इस साल जन्माष्टमी का पर्व ज्योतिषीय दृष्टि से अत्यंत विशेष होने वाला है। शनिवार मध्यरात्रि को जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव मनाया जाएगा, तब सूर्य और चंद्रमा अपनी-अपनी उच्च राशि में विराजमान रहेंगे।

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यह संयोग वर्षों बाद बन रहा है, जिसे साधना और आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

ज्योतिषीय महत्व

  • ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, श्रीकृष्ण जन्म के समय यदि नवग्रहों में से प्रमुख ग्रह अपनी उच्च स्थिति में हों तो यह समय भक्तों के लिए सौभाग्य और सफलता का कारक बनता है। इस बार जन्माष्टमी पर चंद्रमा वृषभ राशि में और सूर्य सिंह राशि में रहेंगे, जो उनकी उच्च राशियां मानी जाती हैं।
  • सूर्य उच्च पद, प्रतिष्ठा, तरक्की और आयु-आरोग्य का प्रतीक है, जबकि चंद्रमा मन, आकर्षण और मानसिक स्थिरता का कारक ग्रह है। ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला ने बताया कि इस बार कृतिका नक्षत्र, ध्रुव योग और तैतिल करण की साक्षी में जन्माष्टमी का पर्व मनाया जाएगा, जिसे धर्मशास्त्र में श्रेष्ठ बताया गया है।

भक्तों के लिए साधना का अवसर

इस विशेष योग में भगवान श्रीकृष्ण की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने से उच्च पद की प्राप्ति, व्यापार में उन्नति और प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है। भक्त मंत्र-जप, स्तोत्र पाठ या अन्य साधनाओं के माध्यम से श्रीकृष्ण की आराधना कर सकते हैं। इससे व्यक्तित्व में आकर्षण, वाणी में मधुरता और बुद्धि में अनुकूलता आती है।

रुद्रपुर के सभी मंदिर में विशेष आयोजन

रुद्रपुर में जन्माष्टमी का पर्व इस वर्ष भी भक्ति और आस्था की गूंज के साथ मनाया गया। पंच मंदिर, शिव शक्ति मंदिर और अटरिया मंदिर जैसे प्रमुख धार्मिक स्थलों पर विशेष पूजा-अर्चना और झांकी सजाई गई है। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण की आराधना करते हुए पूरे दिन भजन-कीर्तन और धार्मिक अनुष्ठानों में भाग लिया। मंदिरों में दीपों और पुष्पों से सजीव वातावरण ने भक्तों के मन को आलोकित कर दिया।

इस अवसर पर विधायक शिव अरोड़ा और महापौर विकास शर्मा ने मंदिरों में दर्शन कर शहरवासियों को जन्माष्टमी की शुभकामनाएं दीं। दोनों जनप्रतिनिधियों ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण का जीवन सत्य, धर्म और न्याय की प्रेरणा देता है। उन्होंने नगरवासियों से समाज में प्रेम, सेवा और एकता का संदेश अपनाने का आह्वान किया है।

जन्माष्टमी केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह हमें जीवन के गहरे आध्यात्मिक संदेशों की भी याद दिलाती है। पंच मंदिर से लेकर अटरिया मंदिर तक गूंजते शंखनाद और मंत्रोच्चार इस बात का प्रतीक हैं कि भक्ति में ही जीवन की सच्ची शांति और ऊर्जा निहित है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कर्म और धर्म का जो संदेश दिया, वह आज भी प्रासंगिक है।

सुबह से रुद्रपुर के मंदिरों में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ ने इस पर्व को एक आध्यात्मिक उत्सव का रूप दिया। भक्तों ने न केवल श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं का रसपान किया, बल्कि अपने जीवन में सादगी और सत्य के मार्ग को अपनाने का संकल्प भी लियाजा रहा है। इस प्रकार, जन्माष्टमी ने रुद्रपुर में भक्तिभाव और आध्यात्मिक ऊर्जा का अद्वितीय संगम प्रस्तुत किया। आज रात्रि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर मंदिरों में विशेष पूजा अर्चना की जाएगी


किच्छा विधायक तिलक राज बहेड़ ने कहा कि “जन्माष्टमी का पर्व हमें धर्म, सत्य और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं हमें जीवन में कर्तव्य और समर्पण का संदेश देती हैं। मैं सभी नगरवासियों को जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ।”

पूर्व विधायक राजकुमार ठुकराल ने शुभकामनाएं देते हुए कहा कि “भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य दिवस हम सबके जीवन में प्रेम, सद्भाव और उत्साह का संचार करता है। रुद्रपुर की धरती पर श्रीकृष्ण की भक्ति से सामाजिक एकता और समरसता और मजबूत हो।”

व्यापार मंडल अध्यक्ष संजय जुनेजा ने कहा कि “जन्माष्टमी का यह पावन पर्व नगर के व्यापार और समाज में नई ऊर्जा और सकारात्मकता का संदेश लाए। भगवान श्रीकृष्ण की कृपा से सभी नगरवासियों के जीवन में खुशहाली, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहे।”



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