रुद्रपुर के इंदिरा चौक पर हुआ यह दर्दनाक हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए चेतावनी है

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ट्रैफिक नियमों का पालन ही जीवन की सुरक्षा

रुद्रपुर के इंदिरा चौक हादसे ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि ट्रैफिक नियमों की अनदेखी कितनी बड़ी त्रासदी को जन्म दे सकती है। सीसीटीवी फुटेज में साफ दिखाई दे रहा है कि डंपर की रफ्तार बहुत तेज नहीं थी, लेकिन छोटे वाहन ने जबरदस्ती ओवरटेक करने की कोशिश की और यह कोशिश जानलेवा साबित हुई।

यही वजह है कि जिला प्रशासन और ट्रैफिक पुलिस लगातार लोगों से अपील करते हैं कि ट्रैफिक नियमों का पालन करें। हेलमेट पहनना, निर्धारित लेन में चलना और बड़े वाहनों को बेवजह ओवरटेक न करना हर चालक की जिम्मेदारी है। अक्सर दोपहिया चालक जल्दीबाज़ी में भारी वाहनों के सामने से निकलने की कोशिश करते हैं, जबकि यह सबसे बड़ा खतरा साबित होता है।

हम सभी को समझना होगा कि सड़क पर सिर्फ अपनी ही नहीं, दूसरों की जान भी दांव पर होती है। नियमों की अनदेखी कर ओवरटेक करना, रेड सिग्नल तोड़ना या बिना सेफ्टी गियर के चलना सीधे-सीधे मौत को दावत देने जैसा है। प्रशासन जितने भी नियम बनाए, असली सुरक्षा तभी संभव है जब नागरिक खुद ट्रैफिक नियमों का पालन करेंगे।


रुद्रपुर के इंदिरा चौक पर हुआ यह दर्दनाक हादसा सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज और प्रशासन के लिए चेतावनी है। सीसीटीवी में साफ दिख रहा है कि रेत-बजरी से भरा डंपर सुरेंद्र सिंह की जिंदगी निगल गया और उनकी चार मासूम बेटियां अनाथ हो गईं।

✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

यह कोई पहला मामला नहीं है। उत्तराखंड राज्य बनने के बाद से अब तक मैदानी क्षेत्रों में हजारों लोगों की जान बेलगाम और ओवरलोड डंपरों ने ले ली है। सवाल यह उठता है कि आखिर परिवहन विभाग इन पर कार्रवाई क्यों नहीं करता? डेढ़ सौ कुंतल क्षमता वाले वाहनों को 4:30 कुंतल से ज्यादा भार लादकर चलाने की अनुमति कैसे दी जाती है? क्या नियम विरुद्ध बनाई गई बॉडी पर भी विभाग की मिलीभगत नहीं है?

सड़क पर मौत बनकर दौड़ते इन डंपरों को रोकना अब जरूरी है। कानून में सख्त संशोधन होना चाहिए और ओवरलोड गाड़ियों पर तुरंत कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। वरना यह खूनी डंपर आए दिन निर्दोषों की जान लेते रहेंगे और प्रशासन केवल मूकदर्शक बना रहेगा।



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