उत्तराखंड त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025: जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण का अनंतिम प्रस्ताव जारी, हरिद्वार छोड़ सभी जिलों में आरक्षण तय ✍️ अवतार सिंह बिष्ट | हिंदुस्तान ग्लोबल टाइम्स

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देहरादून, 1 अगस्त 2025 — उत्तराखंड सरकार के पंचायतीराज अनुभाग-1 द्वारा त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2025 (हरिद्वार जनपद को छोड़कर) के लिए जिला पंचायत अध्यक्ष पद के आरक्षण को लेकर अनंतिम आरक्षण प्रस्ताव जारी कर दिया गया है। शासनादेश संख्या 1088/शी(1)/2025/86(22)2019, दिनांक अगस्त 2025 के अनुसार यह आरक्षण “प्रथम चक्र” में लागू किया गया है।

यह आरक्षण प्रस्ताव सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश राज्य व अन्य मामले में पारित आदेश दिनांक 10.05.2022 के अनुपालन में ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया के तहत लागू किया गया है। उत्तराखंड में पहली बार पिछड़े वर्गों के लिए वैज्ञानिक आधार पर आयोग द्वारा जांच और अनुशंसा के आधार पर आरक्षण सुनिश्चित किया गया है।


जिला पंचायत अध्यक्ष पद का प्रस्तावित आरक्षण (अनंतिम सूची) इस प्रकार है:

क्र.सं. जनपद आरक्षण की स्थिति
1 अल्मोड़ा महिला
2 बागेश्वर महिला (अनुसूचित जाति)
3 चम्पावत अनारक्षित
4 चमोली अनारक्षित
5 देहरादून महिला
6 नैनीताल अनारक्षित
7 पौड़ी गढ़वाल महिला
8 पिथौरागढ़ अनुसूचित जाति
9 रुद्रप्रयाग महिला
10 टिहरी गढ़वाल महिला
11 ऊधमसिंह नगर पिछड़ा वर्ग
12 उत्तरकाशी अनारक्षित

कार्यक्रम समय-सारणी:

  1. प्रस्ताव का प्रकाशन: 01 अगस्त 2025

  2. आपत्तियों की प्राप्ति: 02 से 04 अगस्त 2025 (प्रातः 9:30 से सायं 6:00 बजे तक)

  3. आपत्तियों का निस्तारण: 05 अगस्त 2025

  4. अंतिम आरक्षण सूची का प्रकाशन: 06 अगस्त 2025

आपत्तियां केवल लिखित रूप में सचिव, पंचायतीराज विभाग, सचिवालय देहरादून को दी जा सकती हैं। देर से प्राप्त आपत्तियां स्वीकार नहीं की जाएंगी।

प्रमुख बातें:

  • यह आरक्षण हरिद्वार जिले को छोड़कर अन्य सभी 12 जिलों में लागू है।

  • अनुसूचित जाति को दो जिलों (पिथौरागढ़ व बागेश्वर), पिछड़ा वर्ग को एक जिला (ऊधमसिंह नगर) मिला।

  • कुल 6 जिलों में महिला आरक्षण लागू।

  • नैनीताल, चमोली, चंपावत और उत्तरकाशी जैसे जिलों में सामान्य वर्ग के लिए अनारक्षित सीटें निर्धारित।


हरिद्वार को क्यों छोड़ा गया?

हरिद्वार जिले में स्थानीय निकायों के भीतर ओबीसी आरक्षण को लेकर अभी ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इस कारण वहां आरक्षण प्रक्रिया रोक दी गई है।


शासन द्वारा प्रचार-प्रसार के निर्देश:शासन ने निदेशक पंचायतीराज और सूचना महानिदेशक को निर्देश दिए हैं कि इस प्रस्ताव का जिला स्तर पर व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करें, ताकि कोई भी हितधारक समय रहते आपत्ति दर्ज करा सके।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं शुरू:इस अनंतिम आरक्षण प्रस्ताव के सामने आते ही राजनीतिक गलियारों में हलचल तेज हो गई है। कई दावेदारों ने नाराजगी जताई है तो कुछ ने प्रस्ताव का स्वागत किया है। विशेषकर पिछड़े वर्ग के लिए ऊधमसिंह नगर में पहली बार आरक्षण तय होने को राजनीतिक रूप से अहम संकेत माना जा रहा है।

आगे क्या?अब देखना यह होगा कि अंतिम सूची में किन जिलों में बदलाव होता है और किसे चुनावी लाभ मिलेगा। 06 अगस्त को अंतिम सूची आने के बाद प्रत्याशियों की होड़ और राजनीतिक समीकरण और स्पष्ट होंगे।



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