
रुद्रपुर ब्लॉक प्रमुख चुनाव में रीना गौतम की जीत सिर्फ एक साधारण चुनावी नतीजा नहीं, बल्कि भाजपा के अंदरूनी समीकरणों पर गहरा वार है। भाजपा का घोषित प्रत्याशी ममता जल्होत्रा न सिर्फ हारीं, बल्कि उन्हें हराने वाले उम्मीदवार को जिताने में पार्टी के अपने ही बड़े नेता की भूमिका खुलकर सामने आ गई। जीत के बाद “राजेश शुक्ला जिंदाबाद” के नारे, मानो यह ऐलान कर रहे थे कि—सत्ता पक्ष का आधिकारिक टिकट भी मेरी ‘पॉलिटिकल स्ट्राइक’ के आगे कुछ नहीं।।✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स, रुद्रपुर (उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी)

रुद्रपुर ब्लॉक प्रमुख चुनाव में बड़ा उलटफेर देखने को मिला। बीजेपी के घोषित प्रत्याशी ममता जलहोत्रा को मात देते हुए पार्टी के ही बीडीसी सदस्य रीना गौतम ने जीत दर्ज की। रीना गौतम को 25 वोट मिले, जबकि ममता जलहोत्रा को मात्र 14 वोट प्राप्त हुए। इस जीत के बाद समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई और ‘राजेश शुक्ला जिंदाबाद’ के नारे गूंज उठे। पूर्व विधायक राजेश शुक्ला के समर्थन से हुई इस जीत को उनकी राजनीतिक पकड़ और किंगमेकर की भूमिका का बड़ा उदाहरण माना जा रहा है। चुनाव परिणाम ने भाजपा के अंदरूनी समीकरणों को भी उजागर कर दिया।
राजेश शुक्ला ने सत्ता पक्ष के आधिकारिक उम्मीदवार को मात देकर यह जता दिया कि वे अब भी स्थानीय राजनीति में निर्णायक ताकत हैं। यह नतीजा भाजपा के लिए भीतर से चेतावनी भी है—क्योंकि पार्टी के अंदर का यह “क्रॉसफायर” आने वाले विधानसभा चुनावों में बड़ा झटका साबित हो सकता है।
असल सवाल यह है कि भाजपा में घोषित प्रत्याशी की हार और अपने ही घर के नेता द्वारा दूसरे उम्मीदवार को जिताना क्या लोकतांत्रिक मतभेद है या फिर पार्टी अनुशासन की सीधी अवहेलना?
जो भी हो, इस मुकाबले ने साफ कर दिया है कि रुद्रपुर में सत्ता की असली चाबी फिलहाल जनता के पास नहीं, बल्कि एक ‘किंग मेकर’ के हाथों में है—और उनका नाम है राजेश शुक्ला।
उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का संदेश,त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के नतीजों ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि जनता का विश्वास, संगठन की ताकत और नेतृत्व की दूरदृष्टि जब एक साथ मिलते हैं, तो परिणाम ऐतिहासिक होते हैं। उत्तराखंड के विभिन्न जिलों में भाजपा अधिकृत जिला पंचायत अध्यक्ष पद के प्रत्याशियों ने 11 में से 10 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की है। चमोली में श्री दौलत सिंह बिष्ट, पौड़ी में श्रीमती रचना बुटोला, अल्मोड़ा में श्रीमती हेमा गैड़ा, रुद्रप्रयाग में श्रीमती पूनम कठैत और बागेश्वर में श्रीमती शोभा आर्य की जीत केवल व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि संगठनात्मक क्षमता और जनता के भरोसे की मिसाल है।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन विजेताओं को हार्दिक बधाई देते हुए इसे “सतत जनसेवा और मजबूत संगठन का सशक्त प्रमाण” बताया। उनका यह संदेश स्पष्ट करता है कि भाजपा की राजनीति केवल चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गांव-गांव, घर-घर तक पहुंचकर लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प रखती है।साथ ही मुख्यमंत्री ने सभी नवनिर्वाचित ब्लॉक प्रमुखों को भी शुभकामनाएं दीं, जिनमें किच्छा ब्लॉक प्रमुख, गदरपुर ब्लॉक प्रमुख, पूर्व विधायक राजेश शुक्ला और रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा के योगदान को विशेष रूप से सराहा। यह उल्लेखनीय है कि इन नेताओं ने न केवल अपने क्षेत्र में संगठन को मजबूत किया, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से चुनावी जीत सुनिश्चित करने में भी अहम भूमिका निभाईउत्तराखंड के संदर्भ में यह जीत केवल राजनीतिक उपलब्धि नहीं है; यह ग्रामीण नेतृत्व को सशक्त बनाने, विकेन्द्रीकृत शासन को मजबूत करने और विकास की गति को तेज करने का अवसर है। मुख्यमंत्री का यह संदेश आने वाले दिनों में एक रोडमैप की तरह काम करेगा, जिसमें पंचायत स्तर पर पारदर्शी प्रशासन, स्थानीय समस्याओं का त्वरित समाधान और राज्य के समग्र विकास की दिशा में ठोस कदम शामिल होंगे।दरअसल, यह जीत हमें यह भी याद दिलाती है कि लोकतंत्र में जनता का विश्वास सबसे बड़ी पूंजी है — और यह पूंजी केवल चुनावी नारों से नहीं, बल्कि सतत और ईमानदार जनसेवा से अर्जित होती है।


