उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड सिंचाई सम्पत्ति विवाद : सचिव सिंचाई युगल किशोर पंत ने दिया दोबारा सर्वे का निर्देश

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रुद्रपुर, 01 जुलाई 2025 (हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स)उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच लंबे समय से लंबित सिंचाई विभाग की संपत्तियों के हस्तांतरण के मुद्दे पर एक महत्वपूर्ण बैठक आज जिला सभागार, रुद्रपुर में आयोजित हुई। बैठक की अध्यक्षता सचिव सिंचाई युगल किशोर पंत ने की, जिसमें जिलाधिकारी नितिन सिंह भदौरिया समेत सिंचाई विभाग के वरिष्ठ अभियंताओं और जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया।

संवाददाता,शैल ग्लोबल टाइम्स/ हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स /उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी, अवतार सिंह बिष्ट

सचिव सिंचाई ने बैठक में स्पष्ट निर्देश दिए कि जनपद उधमसिंह नगर में उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सिंचाई विभाग की भूमि का राजस्व विभाग के सहयोग से दोबारा सर्वेक्षण कराया जाए, जिससे संपत्ति हस्तांतरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जा सके।

हरिपुरा बौर जलाशय में सिल्ट से भंडारण क्षमता प्रभावित

जिलाधिकारी भदौरिया ने हरिपुरा बौर जलाशय में भारी मात्रा में सिल्ट जमा होने की समस्या उठाई और बताया कि इससे जलाशय की भंडारण क्षमता प्रभावित हो रही है। उन्होंने डिसिल्टिंग कार्य की आवश्यकता जताई।

इस पर सचिव पंत ने अधीक्षण अभियंता को दो प्रस्ताव तैयार करने के निर्देश दिए —

  1. एक प्रस्ताव जलाशय से सिल्ट हटाने हेतु टेंडर प्रक्रिया के माध्यम से,
  2. और दूसरा प्रस्ताव विभागीय संसाधनों द्वारा सिल्ट हटाने के लिए।

मेलाघाट खटीमा में भू कटाव रोकने को तटबन्ध का प्रस्ताव

जिलाधिकारी ने मेलाघाट खटीमा क्षेत्र में जगबूड़ा नदी के कारण हो रहे भू-कटाव की जानकारी दी और तटबन्ध निर्माण हेतु 4.80 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध कराने का अनुरोध सचिव से किया। उन्होंने बताया कि इस संबंध में अधिशासी अभियंता द्वारा प्रस्ताव शासन को भेजा जा चुका है।

सम्पत्तियों का अब तक का स्थिति विवरण

बैठक में अधीक्षण अभियंता सिंचाई ने जानकारी दी कि वर्ष 2021 में दोनों राज्यों के मुख्य अभियंताओं और अधिकारियों की संयुक्त बैठक में संपत्ति विभाजन को लेकर चर्चा हुई थी।

उधमसिंह नगर जिले में स्थित प्रमुख जलाशयों — धौरा, नानकसागर और बैगुल की कुल 8859.349 हेक्टेयर भूमि में से:

  • 1854.274 हैक्टेयर भूमि वन विभाग को,
  • 70.198 हैक्टेयर भूमि राजस्व विभाग को पहले ही हस्तांतरित की जा चुकी है।
    उत्तराखंड सिंचाई विभाग द्वारा 354.374 हैक्टेयर भूमि की मांग की गई थी, जिसके विरुद्ध उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग ने 332.748 हैक्टेयर भूमि और 198 भवनों में से 48 भवनों के हस्तांतरण पर सहमति व्यक्त की है।

दोबारा सर्वे की दिशा में सख्त निर्देश

सचिव सिंचाई पंत ने साफ कहा कि अब इस प्रक्रिया को और टालना राज्य हित में नहीं है। इसलिए विभागीय अभियंताओं को निर्देशित किया गया कि वे राजस्व विभाग की सहायता से सभी भूमि का दोबारा सर्वेक्षण करें ताकि संपत्ति हस्तांतरण प्रक्रिया में स्पष्टता और गति आ सके।

उपस्थित अधिकारीगण

बैठक में प्रमुख रूप से मुख्य अभियंता कुमाऊं संजय कुमार शुक्ला, उप जिलाधिकारी मनीष बिष्ट, ओसी गौरव पांडेय, अधीक्षण अभियंता पी.के. दीक्षित, एम.पी. खरे, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह नेगी, बी.एस. डांगी, ए.के. जौन, सहायक अभियंता पंकज ढौंडियाल, हरीश चंद्र और राकेश यादव आदि मौजूद रहे।


यह बैठक उत्तराखंड की सिंचाई परियोजनाओं की संपत्ति विवाद से जुड़ी जटिलताओं को सुलझाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है। यदि सर्वेक्षण प्रक्रिया ईमानदारी से होती है और प्रस्तावों पर अमल होता है, तो न केवल जलाशयों की क्षमता बढ़ेगी बल्कि सीमा क्षेत्रों में जल प्रबंधन की स्थिति भी सुधरेगी।


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