उत्तराखंड को देवी की भूमि कहा जाता है। यह भूमि धार्मिक स्थल के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। इनमें चारधाम तीर्थ स्थल केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री प्रमुख हैं।

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इसके अलावा, कई अन्य पतित पावन तीर्थ स्थल हैं। हर की पौड़ी, हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थल अपनी धार्मिक विशेषता के लिए जाना जाता है। गंगा का उद्गम भी उत्तराखंड में हुआ है। बड़ी संख्या में श्रद्धालु हर मौसम में उत्तराखंड की यात्रा करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि उत्तराखंड में एक ऐसा गांव भी है, जिसका महाभारत से गहरा नाता है? इसे भारत का पहला गावं भी कहा जाता है। आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-

कहां हैं माणा गांव?

उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में माणा गांव स्थित है। यह गांव तिब्बत से केवल 26 किलोमीटर की दूरी पर है। यह गांव राष्ट्रीय राजमार्ग 7 के समीप है। आसान शब्दों में कहें तो नेशनल हाईवे 7 माणा गांव से होकर गुजरता है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 3219 मीटर है। इस गांव में सरस्वती नदी भी बहती है। कहते हैं कि अलकनंदा और सरस्वती का संगम भी माणा गांव में हुआ है।

कहां रची गई है महाभारत?

माणा गांव में व्यास पोथी नामक स्थान है। धार्मिक मत है कि व्यास पोथी यानी व्यास गुफा में वेदव्यास जी रहते थे। इस गुफा में भगवान गणेश ने महाभारत की रचना की थी। बद्रीनाथ से व्यास पोथी की दूरी महज 3 किलोमीटर है।

कब और क्यों दिया था श्राप?

सनातन शास्त्रों में निहित है कि भगवान गणेश महाभारत की रचना के दौरान सरस्वती नदी के तेज बहाव से विचलित हो रहे थे। उस समय उन्होंने देवी मां सरस्वती को बहाव को कम करने या आवाज को धीमा करने का अनुरोध किया। हालांकि, मां सरस्वती ने उनकी एक न सुनी। उस समय भगवान गणेश रुष्ट हो गए और सरस्वती नदी को श्राप दे दिया कि आप उद्गम स्थल पर ही विलुप्त होकर पाताल पहुंच जाएंगी। उनके श्राप के चलते सरस्वती नदी माणा गांव से सीधे पाताल जाती है। हालांकि, रहस्यमयी तरीके से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में निकलती है। इसी स्थान पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का संगम होता है।


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