर भी सबसे पवित्र पर्वत माना जाता है। हिंदू धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और तिब्बती बोन परंपरा चारों में कैलाश का विशेष स्थान है। यह कोई संयोग नहीं है। यह संकेत है कि इस पर्वत में कुछ असाधारण है। चार महान नदियां ब्रह्मपुत्र, सिंधु, करनाली और सतलुज इसी पर्वत से निकलती हैं। यह केवल भूगोल नहीं, यह ब्रह्मांड की योजना है।

शिव का निवास: कैलाश लोक

हिंदू धर्म में कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है। ‘शिवपुराण’ में लिखा है,’कैलाश वह धाम है जहां केवल शरीर नहीं, आत्मा ही प्रवेश कर सकती है।’यह स्थान एक भौतिक स्थान से ज़्यादा, एक चेतना का केंद्र है। जहां शिव और शक्ति का साक्षात निवास माना जाता है।

कैलाश पर्वत की चोटी पर क्यों नहीं चढ़ पाया कोई?

आज तक कोई भी व्यक्ति कैलाश पर्वत की चोटी तक नहीं पहुंच पाया। कई प्रयास किए गए लेकिन हर बार कुछ ऐसा हुआ जिसने पर्वतारोहियों को वापस लौटने पर मजबूर कर दिया। किसी को मौसम ने रोका, किसी को भ्रम ने और कुछ को किसी अदृश्य शक्ति ने। एक बार रूसी पर्वतारोही लगभग चोटी तक पहुंच गए। लेकिन उन्होंने कहा,’ऐसा लगा जैसे कोई शक्ति हमें भीतर खींच रही हो और हमारी चेतना डगमगाने लगी हो।’तिब्बती लोग मानते हैं,’जो कैलाश पर चढ़ता है, वो धरती पर नहीं लौटता।’

क्या कैलाश में कोई अंदर जाने वाला मार्ग है?

कई यात्रियों ने अनुभव किया है कि कैलाश की परिक्रमा करते समय कुछ स्थानों पर उन्हें ऐसा लगा जैसे वहां कोई सुरंग हो या जैसे कोई रास्ता भीतर की ओर जाता हो। कुछ साधकों को ध्यान में एक दिव्य नगरी दिखाई दी जहां प्रकाश, संगीत और अलौकिक ऊर्जा महसूस हुई। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव केवल कैलाश के बाहर नहीं बल्कि उसके भीतर भी रहते हैं। वह सूक्ष्म लोक जो सामान्य मनुष्य की चेतना से परे है। यह माना जाता है कि कैलाश एक ऊर्जा चक्र के केंद्र पर स्थित है जहां पांचवां आयाम सक्रिय है एक ऐसा आयाम जो हमें दूसरे लोकों तक ले जा सकता है।

शंभला: दिव्य नगरी की ओर एक मार्ग?

तिब्बती परंपरा में कैलाश को कहा जाता है कांग रिनपोछे यानी ‘कीमती बर्फ का रत्न।’ यह भी माना जाता है कि कैलाश के अंदर एक रास्ता है जो शंभला की ओर एक दिव्य नगरी जहां केवल सिद्ध आत्माएं निवास करती हैं। बौद्ध धर्म में तारा देवी और चक्रसंवर की साधना भी कैलाश से जुड़ी हुई मानी जाती है। बोन परंपरा में कैलाश को सिपा होर का निवास कहा गया है जो ब्रह्मांड के रक्षक माने जाते हैं।

कैलाश से आने वाली दिव्य ध्वनि

तिब्बती लोककथाओं में कहा गया है कि कभी-कभी कैलाश से डमरू जैसी ध्वनि सुनाई देती है। कभी-कभी रात में पर्वत की चोटी से प्रकाश फूटता है। लोग मानते हैं कि यह भगवान शिव की उपस्थिति के संकेत हैं। तिब्बत के महान संत मिलारेपा ने कैलाश के चारों ओर वर्षों तक ध्यान किया। एक बार उन्होंने ध्यान में देखा कि पर्वत पर एक द्वार खुला जिससे दिव्य प्रकाश और नाद ध्वनि निकल रही थी। लेकिन तभी उन्हें एक आंतरिक संदेश मिला,’यह द्वार केवल उन्हीं के लिए है जो तप और त्याग की पराकाष्ठा पर पहुंचे हैं।’भारतीय योगियों जैसे गोरखनाथ और मछिंद्रनाथ के बारे में कहा जाता है कि वे कैलाश के भीतर प्रवेश कर गए थे। कई वर्षों तक वे नहीं लौटे। जब लौटे तो उनके शरीर नहीं बल्कि प्रकाशमय चेतना लौटी।

कैलाश और समय का रहस्य

कई तीर्थयात्रियों ने अनुभव किया कि कैलाश यात्रा के दौरान उनके बाल और नाखून सामान्य से तेज बढ़ने लगे। विज्ञान इसे टाइम डाइलेशन कहता है जब किसी स्थान पर समय का प्रवाह दूसरे स्थानों से अलग होता है। ऐसा प्रभाव आमतौर पर ब्लैक होल जैसी जगहों में देखा जाता है। तो क्या कैलाश कोई ऐसा ही ऊर्जा केंद्र है?

क्या कैलाश एक प्राचीन पिरामिड है?

रशियन वैज्ञानिक डॉ. अर्नेस्ट मुलदाशेव ने कैलाश पर्वत पर कई वर्षों तक शोध किया। उनका कहना है कि कैलाश एक प्राकृतिक पर्वत नहीं बल्कि एक विशाल पिरामिड है। उनके अनुसार यह एक ऊर्जा ट्रांसमीटर है जो किसी बहुत प्राचीन सभ्यता द्वारा बनाया गया था। उन्होंने यह भी पाया कि कैलाश के आसपास कई पर्वत एक समान दूरी पर हैं जैसे कोई विशाल प्रणाली। कुछ साधकों ने ध्यान में देखा कि कैलाश के भीतर एक मंदिर है दीप जलते हुए, अद्भुत प्रकाश और संगीत के साथ। किसी ने कहा,’जब मैंने आंखें बंद की तो वहां एक ज्योति जल रही थी।’ किसी ने कहा, ‘मुझे एक अदृश्य मंदिर दिखाई दिया, जो भीतर प्रकट हुआ।’

कैलाश पर्वत पर ध्यान करने से शरीर में कंपन, ब्रह्म ध्वनि और ऊर्जा का अनुभव होना सामान्य बात मानी जाती है। कई यात्रियों ने कहा कि जैसे ही वे पर्वत के पास पहुंचे कोई अदृश्य शक्ति उन्हें रोक रही थी। कुछ को रहस्यमय स्वप्न आए, कुछ ने खुद को किसी अन्य आयाम में पाया।


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