जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को आतंकियों ने पर्यटकों पर हमला कर दिया। फायरिंग में 12 टूरिस्ट घायल हुए हैं, 1 की मौत हुई है। सभी को इलाज के लिए अस्पताल में दाखिल करवाया गया

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वहीं, हमले के बाद फरार आतंकियों की तलाश में सेना अभियान चला रही है। आतंकी हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा के सहयोगी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है। सूत्रों के मुताबिक इस संगठन का मुखिया शेख सज्जाद गुल है, जो पाकिस्तान में है।

शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स/संपादक उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट रुद्रपुर, (उत्तराखंड)संवाददाता

उसने लोकल मॉड्यूल के जरिए हमले को अंजाम दिया है। पिछले साल गांदरबल में भी गुल के इशारे में हमले को अंजाम दिया गया था। हमले से पहले इसके आतंकी रेकी करते हैं। इसके बाद हमले को अंजाम दिया जाता है। पिछले साल मजदूरों के कैंप पर घात लगाकर हमला किया गया था। अमरनाथ यात्रा मार्ग पर हमले के बाद दहशतगर्द साथ लगते घने जंगल में छिप गए थे।

पुलवामा हमले के बाद सक्रियता बढ़ी

बताया जाता है कि टीआरएफ 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमले के बाद घाटी में सक्रिय हुआ है। इस आतंकी संगठन को पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI समर्थन देती है। 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर से धारा-370 हटाई गई थी, जिसके बाद यह संगठन पूरे कश्मीर में सक्रिय हो गया। टीआरएफ पाकिस्तान में बना है, कश्मीर में दहशत फैलाना इसका मकसद है। लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे संगठनों ने आईएसआई के साथ मिलकर इस संगठन की नींव रखी थी।

टारगेट किलिंग में टीआरएफ का हाथ

TRF को फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की कार्रवाई से बचने के लिए बनाया गया है। एफएटीएफ ने पाकिस्तान को Gray सूची में रखा है, जिसके बाद उसके खिलाफ कई बैन लगे हैं। इसके बाद टीआरएफ बनाया गया है। पाकिस्तान का मकसद कश्मीर में 90 के दशक जैसी स्थिति बनाना है। टीआरएफ का मुख्य उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा मामले में पाकिस्तान पर बढ़ते दबाव को कम करना है। टारगेट किलिंग के कई मामलों में टीआरएफ शामिल रहा है। इसके हैंडलर सोशल मीडिया पर भी एक्टिव रहते हैं। कश्मीर के अंदर चलने वाली हर गतिविधि पर नजर रखी जाती है। टीआरएफ ने पिछले दिनों अपनी हिट लिस्ट भी जारी की थी। इस लिस्ट में कई भाजपा नेताओं, सैन्य व पुलिस अधिकारियों के नाम शामिल थे।


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